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इन कीटों की वजह से गन्ने की खेती को होता है भारी नुकसान, जान‍िए क्या है इसका समाधान

इन कीटों की वजह से गन्ने की खेती को होता है भारी नुकसान, जान‍िए क्या है इसका समाधान

पायरिला कीट इस कीट का प्रकोप अधिक नाइट्रोजनयुक्त फसल में होता है. पायरिला के अंडों का संग्रह करके नाश किया जाना चाहिए. इसके साथ ही सूखी पत्तियों को समय-समय पर निकालते रहना चाहिए. गन्ने की खेती में खासकर, रसचूसक कीट का प्रभाव अत्यधिक बढ़ रहा है, ज‍िससे इसकी खेती को नुकसान हो रहा है. 

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गन्ने की खेती गन्ने की खेती

उत्तर भारत में गन्ने की बुवाई आमतौर पर बसंतकालीन गन्ने और शरदकालीन गन्ने के रूप में होती है. शरदकालीन गन्ने की खेती अक्टूबर में की जाती है. गन्ना उत्पादन बढ़ाने के लिए अहम है कि किसान अक्टूबर के महीने में गन्ने की बुवाई जरूर करें. शरदकालीन गन्ने की फसल का उत्पादन बसंतकालीन गन्ने की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक होता है. इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई करते हैं. लेकिन वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि और वर्षा में अनियमितता कृषि उत्पादन को मुख्य रूप से प्रभावित करते हैं. चिंता का विषय यह है कि इस बदलाव से कीट और भी आक्रामक हो गये हैं. जो गन्ने के मुख्य कीट थे अब उनका प्रभाव कम हो रहा है. जिनका प्रभाव कम था वे मुख्य कीट हो रहे हैं. खासकर, रसचूसक कीट का प्रभाव अत्यधिक बढ़ रहा है.

कृषि वैज्ञानिक अनिल कुमार, विश्वजीत, नवनीत कुमार, ललिता राणा और एके सिंह बताते हैं कि इनमें ऐसे कीट भी हैं, जो कुछ दशक पूर्व मामूली कीट होते थे और अब वे विनाशकारी हो गए हैं. इतना ही नहीं कुछ मामलों में वे फसल को पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त कर देते हैं. नकदी फसल होने के कारण गन्ने का कृषि अर्थव्यवस्था में विशेष स्थान है. गन्ना किसानों की आय के साथ-साथ चीनी के कारखानों के लिए कच्चा माल भी है. एक अनुमान के मुताबिक गन्ने के रसचूसक कीटों के कारण 20 प्रतिशत की गिरावट और चीनी उद्योग को 15 प्रतिशत का नुकसान होता है. रस चूसक कीट का संक्रमण इतना तेज होता है कि नियंत्रण न करने पर गन्ने में चीनी की मात्रा कम हो जाती है. इसके साथ में इसके उत्पादन में भारी क्षति हो जाती है. किसान इसी घबराहट में अवांछित कदम, जैसे कि कीटनाशक का अत्यधिक प्रयोग शामिल करने लगते हैं. 

पायरिला कीट 

इसका प्रौढ़ कीट 20 मि.मी. लंबा गन्ने की सूखी पत्तियों जैसा भूरे रंग का होता है, जिसका अग्र भाग नुकीला होता है. शिशु कीट 5-15 मि.मी. लंबा एवं सफेद मटमैले रंग का होता है और अन्तिम उदस्थ भाग में उजली पूंछ होती है. इसका आगमन मई-जून मानसून के पूर्व एवं सितम्बर-अक्टूबर मानसून के बाद होता है. शिशु एवं प्रौढ़ दोनों ही पत्तियों का रस चूसते हैं. पत्तियां पीली एवं झुलसी हुई नजर आती हैं. शिशु कीट पत्तियों पर मीठा तरल पदार्थ छोड़ता है, जिससे काली फफूंद का आक्रमण हो जाता है. पौधे की प्रकाश संश्लेषण क्रिया बन्द हो जाती है. इससे चीनी की मात्रा में 2 से 34 प्रतिशत तक की कमी आती है और गुड़ की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है.

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क्या है निदान

इस कीट का प्रकोप अधिक नाइट्रोजनयुक्त फसल में होता है. पायरिला के अंडों का संग्रह करके नाश किया जाना चाहिए. इसके साथ ही सूखी पत्तियों को समय-समय पर निकालते रहना चाहिए. एपीरिकेनिया परजीवी, पायरिला को सफलतापूर्वक नियंत्रण करता है. कीटनाशक एपीरीकेनिया का नाश कर सकते हैं, ऐसा करना पैसे की बर्बादी होगी. जहां एपीरिकेनिया मौजूद नहीं है, वहां इसके 4000-5000 हजार कोकून को समानांतर रूप से छोड़ना चाहिए और यदि जिस भाग में कम संख्या में परजीवी हैं, वहां खेत के दूसरे भागों से जहां परजीवी ज्यादा है, पुनर्विभाजन किया जाना चाहिए.

पायरीला के प्रौढ़ को मेटारिजियम से उपचारित करके 250 प्रति हेक्टेयर छोड़ा जा सकता है. मॉनसून के समय पायरिला की तीनों अवस्थाओं के परजीवी प्रकृति में पाये जाते हैं. परजीवी न होने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 500 एमएल/हेक्टेयर छिड़काव करें.

 सफेद मक्खी

इसके कीट के प्रौढ़ 3 मि.मी. लंबे तथा उजले पंख वाले होते हैं. शिशु अंडाकार, पंखरहित काले रंग का होता है. कीट का प्रकोप अगस्त से अक्टूबर तक पाया जाता है. खूंटी फसल पर इसका अधिक प्रकोप होता है. कीट के केवल शिशु पत्तियों के निचले भाग से रस चूसते हैं. पत्तियों पर काला चिपचिपा पदार्थ जम जाता है. संक्रमित फसल दूर से ही पीली दिखाई पड़ती है.

कीट से निदान

कीट के नियंत्रण के लिए पौधों की सूखी पत्तियों को समय-समय पर (5वं तथा 7वें महीने) निकालकर जला दें. खेत में पानी के अधिक जमाव को रोका जाना चाहिए, परन्तु यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहे. अत्यधिक खाद के प्रयोग को वर्जित किया जाना चाहिए. कीटनाशक के तौर पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 500 मि.ली. दवा को 1000 लीटर पानी में साथ ही 20 कि.ग्रा. यूरिया के साथ मिलाकर अधिक आक्रमण होने पर छिड़काव करें. यूरिया का उपयोग गन्ने में फ‍िर वृद्धि लाने के लिए किया जाता है.

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