Innovative story: किसान दोस्त की बहू का कटा हाथ, सुरक्षा के लिए किया नया अविष्कार, इनोवेटिव मैकेनिक की रोचक कहानी

Innovative story: किसान दोस्त की बहू का कटा हाथ, सुरक्षा के लिए किया नया अविष्कार, इनोवेटिव मैकेनिक की रोचक कहानी

किसानों का दर्द वही समझ सकता है जो उनसे जुड़ा हुआ है. जो व्यक्ति किसानों से जुड़ा नहीं रहता, उसे यह समझना मुश्किल है कि उनके जीवन में कैसे तकलीफें हो सकती हैं. इस दर्द को 15 साल पहले किसानों के लिए कृषि यंत्र बनाने वाले मैकेनिक कमरुद्दीन सैफी ने महसूस किया. इसके बाद किसानों के लिए कर दिया एक नया अविष्कार जिससे किसानों का कष्ट कम हो सके.

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Innovative story: किसान दोस्त की बहू का कटा हाथ, सुरक्षा के लिए किया नया अविष्कार, इनोवेटिव मैकेनिक की रोचक कहानीमैकेनिक कमरुद्दीन सैफी पूर्व राष्ट्रपति प्रवण मुखजी के साथ

अगर कोई मशीन बनाने वाले कारख़ाने में कोई कर्मचारी किसी दुर्घटना का शिकार होता है, तो कंपनी उस मजदूर की देखभाल और इलाज के लिए सहायता करती है. मगर किसान जो अपने खेती का काम मशीनों से करता है, अगर उसे किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो उसकी सहायता पहुंचाने के लिए उपाय नहीं होता. ऐसे में किसान को आर्थिक से लेकर शारीरिक कष्ट तक सहना पड़ता है. इसलिए, किसान को अपनी सुरक्षा को लेकर हमेशा सतर्क रहना चाहिए, ताकि कोई दुर्घटना न हो. ये सोच है कृषि यंत्रों की मरम्मती का काम करने वाले कमरुद्दीन सैफी की क्योंकि किसानों का दर्द वही समझ सकता है जो उनसे जुड़ा हुआ है.

जो व्यक्ति किसानों से जुड़ा नहीं रहता, उसे यह समझना मुश्किल है कि उनके जीवन में कैसी तकलीफें हो सकती हैं, किसानों के उत्पादित अनाज और दूध की कीमतें बढ़ जाती हैं और इससे बवाल और भूचाल होता है. दूध उत्पादन करने वाले किसान परिवारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. और इस दर्द को 15 साल पहले किसानों के लिए कृषि यंत्र बनाने वाले मैकेनिक कमरुद्दीन सैफी ने महसूस किया. उन्होंने अपनी पूंजी और मेहनत लगाकर स्वचालित लॉक सिस्टम से सुसज्जित चारा कटर मशीन विकसित की. उन्होंने पहली बार ब्रेक वाली चारा मशीन बनाई है.

किसान दोस्त के बहू का कटा हाथ

कमरुद्दीन सैफी, जिनकी दुकान दिल्ली-मेरठ रोड, थाना मुरादनगर के पास, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है, वे अब लगभग 80 वर्ष के बुजुर्ग हो चुके हैं.  कमरुद्दीन सैफी ने किसान तक से बातचीत में बताया कि उनके बगल के गांव के एक दोस्त और जानने वाले रतिराम त्यागी की घर की बहू जब चारा मशीन से पशुओं के खिलाने के लिए बिजली वाली चारा मशीन से चारा काट रही थीं. इसी में उनके हाथ फंस गए और उसके हाथ कट गए. इस घटना ने उन्हें बहुत ही झकझोर कर रख दिया, क्योंकि त्यागी की बहू कुछ दिनों पहले ही शादी करके उनके घर आई थीं. लेकिन उनके हाथ चारा काटने वाली मशीन में फंस गए. यह दुख कमरुद्दीन के मन में घर कर गई.

