यूपी में पूर्वांचल के केला किसान लंबे समय से केले की उन्नत पौध की कमी की समस्या का सामना कर रहे थे. किसानों को इससे निजात दिलाने के लिए योगी सरकार ने कौशांबी में अत्याधुनिक टिश्यू कल्चर लैब स्थापित करने की पूर्वांचल के केला किसानों की मांग को पूरा कर दिया है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि इस लैब को 2.83 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. इसमें एक करोड़ रुपये उद्यान विभाग ने अनुदान दिया है. इस लैब से पूर्वांचल के केला किसानों को हर साल केले की उन्नत पौध के रूप में 30 लाख पौधे मिल सकेंगे.
सरकार की ओर से बताया गया कि यूपी में अधिक आय देने वाली फसलों को बढ़ावा देने के क्रम में टिश्यू कल्चर से उपजाए गए उन्नत पौधे और बीज किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने पूर्वांचल के केले किसानों को टिश्यू कल्चर लैब की सौगात दी है.
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प्रयागराज मंडल में उद्यान विभाग के उप निदेशक कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि केले की खेती के लिए प्रयागराज मंडल में माकूल हालात हैं. इसलिए इस मंडल के किसानों का रुझान केले की खेती के प्रति लगातार बढ़ रहा है. इस मंडल के अकेले कौशांबी जिले में ही लगभग 1500 किसान 1700 हेक्टेयर जमीन के रकबे पर केले की खेती कर रहे हैं.
चौधरी बताते हैं कि समूचे मंडल में बागवानी किसान केले की खेती के प्रति सकारात्मक रुख रखते हैं, लेकिन उच्च गुणवत्ता वाली पौध की कमी के कारण किसान इसकी खेती करने से हिचक रहे थे. मगर अब पर्याप्त क्षमता वाली लैब स्थापित होने से मंडल के किसानों में केले की खेती के प्रति रुझान बढ़ना तय है. चौधरी ने दावा किया कि इस लैब से अब बेहतर गुणवत्ता वाली पौध की कमी को न केवल प्रयागराज मंडल में, बल्कि समूचे पूर्वांचल में दूर किया जा सकेगा.
चौधरी ने बताया कि एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत कौशाम्बी जिले में स्थापित टिश्यू कल्चर केला लैब का सत्यापन उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की टीम ने करने के बाद इसके संचालन को हरी झंडी दे दी है. इस लैब के शुरू होने से पूर्वांचल में केला की पौध किसानों को समय से उपलब्ध होने लगेगी.
इस लैब में पहले साल में लगभग 15 लाख टिश्यू कल्चर पौधे तैयार होंगे. चौधरी ने कहा कि अगले वर्ष हार्डेनिंग के उपरान्त यह लैब अपनी पूरी क्षमता से 30 लाख पौधे सालाना तैयार करने लगेगी. इससे किसानों को समय से उच्च गुणवत्ता की पौध मिलना सुनिश्चित होने से केला उत्पादन में वृद्धि होगी, साथ ही किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी.
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मूरतगंज के केला किसान समद ने बताया कि अभी तक इस इलाके में केले के टिशू कल्चर पौधे बाहरी राज्यों से मंगाने पड़ते थे. इसमें ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ने से किसानों की कृषि लागत बढ़ जाती थी. अब पौध की स्थानीय उपलब्धता होने से कम कीमत पर ही उन्हें टिश्यू कल्चर की पौध मिल जाएगी.
सैयद सरावां गांव में केला की खेती कर रहे किसान सुरेश बिंद बताते हैं कि बाहर से आने वाली केले की पौध के यहां पहुंचने में कई बार विलंब हो जाता था और भारी मात्रा में पौधे खराब भी हो जाते थे. इससे किसानों को काफी महंगी पौध खरीदनी पड़ती थी. साथ ही बाहर से आने वाली टिश्यू कल्चर पौध में वहां की बीमारियां भी साथ चली आती थी. अब स्थानीय टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना से इन समस्याओं का सामना किसानों को नहीं करना पड़ेगा.
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