मप्र में Assembly Election 2023 की बिसात बिछ चुकी है. चुनाव के मैदान में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला साफ दिख रहा है. ग्रामीण आबादी बहुल एमपी में कांग्रेस और भाजपा, किसानों को अपने पाले में करने के लिए हर पेंतरा अपना रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस ने एमपी सहित देश के सभी राज्यों में जाति जनगणना कराने का वादा किया है. इस बीच भाजपा ने कांग्रेस का यह दांव किसानों पर असरकारी होने की संभावना को देखते हुए गांव गांव जाकर जागरुकता अभियान तेज कर दिया है. इसके तहत किसानों को जाति के जंजाल में न फंसने के लिए समझाया जा रहा है. इस अभियान की कमान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी RSS के आनुषंगिक संगठन भारतीय किसान संघ और भाजपा किसान मोर्चा को सौंपी गई है.
एमपी में ग्रामीण तबके की आबादी के लिहाज से ग्वालियर चंबल संभाग की 34 विधानसभा सीटें बेहद अहम मानी जाती हैं. इस इलाके के 9 जिलों में किसानों के वोट बैंक को साधने में जाति जनगणना कराने की कांग्रेस की घोषणा असरकारी साबित हो सकती है. जानकारों की राय में पिछड़ी और अनुसूचित जातियों की बहुलता वाले इस इलाके में मतदाताओं के बीच जाति जनगणना का मुद्दा चर्चा का विषय है.
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ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के मैथाना गांव में प्रगतिशील किसान राम सिंह किरार ने बताया कि कांग्रेस ने जब से जाति जनगणना का चुनावी वादा किया है, तभी से गांव के लोगों में इसकी चर्चा है. किरार ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से भारतीय किसान संघ और भाजपा किसान मोर्चा के कार्यकर्ता लगातार गांव में आ रहे हैं और किसानों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे जाति के जाल में न फंसे. यह कांग्रेस का एक शिगूफा मात्र है.
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चंबल संभाग की 34 में से 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि भाजपा को महज 7 और बसपा को एक सीट मिली थी. कांग्रेस इस इलाके में पिछले चुनाव की बढ़त को बरकरार रखने के लिए जाति जनगणना को ब्रह्मस्त्र के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है.
भारतीय किसान संघ के चंबल संभाग के अध्यक्ष बृजेश रघुवंशी ने बताया कि उनके संगठन के कार्यकर्ता न केवल ग्वालियर चंबल संभाग में बल्कि पूरे प्रदेश गांव गांव जाकर किसानों से जातियों में न बंटने के लिए आगाह कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसान की एकमात्र जाति 'किसानी' होती है. इसलिए किसानों को यह बताया जा रहा है कि उनके दूरगामी हितों को ध्यान में रखते हुए जाति में बंटना बेहद घातक होगा.
रघुवंशी ने कहा कि हम किसानों से कह रहे हैं कि वे भाजपा और कांग्रेस दोनों की नीति और नीयत को अपने हितों की कसौटी पर कसें. यदि उन्हें लगता है कि भाजपा की 18 साल की सरकार में उनके हितों की अनदेखी हुई है तो वे बेशक भाजपा को वोट न दें. मगर, किसानों को महज जाति के आधार पर अपना मत निर्धारण करने से बचना होगा. यह उनके भविष्य के लिए बेहतर होगा.
जाति जनगणना के कांग्रेस के दांव को भ्रामक बताते भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश केशवानी ने कहा कि देश और प्रदेश की सत्ता में दशकों तक काबिज रही कांग्रेस को अब 2023 में जाकर जाति जनगणना कराने की याद क्यों आई. उन्होंने कहा कि भाजपा विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की पक्षधर है, लेकिन इस मुद्दे पर कांग्रेस पिछले कई चुनाव लगातार हार रही है, इसलिए किसानों सहित समाज के अन्य वर्गों का ध्यान विकास से हटाने के लिए कांग्रेस ने जाति में मतदाताओं को बांटने का शिगूफा छोड़ा है. वहीं, कांग्रेस की प्रदेश इकाई के सह मीडिया प्रभारी आरपी सिंह ने भाजपा की इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जाति जनगणना किसी दल की नहीं, बल्कि समय की मांग है. इसे समय रहते पूरा करना हर सत्ताधारी दल का फर्ज है. भाजपा के पास यह माैका था, लेकिन जनता की इस मांग को नजरंदाज किया गया.
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चंबल संभाग के दतिया जिले में ''किसान तक चौपाल'' में चिरूला और गांधारी गांव के सरपंचों ने शिरकत करते हुए कहा कि किसान अपना हित बखूबी समझते हैं. गांधारी के सरपंच हरी सिंह केवट ने कहा कि किसान हो या समाज का कोई अन्य वर्ग हो, सभी समुदाय जातियों में बंंटे हैं, यह एक सच है. केवट ने कहा कि पिछड़ी जातियां सदियो से अपने हक के लिए संघर्षरत हैं, ऐसे में जाति जनगणना का मुद्दा ग्रामीण मतदाताओं के संज्ञान में है.
चिरूला के सरपंच बृजेंद्र दुबे ने कहा कि किसान अब जागरुक हो चुका है. उसे यह मालूम है कि भाजपा और कांग्रेस में से किसकी नीति और नियत उनके हक में है. इसलिए, भाजपा, कांग्रेस या कोई अन्य दल किसानों को भ्रम जाल में तो नहीं फंसा सकते हैं. उन्होंने कहा कि यदि सामाजिक उत्थान में पिछड़ी जातियों को अब तक अपने हक के लिए लड़ना पड़ रहा है, ताे निश्चित रूप से अब तक की सरकारों की नीतियां ही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार रही हैं. किसानों को अब खुद ही अपने भविष्य का फैसला करना है और उन्हें भरोसा है कि किसान पूरी समझदारी से अपना फैसला करेंगे.
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