मैकेनिक ने की नई खोज

दशकों के मशीन बनाने के अनुभव से भरे कमरुद्दीन सैफी ने चारा कटर विकसित करने का निर्णय लिया. इसके बाद उन्होंने चारा काटने वाली ऐसी मशीन बनाई जो हाथ फंसने पर तुरंत बंद हो जाती है. उन्होंने यह मशीन एक साधारित यांत्रिक क्लच और एक फुट लीवर के साथ संचालित करने का सिस्टम बनाया. जिससे किसी लीवर को दबाने पर ब्लेड्स तुरंत बंद हो जाते हैं और बिजली बंद हो जाती है. फिर, मशीन को फिर से चालू करने के लिए किसी लॉक को दोबारा खोलना पड़ता है.

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कमरुद्दीन सैफी को इस मशीन इनोवेशन के लिए 2009 में नेशनल इनोवेशन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखजी ने भी उनकी मशीनें देखीं. कमरुद्दीन ने अपनी मशीनें बिजनेस के रूप में बेचने की जगह, बड़ी कंपनियों से इस तकनीक का उपयोग करने की आशा की, क्योंकि उनके पास उस समय इसमें निवेश करने की क्षमता नहीं थी. हालांकि अगर कोई उनको उस समय आर्डर देता था तो बना देते थे. 

लॉक सिस्टम चारा कटर मशीन

किसान परिवारों के सामने सबसे बड़ी समस्या

कई कृषि उपकरणों की तुलना में चारा काटने वाली मशीन को काफी खतरनाक माना जाता है, क्योंकि इसका उपयोग करते समय बड़ी संख्या में लोगों को एक या दोनों हाथों की हानि की खबरें सुनने को मिलती हैं. किसान अपने पशुओं को खिलाने के लिए चारा काटने के लिए चारा कटर मशीनों का अक्सर इस्तेमाल करते हैं. इस प्रकार, चारा मशीन के साथ काम करते समय बहुत बार लोगों के हाथ कटने और चोट के समाचार मिलते हैं. अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में यात्रा की जाए, तो अधिकांश जगहों पर इस तरह की घटना की जानकारी सामने आती है. 

किसान परिवारों के कैसे कट जाते हैं हाथ?

चारा मशीन में किसान हाथ से फसल के बंडल को काटने वाले पहिये की तरफ डालते हैं और धीरे-धीरे इसे काटने के लिए ब्लेड की तरफ धकेलते हैं. इस क्रिया के दौरान, कभी-कभी हाथ ब्लेड के प्रभाव में आ सकते हैं और हाथ फसल बंडल के साथ हाथ अंदर चले जाते हैं. बिजली या डीजल से चलने वाले कटरों में ब्लेड की गति बहुत अधिक होती है, जिससे हाथ फंसने पर सुरक्षा की कोई संभावना ना के बराबर होती है. यहां तक कि हाथ कट जाते हैं. कमरुद्दीन सैफी ने माना है कि अगर कोई फैक्ट्री में मजदूर काम करता है और उसे किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ता है, तो उसकी संबंधित कंपनी उसकी देखभाल करती है और उसके इलाज का बिल वहन करती है.

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कमरुद्दीन सैफी ने नया रास्ता दिखाया 

अगर किसान किसी खतरनाक मशीन की चपेट में आता है, तो उसे आर्थिक सहायता नहीं मिलती है. इस सोच और चारा मशीन के इनोवेशन के लिए कमरुद्दीन सैफी ने कृषि वैज्ञानिकों को कृषि मशीनरी बनाने के लिए एक नया मार्ग दिखाया. इसके बाद देश में ब्रेक और सेंसर सहित चारा काटने वाली मशीन बनने लगी, जिससे किसान इस तरह की दुर्घटनाओं से बच सकते हैं. कमरुद्दीन सैफी और उनकी सोच, अविष्कार को किसान तक का सलाम.

 

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