दुनिया आधुनिकता की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रही है. इसके साथ ही हर क्षेत्र में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में गन्ने से बनाया जा रहा इथेनॉल एनर्जी का प्रमुख स्त्रोत बन कर उभरा है. असल में बीते सालोंं में केंद्र सरकार पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने की मंजूरी दे चुकी है. जिसके बाद ऑटो कंपनियां अब इस तरह के इंजन बना रही है, जो इथेनॉल आधारित ग्रीन एनर्जी पर चलेंगे. ऐसे में एनर्जी के तौर पर इथेनॉल की मांग बढ़ने जा रही है. तो वहीं इसके साथ ही इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने की रूपरेखा भी बनने लगी है. जिसमें गन्ने के साथ ही कई फसलों से इथेनॉल बनाए जाने की संभावनाओं पर काम हो रहा है, इससे किसानों को फायदा मिलेगा.
खेती किसानी में लगे किसानों का मुनाफा बढ़ाने के लिए सरकारें भी प्रयासरत हैं. लेकिन, इथेनॉल को कृषि सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दरअसल अभी तक शुगर मिलों में गन्ने से इथेनॉल बनाया जाता है. इस इथेनॉल से बने ईंधन का उपयोग आप वाहनों में कर सकते हैं, जो प्रकृति के और मानव स्वास्थ के लिए अनुकूल बताया गया है. वहीं अब गन्ना सहित लगभग 8 कृषि उत्पादों से इथेनॉल बनाए जाने की तैयारी है. इससे किसानों को उनकी फसल के बेहतर दाम मिलेंगे.
शुगर मिलों में अभी तक गन्ने से इथेनॉल बनाया जा रहा है. वहीं अब लगभग 8 तरह के अनाज और फल- सब्जियों से भी इथेनॉल बनाए जाने की तैयारी है. इसमें गन्ना, आलू, चुकंदर, मक्का, ज्वार, गेहूं, चावल और बांस शामिल है. इन फसलों का उत्पादन करने वाले देश के किसान अब न सिर्फ अन्नदाता बनेंगे बल्कि ऊर्जादाता भी बनेंगे. आइए जानते हैं इथेनॉल को ईंधन के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदूषण कम करने और देश के अलग- अलग क्षेत्रों का विकास करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. वो कई बार कह चुके हैं कि देश में इथेनॉल को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना संभव है. इसके लिए उन्होंने रशिया में इथेनॉल की उपयोगिता को देखते हुए पेट्रोलियम विभाग के जानकार लोगों के साथ मिलकर पूरी योजना बनाई है. उसी तर्ज पर भारत में भी इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
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भारत में अभी पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने की प्रक्रिया तीसरे चरण में है. जिसके तहत अभी 80 फीसदी पेट्रोल में 20 इथेनॉल मिलाने की मंजूरी दी गई है. वहीं भविष्य में चौथे चरण लागू किया जाना है. जिसमें केवल 20 प्रतिशत पेट्रोल और 80 प्रतिशत इथेनॉल का उपयोग किया जाना है और इससे माइलेज में भी कोई कमी नहीं आएगी.
हमने बताया कि इथेनॉल बनाने के लिए अनाजों और फल- सब्जियों का उपयोग होगा, जिससे खेती को बढ़ावा मिलेगा और किसानों फसल की खरीदी में भी कई तरह का आसान प्रावधान दिए जाएंगे. इसके प्रदूषण को कम किया जा सकेगा. साथ ही देश में ईंधन के आयात पर भी कमी आएगी. जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि ईंधन आयात में कमी आने से पैसों की बचत होगी. इन पैसों का उपयोग एग्रीकल्चर सेक्टर के विकास में लगाए जाएंगे.
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