जैविक खेती के लाभ के बारे में आप सबने सुना ही होगा. जैविक खेती का मतलब खेतों पर रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशक और खरपतवार नाशक का उपयोग न कर जीवांश युक्त खादों का प्रयोग किया जाता है. इससे मिट्टी और पर्यावरण के प्रदूषण को कम किया जाता है. साथ ही इस पद्धति से की गई खेती से होने वाली उपज अधिक पौष्टिक होती है. लगातार सरकार द्वारा इस पद्धति को बढ़ावा देने का प्रयास भी किया जा रहा है. लेकिन, लोगों को जैविक खेती के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, आइए जानते हैं जैविक खेती करने की विधि के बारे में.
कोई भी खेती करने का पहला चरण होता है खेत की अच्छी और गहरी जुताई करना जिससे मिट्टी का पलटाव हो, ऐसा करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति लंबे समय तक बनी रहेगी खेतों की जुताई के बाद इसकी पुरानी फसल के अवशेष को पूरी तरह से हटा कर साफ कर देना चाहिए.
ये भी पढें स्मार्ट किसान ने लगाया बॉयोगैस प्लांट, अब पूरे गांव का मुफ्त में बन रहा है खाना
खेतों की बुआई के लिए प्रतिरोधी फसलों की बुआई करना चाहिए. साथ ही खेत में किसी भी तरह के रसायनों का उपयोग न कर प्राकृतिक तरीके से बनाई गई गोबर की खाद या हरी खाद का प्रयोग करना चाहिए. साथ ही जैविक रूप से बनाए गए कीटनाशक का इस्तेमाल करें. इसके अलावा उपलब्ध जल संसाधनों का सावधानीपूर्वक उपयोग करें. साथ ही वर्षा जल का संरक्षण करने का भी प्रयास करना चाहिए.
जैविक खेती के लिए पशुधन को बढ़ावा मिलता है. आप सीमित संख्या में स्वस्थ पशुओं को पालने से आपको खाद बना सकते हैं. साथ ही आपको शुद्ध दूध भी मिलेगा. सबसे जरूरी चीज यह है कि ऐरा प्रथा पर अंकुश लगाया जा सकेगा. लोग इस्तेमाल के बाद पशुओं को सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं जो खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. जिससे हर साल भारी मात्रा में फसलें तबाह हो रही हैं, पशुपालन से ऐरा प्रथा को कम किया जा सकेगा.
जैविक खेती में किसी तरह के रसायनों का प्रयोग नहीं होता जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा इसके साथ- साथ अधिक रसायनों के इस्तेमाल से पर्यावरण पर भी इसके प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में कमी आती है. जैविक खेती कर इस पर अंकुश लगाया जा सकता है.
ये भी पढ़ें एक किलो मिल्क पाउडर, रिफाइंड तेल और सोडा...धनबाद में ऐसे बन रहा नकली दूध
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today