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Milk Production: दूध बेचने वाले किसानों की आय बढ़ेगी, मिल्क क्वालिटी खराब होने से बचाएगी ये मशीन

Milk Production: दूध बेचने वाले किसानों की आय बढ़ेगी, मिल्क क्वालिटी खराब होने से बचाएगी ये मशीन

भारत दूध का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रोऑर्गनिज्म गतिविधि और परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण दूध का एक बड़ा हिस्सा खराब हो जाता है. मिल्क डेयरी में दूध बेचकर आमदनी और पशु के खर्च का इंतजाम करने वाले छोटे किसानों का अकसर कच्चा दूध ज्यादा देर तक रखने से उसकी क्वालिटी गिर जाती है, जो डेयरी पर दूध की कीमत को कम कर देती है. इससे निजात दिलाने के लिए कम खर्च वाली कूलिंग यूनिट विकसित की गई है.

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यह रेफ्रिजेरेटर किसानों की आय बढ़ाने का माध्यम भी बन सकता है. यह रेफ्रिजेरेटर किसानों की आय बढ़ाने का माध्यम भी बन सकता है.

दूध डेयरी किसानों के कच्चे दूध की क्वालिटी को देर तक बेहतर बनाए रखने के लिए कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय-बेंगलुरु (University of Agricultural Sciences-Bengaluru) ने इनवॉयरमेंट फ्रेंडली मिनी रेफ्रिजरेटर बनाया है. यह बेहद कम लागत में तैयार किया रेफ्रिजेरेटर है जिसे दूध को ठंडा रखने में मदद मिलती है. इसका इस्तेमाल छोटे डेयरी किसान मिल्क कलेक्शन में डालने से पहले कच्चे दूध की क्वालिटी मेनटेन रखने के लिए कर सकते हैं. यह रेफ्रिजेरेटर किसानों की आय बढ़ाने का माध्यम भी बन सकता है. यह मशीन बिजली के साथ ही बैट्री से भी चलती है.

भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रोऑर्गनिज्म गतिविधि और परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण दूध का एक बड़ा हिस्सा खराब हो जाता है. मिल्क डेयरी में दूध बेचकर आमदनी और पशु के खर्च का इंतजाम करने वाले छोटे किसानों का अकसर कच्चा दूध ज्यादा देर तक रखने से क्वालिटी में गिरावट आ जाती है, जो डेयरी पर दूध की कीमत को कम कर देती है. क्योंकि, आमतौर पर डेयरी पर फैट और क्रीम की मात्रा के हिसाब से मिल्क की कीमत तय की जाती है. ऐसे में छोटे किसानों को देर तक दूध रखे रहने की वजह से क्वालिटी बिगड़ने से होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय-बेंगलुरु के फूड प्रॉसेसिंग इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर सीटी रामचंद्र ने मिनी रेफ्रिजेरेटर तैयार किया है.

कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय बेंगलुरु के फूड प्रॉसेसिंग इंजीनियरिंग विभाग के हेड प्रोफेसर सीटी रामचंद्र ने कहा कि सॉलिड स्टेट कूलिंग मॉड्यूल या मिनी कूलिंग यूनिट विश्व बैंक की ओर फाइनेंस प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है और अब यह कमर्शियल इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार है. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार प्रोफेसर सीटी रामचंद्र ने कहा कि दूध को खराब होने से रोकने के लिए कच्चे दूध को 10 डिग्री से कम तापमान पर एकत्र किया जाना चाहिए और फार्म स्तर पर कम लागत वाली यह रेफ्रिजेरेटर यूनिट बर्बादी को कम करने में काफी मदद 

रेफ्रिजेरेटर की क्षमता 5 लीटर  

मिनी कूलिंग यूनिट या रेफ्रिजेरेटर की क्षमता 5 लीटर है और यह बिजली से चलता है. हालांकि, इसे 12 वोल्ट की बैटरी से भी चलाया जा सकता है. प्रोफेसर रामचंद्र ने कहा सॉलिड स्टेट कूलिंग मॉड्यूल ट्रेडिशनल कूलिंग सिस्टम का एक ऑप्शन है और पेल्टियर इफेक्ट के प्रिंसिपल पर काम करता है. यह रेफ्रिजेरेटर उपयोग के कारण सीएफसी गैसों को छोड़ता है. यह किसी भी तरह की नुकसान देने वाली गैसों का का उत्सर्जन नहीं करता है और यह इनवॉयरमेंट फ्रेंडली ग्रीन टेक्नोलॉजी से लैस है. हालांकि, इस रेफ्रिजेरेटर यूनिट की ठंडक करने की कैपेसिटी आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले रेफ्रिजेरेटर सिस्टम की तुलना में थोड़ी कम है.

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दूध को जरूरी तापमान में रखा जा सकेगा 

गांवों और दूरदराज के इलाकों में छोटे डेयरी किसान लोक कलेक्शन सेंटर पर डालने से पहले दूध के तापमान को कम करने के लिए इस मिनी कूलिंग यूनिट का इस्तेमाल कर सकते हैं. जब दूध निकाला जाता है तो गाय के थन से निकलने वाले दूध का तापमान लगभग 35-37 डिग्री सेल्सियस होता है और माइक्रोबियल गतिविधि को कम करने के लिए इसे 10 डिग्री से कम तक ठंडा करना पड़ता है. प्रोफेसर रामचंद्र ने कहा कि यह रेफ्रिजेरेट यूनिट मिल्क के तापमान को कम करने और इसे 10 डिग्री सेल्सियस से कम बनाए रखने में मदद करेगी. प्रोफेसर सीटी रामचंद्र ने कहा कि मिनी रेफ्रिजरेटर मॉड्यूल की लागत लगभग 10,000 रुपये प्रति यूनिट है.