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प्याज की खेती का खर्च आधा कर देगी ये मशीन, लेबर और समय की भी होगी बचत

प्याज की खेती का खर्च आधा कर देगी ये मशीन, लेबर और समय की भी होगी बचत

प्याज की खेती के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है. लेकिन अच्छी जल निकासी, नमी धारण क्षमता और कार्बनिक पदार्थ से भरपूर दोमट मिट्टी आदर्श मानी जाती है. प्याज की खेती के लिए मिट्टी का आदर्श pH मान 6 - 7 के बीच होता है. प्याज की खेती भारत के निम्नलिखित राज्यों में की जाती है जिनमें महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और बिहार आदि शामिल हैं.

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प्याज की खेती में करें इस मशीन का इस्तेमाल प्याज की खेती में करें इस मशीन का इस्तेमाल

प्याज सब्जी और मसाले दोनों ही रूप में एक महत्वपूर्ण फसल है. इसमें कुछ मात्रा में प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं. इसके अलावा प्याज में कई प्रकार के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. इसका उपयोग सलाद, अचार और सूप में किया जाता है. प्याज की खेती भारत के निम्नलिखित राज्यों में की जाती है जिनमें महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और बिहार आदि शामिल हैं. भारत में प्याज का उत्पादन सबसे अधिक मध्य प्रदेश राज्य में किया जाता है.

प्याज की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

प्याज की खेती के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है. लेकिन अच्छी जल निकासी, नमी धारण क्षमता और कार्बनिक पदार्थ से भरपूर दोमट मिट्टी आदर्श मानी जाती है. प्याज की खेती के लिए मिट्टी का आदर्श pH मान 6 - 7 के बीच होता है. वहीं प्याज की खेती में खर्च की बात करें तो किसानों का अच्छा खासा पैसा प्याज की तुड़ाई में चला जाता है. इस खर्च को कम करने के लिए किसान इन मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये ना सिर्फ खर्च को कम करेगी बल्कि लेबर और समय की भी बचत होगी. क्या है ये मशीन और इसकी खासियत आइए जानते हैं. 

ICAR ने तैयार की ये मशीन

कम लागत में अधिक प्याज लगाने के लिए ICAR ने ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन तैयार की है. आपको बता दें प्याज भारत की एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक सब्जी फसल है. जिसे तीन प्रकारों में बांटा गया है, जैसे सामान्य प्याज, छोटा प्याज और आम प्याज. छोटे प्याज को मद्रासी प्याज भी कहा जाता है. मल्टीप्लायर प्याज, 5-6 बल्बों के समूहों में उत्पादित होता है. इसकी खेती ज्यादातर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, दक्षिण कर्नाटक, ओडिशा और केरल के कुछ हिस्सों में की जाती है. देश का लगभग 90 प्रतिशत मल्टीप्लायर प्याज तमिलनाडु से उत्पादित होता है.

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 कैसे तैयार किया जाता है इसका बीज?

इसकी खेती के लिए 6 महीने तक भंडारित किए गए प्याज के बीज का उपयोग किया जाता है. रोपाई के समय प्रत्येक बीज की दूरी लगभग 15-20 सेमी रखनी होती है. ऐसे में इसे इंस्टॉल करने में काफी समय लगता है. इससे रोपाई के लिए अधिक श्रम की आवश्यकता होती है और उच्च मजदूरी उत्पादन लागत में 11.9% तक बढ़ जाती है. जिस वजह से इसकी रोपाई के लिए अब मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने ट्रैक्टर चालित रेज्ड बेड अनियन बल्ब लेट प्लांटर विकसित किया है. इससे प्याज लगाने का काम बहुत आसान हो जाता है. इस मशीन में एक चेन लगी होती है, जो एक साथ 4 गमलों में प्याज के कंद लगाती है.

कैसे काम करती है ये मशीन?

प्याज के बल्बों को हॉपर में लोड किया जाता है और ट्रैक्टर को 1.5 किमी/घंटा की आगे की गति से चलाया जाता है. आगे उठा हुआ भाग 850-900 मिमी चौड़ाई और 200 मिमी ऊंचाई का एक बिस्तर बनाता है. प्याज के बल्ब लगाने के लिए 50 मिमी चौड़ाई और 50 मिमी गहराई की नाली बनाएं. बीज मीटरिंग प्रणाली बीज भंडारण से प्याज के बल्बों की मीटरिंग करती है और उन्हें बीज ट्यूब तक पहुंचाती है. इसके अतिरिक्त, प्याज के बल्बों को कुंडों में रखा जाता है और मिट्टी से भर दिया जाता है. इस मशीन की कार्य क्षमता 0.12 हेक्टेयर/घंटा है. इस मशीन की मदद से 35 प्रतिशत मेहनत, लागत और समय की बचत होती है.