Tractor Buying Tips: सिर्फ हॉर्स पावर देखकर ही ना खरीदें ट्रैक्टर, इस चीज पर गौर करना जरूरी

Tractor Buying Tips: सिर्फ हॉर्स पावर देखकर ही ना खरीदें ट्रैक्टर, इस चीज पर गौर करना जरूरी

जब भी किसान ट्रैक्टर लेते हैं तो हमेशा इसके इंजन का हॉर्स पावर चेक करते हैं. लेकिन बहुत कम ही लोग हैं जो ट्रैक्टर लेते वक्त इसके टॉर्क पर ध्यान देते होंगे. असल मायने में किसी भी ट्रैक्टर की ताकत इसके टॉर्क से ही पता लगती है. इसलिए आज हम आपको ये बताएंगे कि ट्रैक्टर लेते वक्त सिर्फ HP देखने के बजाय टॉर्क चेक करना क्यों जरूरी है.

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सिर्फ हॉर्स पावर देखकर ही ना खरीदें ट्रैक्टर, इस चीज पर गौर करना बहुत जरूरीट्रैक्टर खरीदने की टिप्स

किसान ट्रैक्टर नया ले रहा हो या फिर पुराना, इसे खरीदने से पहले सबसे वह ट्रैक्टर का हॉर्स पावर जरूर पूछता है. ज्यादातर किसान हॉर्स पावर से ही ट्रैक्टर की शक्ति मापते हैं. इतना ही नहीं ट्रैक्टरों की कैटेगरी भी इनके HP के हिसाब से ही तय होती है. जैसे-जैसे ट्रैक्टर के HP बढ़ते जाएंगे, इसके दाम और कैटेगरी भी उतनी ही बढ़ते जाएंगे. इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि आप भी ट्रैक्टर लेने से पहले इसके हॉर्स पावर जरूर चेक करते होंगे. मगर ट्रैक्टर के इंजन की एक और चीज होती है जो हॉर्स पावर से भी ज्यादा जरूरी होती है और यही वो चीज है जो ट्रैक्टर की असली ताकत का प्रमाण होती है. इंजन की यूनिट को टॉर्क कहा जाता है. आज हम आपको यही बताएंगे कि ट्रैक्टर में HP से ज्यादा जरूरी टॉर्क क्यों होता है. 

क्या होता है टॉर्क?

आसान भाषा में कहा जाए तो हॉर्स पावर वो शक्ति होती है जो मशीन को स्पीड या राउंड देने में काम आती है, लेकिन टॉर्क वो ताकत होता है जो मशीन से भार खींचने या भारी काम करवाने में मदद करता है. मानिए कि ट्रैक्टर को दौड़ाने में जहां HP की जरूरत होती है, तो वहीं ट्रैक्टर में ट्रॉली पर भारी माल रखकर ढोने में टॉर्क की जरूरत होती है. इंजन में जितना ज्यादा टॉर्क होगा, ये उतने ही भारी से भारी काम करने में सक्षम होता है. टॉर्क आपके ट्रैक्टर को कम से कम स्पीड में भारी से भारी काम करने की ताकत देता है. यही वजह है कि ट्रैक्टर में टॉर्क अच्छा होगा तो ये आसानी से खेती के सारे उपकरण चला सकेगा और ज्यादा से ज्यादा माल ढो सकेगा.

टॉर्क कैसे मापा जाता है?

किसी भी इंजन का टॉर्क मापने के लिए न्यूटन मीटर (Nm) का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा हर इंजन का टॉर्क इसके राउंड पर मिनट (RPM) पर निर्भर होता है. RPM का मतलब ये हुआ कि उस इंजन की मेन शाफ्ट एक मिनट में कितने राउंड घूम रही है. डीजल इंजन में RPM कम होते हैं वहीं पेट्रोल इंजन में RPM बहुत हाई होते हैं. आमतौर पर ट्रैक्टरों में कम से कम 1000 RPM तो होते ही हैं. आपका ट्रैक्टर कितने RPM पर अधिकतम टॉर्क निकालेगा, ये इसके मैनुअल पर लिखा मिल जाएगा.

ट्रैक्टर चुनते वक्त क्यों देखें टॉर्क?

कोई भी किसान ट्रैक्टर खेती के भारी-भरकम काम के लिए ही लेता है. इसलिए इसे तेज चलाने की बजाय ज्यादा भार खींचने और उठाने लायक होना चाहिए. जैसे आपके ट्रैक्टर में HP ज्यादा है और टॉर्क कम है तो ये सड़क पर तो माल से भरी ट्रॉली खींच लेगा, लेकिन अगर चढ़ाई है या फिर रास्ता फिसलन भरा या फिर सही नहीं है तो फिर ट्रैक्टर माल से भरी टॉली खींचने में असमर्थ हो जाएगा. ऐसे में अगर ट्रैक्टर में टॉर्क अच्छा होगा तो ये चढ़ाई से लेकर हर विपरीत हालात में भारी से भारी काम कर लेगा. ट्रैक्टर में टॉर्क ज्यादा होगा तो ये कम से कम स्पीड में भी हेवी इंप्लीमेंट या भरी ट्रॉली आसानी से खींच लेगा.

अगर आपके सामने दो ट्रैक्टर हैं और दोनों के ही इंजन 35-35 HP के हैं तो आप इनके टॉर्क चेक करें. अगर एक का इंजन 35 HP और 210 Nm का है और दूसरा इंजन 35 HP और 225 Nm का है तो दूसरा वाला ट्रैक्टर ज्यादा ताकतवर माना जाएगा, क्योंकि इसका टॉर्क ज्यादा है. कई बार तो कुछ इंजन अपने से 2-4 HP बड़े इंजन के बराबर भी टॉर्क निकाल देते हैं.

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