फसलें न सिर्फ किसानों के लिए बल्कि देश के लिए भी एक महत्वपूर्ण संपत्ति हैं जो उनकी खेती करते हैं. अगर फसलें किसानों की संपत्ति है तो नीलगाय उनकी सबसे बड़ी दुश्मन है. रात का अंधेरा हो या फिर दिन का उजाला नीलगाय किसी भी पहर पहुंचकर खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा देती है. इनका आतंक कभी-कभी इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि किसान कई फसलों को लगाना तक छोड़ देते हैं. ऐसे में बबूने के फूल को कई कृषि विशेषज्ञ नीलगाय का बेहतर इलाज मानते हैं. इस फूल की महक से नीलगाय फसलों से दूर रहती हैं.
बबूने के फूल को कैमोमाइल के नाम से भी जानते हैं. इस फूल में एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं. साथ ही इसमें ऐंटी-फंगल, ऐंटी-बैक्टीरियल और ऐंटी-इनफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं जो स्किन को हल्दी रखती हैं और उसमे मौजूद गंदगी को बाहर निकलती हैं. अब यह आपकी स्किन के साथ-साथ नीलगाय को भगाने में मददगार होगा. इसकी वजह है इसकी तेज खुशबू. कृषि विज्ञान केंद्र, लोहाघाट के विशेषज्ञ जंगली पशुओं खासकर नीलगाय को भगाने के लिए बबूने के फूलों का इस्तेमाल करेंगे.
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विशेषज्ञों के अनुसार यह दावा किया जा रहा है कि इन फूलों की खुशबू से जंगली पशुओं को आबादी वाले क्षेत्रा से दूर रखा जा सकेगा. पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली जानवरों के प्रकोप से वहां की हरियाली को बहुत नुकसान पहुंचता है. साथ ही इन पशुओं के डर से लोग पलायन भी कर लेते हैं. इस समस्या का हल शायद अब इन फूलों के जरिए किया जा सकेगा. लोहाघाट कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों के अनुसार बबूने का फूल विशेष प्रकार की महक देता है.
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इसकी खूशबु को जानवर सहन नहीं कर पाते हैं. जिन क्षेत्रों में इन फूलों की उपज होती है वहां ये पशु दूर ही रहते हैं. इसकी खास महक का कारण यह है कि इसके पौधे में फ्रलेनोवाइड्स नाम का एक पदार्थ होता है जो इसकी खुशबू को छोड़ता है. विशेषज्ञों के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में किसान जंगली पशुओं से बहुत परेशान होते हैं. इनके आक्रमण से बचने के लिए समय-समय पर नए-नए एक्सपेरीमेंट किये जा रहे हैं. यह प्रयोग भी इस समस्या को ध्यान में रखकर किया गया था. ऐसा माना जा रहा है कि बबूने की महक इस समस्या को दूर करने में सहायक साबित हो सकती है.
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