भांग को पवित्र पौधे के रूप में भी माना जाता है.भाग का इस्तेमाल धार्मिक कार्यों के साथ-साथ नशे के लिए भी होता है. वहीं अब भांग के पौधों से तैयार रेशों से कपड़े बनने लगे हैं. भांग से बनने वाले (Hemp clothes) कपड़ोंं में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं. इन कपड़ों के उपयोग से त्वचा संबंधी कई बीमारियां में लाभ मिलता है. उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले आयुष ने भांग के पौधों से रेशे निकालकर कपड़े बनाने का काम शुरू किया है. वे प्रदेश के इकलौते युवा हैंं, जो अपने स्टार्टअप के जरिए भांग से जुड़े हुए कई उपयोगी सामान तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि भांग से तैयार रेशे इतने मजबूत होते हैं कि इनसे बनने वाले कपड़े टिकाऊ होते हैं. आयुष कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में भी भांग की उपलब्धता काफी है, जिसके रेशों से तैयार कपड़े कपास का एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं.
भांग के तने और डंठल से तैयार रेशों से अब कपड़े बनने लगे हैं. अभी तक पूरे विश्व में चीन ने भांग से तैयार कपड़ों के व्यवसायिक उत्पादन में महारत हासिल की है. इसी दिशा में उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले आयुष सिंह काम कर रहे हैं. उन्होंने अपने स्टार्टअप भारत एग्रो के जरिए भांग के तनों के रेशों से कपड़े तैयार किए हैं. यहां तक कि बीज से तेल और प्रोटीन पाउडर तैयार किया है, जिसकी बाजार में काफी ज्यादा मांग है. उन्होंने किसान तक को बताया कि वे भांग से अलग अलग तरह के हैंडमेड कपड़े तैयार कर रहे है.
कपास की खेती महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर होती है. वहीं इसकी खेती में कुल 7 महीने लगते हैं, जबकि भांग का पौधा केवल 4 महीने में ही तैयार हो जाता है. भांग के पौधे से तैयार रेशा विश्व के सबसे मजबूत रेशों में जाना जाता है. कपास के विकल्प के रूप में भांग एक सस्ता और मजबूत विकल्प है. भांग से बनी हुई चीजें इको फ्रेंडली है और इनसे बने कपड़े मजबूती के साथ-साथ जल्दी खराब भी नहीं होते हैं.
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भांग से बने हुए कपड़े एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल होते हैं, जिनके के उपयोग से शरीर के त्वचा रोगों में यह लाभ पहुंचाते हैं. भांग के रेशों से कपड़े बनाने वाले आयुष सिंह ने किसान तक को बताया कि भांग से बने हुए कपड़े कैंसर रोधी भी माने जाते हैं क्योंकि इसमें की केमिकल, डाई का इस्तेमाल नहीं होता है. गर्मी के मौसम में यह कपड़े बदन को ठंडा रखने का काम करते हैं, जबकि सर्दियों में यह शरीर को गर्मी देते हैं.
भांग एक ऐसा पौधा है, जिसके जड़ से लेकर पत्तियों तक सब कुछ उपयोगी है. भांग में नशा सिर्फ पत्तियों में होता है, जबकि कपड़े को तैयार करने के लिए भांग के पौधों के तनों और डंठल और जड़ों का इस्तेमाल होता है. वहीं इसके बीज से तेल तैयार होता है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय मार्केट में काफी ज्यादा कीमत है. इसके अलावा कई आयुर्वेदिक औषधियों में भांग के बीज, पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है.
उत्तर प्रदेश में भांग की खेती को प्रतिबंधित माना जाता है. यहां भांग का इस्तेमाल ज्यादातर नशे के रूप में होता है. वहीं भांग के पौधे के उपयोग से कपड़े तेल यहां तक कि आयुर्वेदिक औषधियों में इसके बढ़ते प्रयोग के चलते उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सरकार इसकी खेती को मंजूरी देने की तैयारी में जुटी हुई है. इन दोनों ही प्रदेशों में भांग से खाद्य पदार्थ ही नहीं बल्कि कई तरह के वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट भी तैयार किए जा रहे हैं.
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