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इल्लियों से बैंगन की कैसे करें सुरक्षा? किस दवा से होगा फसल का बचाव ?

इल्लियों से बैंगन की कैसे करें सुरक्षा? किस दवा से होगा फसल का बचाव ?

बैंगन की फसल को तना और फल छेदक कीट सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. इसके निदान के लिए रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं लेकिन इसे फसलों पर खास असर नहीं पड़ता है. किसी भी कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि हम उस कीट की प्रकृति, स्वभाव, पहचान, जीवन चक्र के बारे में जानकारी रखें, तभी कीट का प्रभावकारी नियंत्रण किया जा सकता है.

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जानिए इल्लियों के लिए कौन सी दवा होगी असर दार जानिए इल्लियों के लिए कौन सी दवा होगी असर दार

सब्जी फसलों में बैंगन ही एक ऐसी फसल है जिसकी खेती में किसान को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. बैंगन की फसल में फल और तना छेदक कीट किसानों के लिए बड़ी चुनौती है. बैंगन की फसल को तना और फल छेदक कीट सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. इसके निदान के लिए रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं लेकिन इसे फसलों पर खास असर नहीं पड़ता है. उल्टे खाने वालों को नुकसान होता है. ऐसे में जानिए कि बैंगन फसलों को इल्लियों से कैसे बचाया जा सकता हैं. 

किसी भी कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि हम उस कीट की प्रकृति, स्वभाव, पहचान, जीवन चक्र के बारे में जानकारी रखें, तभी कीट का प्रभावकारी नियंत्रण किया जा सकता है. तना एवं फल छेदक कीट के वयस्क मध्यम आकार के मौथ, पतंगें जिनके अग्र पंख सुफेद धब्बेदार होते हैं. बैंगन फसल को इस कीट की इल्लियां, लार्वा नुकसान पहुंचाते हैं. फरवरी, मार्च में कीट की वयस्क मादायें दूधिया रंग के अंडे एक-एक करके या समूह में पत्तियों की निचली सतह, तनों, फूलों की कलियां या फल के आधार पर देती है.

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कैसे पहुंचता है नुकसान

इसके बाद 3 से 5 दिनों बाद अंडों से लार्वा निकलने के बाद तने व शाखाओं के अग्र भाग में घुस जाती हैं, जिस कारण तने, शाखाओं के अग्र भाग मुरझा कर लटक जाते हैं व बाद में सूख जाते है. पौधों पर फल आने पर लार्वा, इल्लियां फलों में छेद बना कर अंदर प्रवेश कर अन्दर घुसते ही कीट छेदों को अपने मल मूत्र से बन्द कर देते हैं. इल्लियां अंदर ही अंदर फल के गूद्दे को खाती रहती हैं. कीट द्वारा किए गए छिद्रों से फफूंद व जीवाणु फलों के अन्दर प्रवेश करते हैं, जिससे बाद में फल सड़ने लगते हैं. पूरी तरह विकसित लार्वा सुदृढ़,गुलाबी रंग और भूरे सिर वाला होता है जो तनों,सूखी टहनियों या जमीन पर गिरी पत्तियों पर प्यूपा बनता है.

इल्ली नियंत्रण के लिए कौन सी दवा?

अधिक प्रकोप होने की दशा में इनके नियंत्रण के लिए किसान भाई प्रोपेनोफॉस या ट्राइजोफॉस दवा का 2 एमएल प्रति लीटर पानी के हिसाब से 500 से 600 लीटर घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें.

रोकथाम कैसे करें

बैंगन तना और फल छेदक कीट के जीवन चक्र की चार अवस्थाएं अण्डा, लार्वा, प्यूपा व वयस्क है. फ़ल के अन्दर लार्वा के प्रवेश के बाद लार्वा/इल्ली को नष्ट करना संभव नहीं हो पाता. इसलिए कीट से फसल को बचाने के लिए कीट की वयस्क पतंगा, तितली को फसल पर अन्डा देने से बचाना होता है. एक बार यदि अन्डे से लार्वा/इल्ली निकल कर पौधे के अन्दर प्रवेश कर जाती हैं फिर फलों को नुक्सान से नहीं बचाया जा सकता है.

1. वयस्क तितलियां/पतंगों की निगरानी करें. तितलियां दिन में काफी सक्रिय रहती हैं. उस समय हाथ के जाल से पकड़ कर नष्ट करें.

2.प्रकाश प्रपंच की सहायता से रात को वयस्क तितलियां को आकर्षित कर उन्हें नष्ट करते रहना चाहिए. प्रकाश प्रपंच हेतु एक चौडे मुंह वाले वर्तन ( पारात,तसला आदि ) में कुछ पानी भरलें तथा पानी में मिट्टी तेल मिला लें उस वर्तन के ऊपर मध्य में विद्युत वल्ब लटका दें यदि खेत में वल्ब जलाना सम्भव न हो तो वर्तन में दो ईंठ या पत्थर रख कर उसके ऊपर लालटेन या लैंम्प रख दें. 
लालटेन को तीन डंडों के सहारे भी लटका सकते हैं. साम 7 से 10 बजे तक वल्व, लालटेन या लैम्प को जला कर रखें. वयस्क तितलियां प्रकाश से आकृषित होकर वल्व, लालटेन व लैम्प से टकराकर वर्तन में रखे पानी में गिर कर मर जाते हैं.बाजार में भी प्रकाश प्रपंच/ सोलर प्रकाश प्रपंच उपलब्ध हैं.

4.फसल की निगरानी करते रहे यदि पौधों के किसी भी भाग ( पत्तियां, तना फूल की कली आदि ) कीट के अन्डे दिखाई दें तो उन्हें हटा कर नष्ट करें.

5. पौधों की तने व शाखाओं का अग्र भाग कीट के प्रभाव से जैसे ही मुर्झा कर झुकने लगे इन भागों को एक इंच नीचे से काट कर पौधों से हटायें. साथ ही ग्रसित फल, पौधों की सूखी टहनियों गिरी सूखी पत्तियों को एक पौलीथीन में एकत्रित कर नष्ट करें. जिससे वयस्क तितलियां/पतंगों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके.

रासायनिक उपचार

कीट से प्रभावित पौधों की तने व शाखाओं के अग्र भागों को एक इंच नीचे से काट कर पौधों से हटायें. साथ ही ग्रसित फल , पौधों की सूखी टहनियों गिरी सूखी पत्तियों को एक पौलीथीन में एकत्रित कर नष्ट करें. इसके बाद खड़ी फसल पर इमीडाक्लोप्रिड, क्लोरोपाइरीफास या मैलाथियान एक चम्मच दवा का तीन लीटर पानी में घोल बनाकर पांच दिनों के अन्तराल पर तीन बार छिड़काव करें. एक ही दवा का बार बार प्रयोग न करें.

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