भारत में बैंगन की खेती अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के अलावा लगभग सभी जगहों पर की जाती है.बैंगन की सब्जी भारतीय जनसमुदाय में बहुत प्रसिद्ध है. बैंगन को भर्ता, आलू-बैंगन की सब्जी, भरवा बैंगन, फ्राई बैंगन सहित कई तरीकों से पकाया जा सकता है. उत्तर भारत के इलाकों में बैंगन का चोखा बहुत प्रसिद्ध है. विटामिन और खनिजों का अच्छा स्त्रोत है बाज़ार में इसकी हमेशा मांग बनी रहती है. ऐसे में किसानों के लिए मौसंबी की खेत फायदे का सौदा साबित हो सकती है. बैंगन की खेती लगभग देश के सभी राज्यों में की जाती है. लेकिन पश्चिम बंगाल, उडीसा, गुजरात, बिहार और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक होती है.
बैंगन की फसल बाकी फसलों से ज्यादा सख्त होती है. इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्क और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता हैं. ऐसे में किसान साल भर बैंगन की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
बैंगन की शरदकालीन फसल के लिए जुलाई-अगस्त में, ग्रीष्मकालीन फसल के लिए जनवरी-फरवरी में एवं वर्षाकालीन फसल के लिए अप्रैल में बीजों की बुआई की जाती है. एक हेक्टेयर खेत में बैगन की रोपाई के लिए समान्य किस्मों का 250-300 ग्रा. एवं संकर किस्मों का 200-250 ग्रा, बीज पर्याप्त होता है.
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इसकी खेती अच्छे जल निकास युक्त सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है. बैंगन की अच्छी उपज के के लिए, बलुई दोमट से लेकर भारी मिट्टी जिसमें कार्बिनक पदार्थ की पर्याप्त मात्रा हो, उपयुक्त होती है.भूमि का पी.एच मान 5.5-6.0 की बीच होना चाहिए तथा इसमें सिंचाई का उचित प्रबंध होना आवश्यक है.
बैंगन की उन्नत किस्मों की खेती करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकता है. बैंगन की उन्नत किस्मों में पूसा पर्पर लोंग, पूसा पर्पर कलस्टर, पूर्सा हायब्रिड 5, पूसा पर्पर राउंड, पंत रितूराज, पूसा हाईब्रिड-6, पूसा अनमोल आदि शामिल है. एक हेक्टेयर में करीब 450 से 500 ग्राम बीज डालने पर करीब 300-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन मिल जाता है.
बैंगन का अधिक उत्पादन पाने के लिए बैंगन के बीजों का सही रोपण होना चाहिए. दो पौधों के बीच की दूरी का ध्यान रखना चाहिए. दो पौधों और दो कतार के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए. बीज रोपण करने से पहले खेत की अच्छे तरीके से 4 से 5 बार जुताई करके खेत को समतल करना चाहिए. फिर खेत में आवश्यकतानुसार आकार के बैड बनाने चाहिए. बैंगन की खेती में प्रति एकड़ 300 से 400 ग्राम बीजों को डालना चाहिए. बीजों को 1 सेंटीमीटर की गहराई तक बोने के बाद मिट्टी से ढक देना चाहिए.
किस्मों के आधार पर बैंगन के पौधे रोपाई के तक़रीबन 50 से 70 दिन बाद पैदावार शुरू होता है जब इसके पौधों में लगने वाले फलो का रंग आकर्षक दिखाई देने लगे तब उनकी तुड़ाई करनी चाहिये. फलो की तुड़ाई शाम के समय करना उपयुक्त माना जाता है. बैंगन की उन्नत किस्मों के आधार पर 200 से 600 क्विंटल की पैदावार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्राप्त हो जाती है. बैंगन का बाज़ारी भाव 10 रूपए प्रति किलो होता है, जिससे किसान भाई बैंगन की एक बार की फसल से 2 लाख तक की कमाई कर सकते है.
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