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एआई तकनीक से उगाई गईं सब्जियां, महाराष्ट्र में पहली बार हुआ प्रयोग

एआई तकनीक से उगाई गईं सब्जियां, महाराष्ट्र में पहली बार हुआ प्रयोग

भारत में पहली बार महाराष्ट्र के बारामती जिले में गन्ने के साथ-साथ भिंडी, टमाटर, मिर्च, तरबूज, कद्दू, फूल, पत्तागोभी जैसी फसलें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तकनीकी से उगाई गई हैं.  बारामती में पहली बार कृषि में किया गया यहा प्रयोग सफल भी रहा है. 

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एआई तकनीक से उगाई गईं सब्जियां एआई तकनीक से उगाई गईं सब्जियां

पिछले कुछ महीनों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की हर क्षेत्र में चर्चा में है. विशेष रूप से डीपफेक वीडियो फीचर के बाद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को और भी अधिक प्रचार मिला. हालांकि कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केवल मनोरंजन क्षेत्र में ही होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. भारत में पहली बार महाराष्ट्र के बारामती जिले में गन्ने के साथ-साथ भिंडी, टमाटर, मिर्च, तरबूज, कद्दू, फूल, पत्तागोभी जैसी फसलें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तकनीकी से उगाई गई हैं.  बारामती में पहली बार कृषि में किया गया यहा प्रयोग सफल भी रहा है. इसमें हर फसल की योजना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाई गई है. और वो फसल प्रबंधन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ही किया जा रहा है. 

इसके परिणाम भी अच्छे मिलने रहे हैं भिंडी जैसी ठंड प्रतिरोधी फसलें वर्तमान में अच्छी स्थिति में उग रही हैं. इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ तुषार जाधव ने बताया कि विभिन्न फसलों में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया गया है. इसमें विभिन्न प्रकार के सेंसर हैं, ज‍िनसे फसलों के बारे में जानने में म‍दद म‍िलती है. इसमें मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पलाश, हवा का तापमान और हवा की गति और हवा की नमी को मापने की प्रणाली के साथ-साथ वायु रोगों की सूक्ष्म निगरानी के लिए भी सेंसर हैं.

फसलों के लिए कैसे काम करता है एआई

इसके साथ ही इसमें एक सेंसर प्रणाली है जो पानी को मापती है, मिट्टी की लवणता की जांच करती है और मिट्टी में फसलों को प्रभावित करने वाली विद्युत चालकता की भी जांच करती है. यह सिस्टम हर आधे घंटे में जमीन और जमीन के बाहर और हवा में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी सेंसर के जरिए सैटेलाइट को और सैटेलाइट के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटर को भेजता है. उससे, एआई प्रणाली संबंधित किसान को पर्याप्त जानकारी प्रदान करती है कि वास्तव में फसल में क्या कमी है और कितनी आपूर्ति की आवश्यकता है. उसके माध्यम से मिट्टी में कितना पानी देना है, कितना उर्वरक देना है, किस प्रकार का उर्वरक देना है और कितना देना है, इसकी पूरी योजना बनाई जाती है.

भारत में पहली बार किया गया प्रयोग 

बारामती में किया गया यह प्रयोग भारत में पहली बार किया जा रहा है. इसे दुनिया का पहला प्रयोग माना जा रहा है. इस बीच, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी खेती में एआई के इस्तेमाल की पहल की है और बारामती में एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट ट्रस्ट और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बीच इस संबंध में प्रयोग चल रहे हैं. इसका एक हिस्सा यह है कि इस वर्ष कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित कृषि प्रदर्शनी में एआई का खेती में इस्तेमाल करने की अवधारणा दी गई.