ट्रैक्टर को खटारा होने से बचाएं, खिलावन भैया से सीखें रखरखाव के तरीके

ट्रैक्टर को खटारा होने से बचाएं, खिलावन भैया से सीखें रखरखाव के तरीके

ट्रैक्टर का रखरखाव कैसे किया जाता है ये आपको आज टिकचिकपुर गांव के खिलावन और ठिलावन की कहानी के माध्यम से बताते हैं. इस कहानी में जो काम ठिलावन ने किया आप वे गलतियां कभी ना करें. खिलावन ने अपने ट्रैक्टर का रखरखाव कैसे किया, ये इस कहानी में जानिए.

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ट्रैक्टर को खटारा होने से बचाएं, खिलावन भैया से सीखें रखरखाव के तरीकेट्रैक्टर के रखरखाव की टिप्स

शहर से बहुत दूर एक गांव है. गांव का नाम है टिकचिकपुर. इस गांव में ज्यादातर किसानों के पास खेती के लिए एक से बढ़कर एक ट्रैक्टर हैं. लेकिन टिकचिकपुर गांव में दो किसान भाई हैं. एक का नाम खिलावन और दूसरे का नाम ठिलावन है. खिलावन और ठिलावन का गांव में बड़ा नाम है. इस नाम का कारण हैं उनके ट्रैक्टर. दोनों भाइयों ने एक साथ दो नए ट्रैक्टर खरीदे, लेकिन अब 5 सालों बाद खिलावन और ठिलावन के ट्रैक्टरों की हालत में गाजर और गाजर घास के जितना फर्क आ गया है.

जहां एक ओर खिलावन का ट्रैक्टर 5 साल के बाद खेतों में धर्राटे मारने के बाद भी एक दम नए जैसा दिखता और चलता है, लेकिन ठिलावन का ट्रैक्टर 5 साल में ही ठेलकर स्टार्ट होने लगा है. अब खिलावन ने अपने ट्रैक्टर को कैसे चकाचक रखा और ठिलावन ने कैसे अपना ट्रैक्टर खटारा कर लिया, ये हम आपको बताने वाले हैं. 

खिलावन ने कैसे किया ट्रैक्टर मेनटेन?

दरअसल, खिलावन अपने ट्रैक्टर से बहुत प्रेम करता है और उसके रखरखाव के लिए बहुत सारी बातों का ध्यान रखता है. खिलावन जब भी खेत में ट्रैक्टर से काम करके घर आता तो हमेशा साफ करके जरूर रखता है. 

खिलावन हर हफ्ते-दो हफ्ते में ट्रैक्टर का इंजन ऑयल जरूर चेक करता है. क्योंकि इंजन ऑयल ट्रैक्टर की सेहत के लिए सबसे जरूरी चीज होती है. अगर ऑयल का स्तर कम हो रहा हो या ऑयल गंदा दिख रहा हो तो खिलावन अपने ट्रैक्टर में तुरंत इंजन ऑयल डाल देता है. इसके साथ ही खिलावन अपने ट्रैक्टर में हमेशा सही ग्रेड का ही इंजन ऑयल डालता है. ऐसा करने से खिलावन का ट्रैक्टर गर्मी में ना तो ज्यादा हीट होता और डीजल की खपत भी कम करता है.

इतना ही नहीं अपने ट्रैक्टर से काम खत्म करने के बाद अगर खिलावन इसे कई दिनों के लिए खड़ा करने वाला है तो वह हमेशा ट्रैक्टर की ग्रीसिंग जरूर करता है. ट्रैक्टर के उन सारे पार्ट्स पर वह ग्रीस और ऑयलिंग जरूर करता है, जहां हाथ पहुंच सकता है. स्टीयरिंग, थ्रोटल, ब्रेक, क्लच, गियर और हाइड्रोलिक सिस्टम पर खासतौर पर ग्रीसिंग करता है. 

इसके साथ ही खिलावन अपने ट्रैक्टर की कूलिंग का भी ध्यान रखता है. वह ट्रैक्टर स्टार्ट करने से पहले हमेशा रेडिएटर में पानी चेक करता है. अगर जरा भी कम लगता है तो इसे तुरंत रीफिल करता है. इसके अलावा खिलावन ट्रैक्टर की बैट्री का पानी भी चेक करता रहता है, ताकि चाबी लगाते ही खट से स्टार्ट हो जाए. खिलावन ट्रैक्टर की बैट्री में कभी डिस्टिल्ड वाटर के अलावा कुछ और नहीं डालता है.

खिलावन का ट्रैक्टर बड़ा अच्छा माइलेज देता है. इसका कारण है कि वह अपने ट्रैक्टर के एयर फिल्टर को हर हफ्ते खोलकर साफ करता है और अगर फिल्टर ज्यादा खराब हो जाता है तो नया लगा देता है. इसके साथ ही खिलावन अपने ट्रैक्टर के इंजन की ड्राइव बेल्ट की भी जांच करता है. अगर ये ढीली या घिस रही हो तो फौरन बदल देता है.

ट्रैक्टर के इंजन के साथ ही खिलावन टायरों का भी ध्यान रख्ता है. वह हर 10 दिनों में टायरों में हवा चेक करवाता है और हमेशा सही एयर प्रेशर पर ही ट्रैक्टर से काम लेता है. साथ ही सभी टायरों में कट और क्रैक भी देखता है. सबसे जरूरी चीज ये कि खिलावन अपने ट्रैक्टर की नियमित रूप से सर्विस करवाता रहता है.

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अब जानिए कि ठिलावन का ट्रैक्टर कैसे खटारा हुआ?

ठिलावन ने भाई खिलावन की देखा-देखी ट्रैक्टर खरीद तो लिया लेकिन उसका रखरखाव नहीं कर पाया. ठिलावन अपने ट्रैक्टर से खेत में काम लेता और बस ऐसे ही खड़ा कर देता था. फिर चाहे ट्रैक्टर 15 दिन खड़ा रहे या एक महीना. ठिलावन को ना तो कभी ट्रैक्टर के ग्रीसिंग करने की चिंता होती और ना ही उसकी साफ सफाई की चिंता. 

ठिलावन अपने ट्रैक्टर की सर्विसिंग में भी हमेशा लापरवाही करता है. एयर फिल्टर की कभी सफाई ना करना और टायरों में सही एयर प्रेशर ना रखने की वजह से ठिलावन का ट्रैक्टर डीजल की खपत भी बहुत करता है. कभी इंजन ऑयल और रेडिएटर चेक ना करने की वजह से उसका ट्रैक्टर ओवर हीट का भी शिकार हो जाता और कई बार तो बंद भी पड़ जाता है.

इसके आलावा जब ठिलावन ने अपने ट्रैक्टर की बैट्री का पानी तक चेक नहीं किया तो दो साल में उसकी बैट्री भी खराब हो गई. अब आलम ये है कि ठिलावन को जब भी अपना ट्रैक्टर स्टार्ट करना होता तो वह गांव के कुछ दूसरे किसान और भाई खिलावन को बुलाता है. जब सब मिलकर ठिलावन के ट्रैक्टर को ठेलते, तब जाकर वह स्टार्ट होता है.

तो आप भी खिलावन और ठिलावन के ट्रैक्टर की कहानी से सीखकर समझ गए होंगे कि अपने ट्रैक्टर का रखरखाव कैसे करना है और किन बातों का ध्यान रखना है. 

नोट- इस खबर में उपयुक्त सभी नाम काल्पनिक हैं.

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