प्याज की पत्तियों का कमजोर होकर गिरना एक आम समस्या है. इससे प्याज की फसल के पैदावार को भारी नुकसान होता है. पत्तियों के गिरने के पीछे कई वजहें हैं. इसमें दो कारण सबसे प्रमुख हैं.
पहला कारण, जब प्याज की फसल में अधिक या कम पानी दिया जाए तो इससे पत्तियों पर असर दिखता है. अधिक पानी की वजह से पत्तियां झुक जाती हैं और गिर जाती हैं. कम पानी देने से पत्तियां सूख जाती हैं और बाद में गिर जाती हैं.
दूसरा कारण, प्याज पर ब्लाइट रोग के प्रकोप से पत्तियां गिरने लगती हैं. इस रोग को झुलसा रोग भी कहते हैं. वहीं, पत्तियों के गिरने के पीछे और भी कई कारण हैं. जैसे तापमान में उतार-चढ़ाव, पौधों पर सूर्य की कम रोशनी का पड़ना, पौधों को कम हवा मिलना आदि.
अगर प्याज की पत्तियां गिर रही हैं तो एक वजह फफूंद का प्रकोप भी है. ये फफूंद प्याज की जड़ों पर धावा बोलते हैं. इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनमें गिरने की समस्या देखी जाती है. खेत में अगर पानी की मात्रा अधिक है या खेत में जलजमाव हो तो उससे भी पत्तियां गिरने लगती हैं.
इस समस्या को पहचानने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि पौधे को हिलाकर देखें. कमजोर पत्तियां गिरने लगें तो समझ लें कि या तो पौधे में फफूंद का संक्रमण है या पानी की मात्रा अधिक है. ऐसे में किसानों को फौरन उपचार का उपाय करना चाहिए.
खेत में अधिक मात्रा में या अधिक देर तक पानी जमा न होने दें. प्याज के पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें ताकि पौधों तक बराबर हवा पहुंचती रहे. साथ ही पौधों की रोपाई ऐसी जगह पर करें जहां उपयुक्त मात्रा में धूप मिले.
प्याज के पौधों को नाइट्रोजन वाली खाद दें. साथ ही पौधों पर कवकनाशी दवा का छिड़काव करें. फफूंद को मारने के लिए पौधों की जड़ों में दवा का प्रयोग करें. पत्तों पर भी फफूंद पनपते हैं उन्हें रोकने के लिए सुबह में पौधों को पानी दें ताकि दिन तक पानी नीचे चला जाए और पत्तियां सूख जाएं.
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