मात्र 60 दिनों में तैयार हो जाएगी प्याज की फसल, किसान ने बताया उगाने का अनोखा तरीका

मात्र 60 दिनों में तैयार हो जाएगी प्याज की फसल, किसान ने बताया उगाने का अनोखा तरीका

अगर आप किसान हैं तो बखूबी जानते होंगे कि प्याज को तैयार होने में आमतौर पर 100-120 दिन का समय लगता है. इसके अलावा उसकी नर्सरी तैयार होने में भी 40-45 दिन का समय लगता है. इस खबर में एक खास तकनीक के बारे में बताया गया है जिससे 60 दिनों में प्याज तैयार हो जाती है.

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मात्र 60 दिनों में तैयार हो जाएगी प्याज की फसल, किसान ने बताया उगाने का अनोखा तरीकाप्याज की खेती का अनोखा तरीका

प्याज हर घर में लगभग हर रोज की जरूरत है. प्याज को सब्जी, मसाला और सलाद जैसे कई रूप में इस्तेमाल किया जाता है. प्याज की बाजार मांग को देखते हुए प्याज की खेती भी बड़े पैमाने में की जाती है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य प्याज की खेती में आगे हैं. आप किसान हैं तो जानते होंगे कि प्याज की फसल तैयार होने में लगभग 100-120 दिन का समय लगता है. इस खबर में किसान के एक खास प्रयोग के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बाद मात्र 60 दिनों में प्याज की फसल तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार भी जबरदस्त मिलती है. 

प्याज की नर्सरी 

किसान अच्छी तरह से जानते हैं कि प्याज उगाने के लिए नर्सरी में प्याज के पौध तैयार किए जाते हैं. इसके लिए बीजों को खेत में रोपने के बाद लगभग 40-45 दिनों बाद पौध तैयार हो जाते हैं. फिर इन पौधों को खेतों में रोपा जाता है और नियमित देखभाल की जाती है. इसके बाद करीब 100-120 दिनों बाद प्याज के कंद तैयार होते हैं और प्याज की खुदाई की जाती है.

खास तरीके की नर्सरी

हम राजस्थान के अलवर जिले में रहने वाले किसान इंद्रपाल यादव के बारे में बताने जा रहे हैं जो 60 दिनों में तैयार होने वाली प्याज उगाते हैं. ये प्रयोग उन्होंने खुद से किया और आज देशभर में पसंद किया जा रहा है. इंद्रपाल बताते हैं कि नर्सरी तैयार करते हुए जो पौधे 45 दिन में तैयार हो जाते हैं उन्हें ये 80-90 दिनों तक खेत में लगाए रखते हैं और जब उखाड़ते हैं तो इसमें प्याज के छोटे-छोटे कंद लग जाते हैं. आइए जान लेते हैं कि इंद्रपाल खेत में कौन सा नया प्रयोग करते हैं. 

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  • 90 दिन बाद तैयार कंदों को वेयरहाउस या ठंडी छांव वाली जगह में स्टोर कर लेते हैं
  • इसके बाद खरीफ सीजन में 15 अगस्त के आसपास खेतों की तैयारी करते हैं
  • वे खेत में ऊंची-ऊंची मेड़ बनाकर इन कंदों की रोपाई करते हैं, इससे कंदों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है
  • खास देखभाल के बाद ये प्याज अक्तूबर महीने में तैयार होने लगती है
  • इंद्रपाल बताते हैं कि इस तरह से मात्र 60-70 दिनों में औसतन 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिलती है

इस तकनीक के अन्य फायदे

किसान इंद्रपाल यादव बताते हैं कि अक्तूबर-नवंबर के महीने में प्याज की आवक थोड़ा कम होती है इसलिए बाजार में इसकी कीमत अन्य महीनों के मुकाबले थोड़ी अधिक होती है. इसके अलावा दो महीने में तैयार होने वे कारण किसानों को अधिक देखभाल और इंतजार नहीं करना पड़ता है. इंद्रपाल देशभर के किसानों को इस खास प्रयोग की जानकारी देते हैं. उन्होंने कई राज्यों के सैकड़ों किसानों को प्रशिक्षित कर चुके हैं. 

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