Kharif Special: बंजर जमीन बनेगी उपजाऊ, खरीफ सीजन से पहले ये उपाय अपनाएं क‍िसान

Kharif Special: बंजर जमीन बनेगी उपजाऊ, खरीफ सीजन से पहले ये उपाय अपनाएं क‍िसान

आज भी हमारे देश में लगभग 67 लाख हेक्टेयर भूमि ऐसी है, जहां फसलें नहीं उगाई जा सकती हैं. क्योंकि इन खेतों में आज भी बंजर प्रकृति मौजूद है. इन बंजर जमीनों को कुछ उपाय अपनाकर क‍िसान बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

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Kharif Special: बंजर जमीन बनेगी उपजाऊ, खरीफ सीजन से पहले ये उपाय अपनाएं क‍िसान क‍िसान कुछ उपाय करने के बाद बंजर जमीन से बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं- फोटो कि‍सान तक

Kharif Special: आज भी हमारे देश में लगभग 67 लाख हेक्टेयर भूमि ऐसी है, जहां क‍िसी भी तरह की फसलें उगाने बहुत मुश्क‍िल है. मसलन ऐसी भूम‍ि को बंजर जमीन यानी ऊसर जमीन कहा जाता है. कुछ जमीनें पहले से ही बंजर होती हैं तो कुछ जमीनें अध‍िक उर्वरकों के प्रयोग या भौगाैल‍िक बदलाव के बाद बंजर बन जाती हैं. ऐसी जमीन में अगर किसान क‍िसी तरह खेती करते भी हैं तो उत्पादन बेहद ही कम म‍िलता है. कुल म‍िलाकर बंजर प्रकृति‍ की जमीन क‍िसानों के ल‍िए परेशानी का कारण बनी रहती हैं, लेक‍िन सच ये है क‍ि बंजर जमीन में सुधार कर क‍िसान उससे बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, जि‍सके ल‍िए प्री खरीफ सीजन यानी अप्रैल से जून तक का महीना सबसे बेहतर होता है. क‍िसान तक की खरीफनामा सीरीज में बंजर जमीन को ऊपजाऊ बनाने की पूरी पड़ताल प्रस्तुत है. 

कैसे पहचानें की जमीन बंजर हो गई 

कृषि विज्ञान केन्द्र दिलीपनगर कानपुर के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने क‍िसान तक से व‍िशेष बातचीत में बताया क‍ि बंजर जमीन की पहचान के ल‍िए सबसे पहला कदम ये है कि किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाएं. खेत की मिट्टी के जांच के बाद मिट्टी का पीएच मान और खेती की क्षमता पता चल जाता है. इसके बाद तय किया जा सकता है क‍ि किस प्रकार की फसल औऱ कितना उत्पादन खेत से मिलेगा और खेत की मिट्टी को सुधारने के लिए कितना जिप्सम की जरूरत पड़ेगी. ज‍िप्सम एक पोषक तत्व है, रासायन‍िक रूप से ज‍िप्सम कैल्श‍ियम और सल्फर है. 

नमक से होती है बंजर जमीन की पहचान 

मृदा वैज्ञानिकों के अनुसार ऊसर यानी बंजर जमीन को नमक से भी पहचाना जा सकता है. वैज्ञान‍िकों के अनुसार बंजर जमीन की ऊपरी परत और निचली परत पर नमक जमा होता हैं. ज‍िसको देखकर समझा जा सकता है क‍ि ये जमीन बंजर हो गई है. 

बंजर जमीन सुधार के ल‍िए प्री खरीफ सीजन महत्वपूर्ण

कृषि विज्ञान केन्द्र दिलीपनगर कानपुर के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने कहा कि अगर किसान के पास ऊसर या बंजर भूमि है तो उसे सुधारने की योजना अप्रैल यानी प्री खरीफ सीजन से शुरू कर देनी चाहिए. इसके लिए सबसे पहले स्थानीय ग्राम अधिकारी, जिला या जिला विकास अधिकारी से संपर्क कर कल्याणकारी सुधार योजनाओं की जानकारी प्राप्त करें क्योंकि कई राज्यों में ऊसर सुधार की योजनाएं चल रही हैं. 

नमक हटाएं और मेड़ बनाएं

बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने के ल‍िए कई काम करने की जरूरत हाेती है, ज‍िसमें सबसे अन‍िवार्य तौर पर बंजर जमीन से नमक हटाने और जमीन में मेड़ बनाने की होती है. नमक हटाने की प्रक्र‍िया को स्क्रैपिंग कहते है. नमक को पूरी तरह हटाए बिना ऊसर भूमि को उपजाऊ नहीं बनाया जा सकता है.क‍िसान खेत में जमे नमक को खेत के बाहर किसी गड्ढे में डालें या नाले में बहा दें. ऐसी जगह न रखें कि बारिश के समय यह वापस खेत में आ जाए.

वहीं इसके बाद सबसे पहला काम मेड़ बंधी का होता है क्योंकि अच्छी और मजबूत मेड़ किसी भी खेत में नमी बनाए रखने के ल‍िए बहुत जरूरी है, जिस भूमि का ऊसर सुधार कर फसल उत्पादन लेना चाहते हैं. खेत की मेड कम से कम डेढ़ फीट ऊंचा होना चाहिए.

फ्लशिंग और समतली करण 

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ खलील ने बताया की बंजर जमीन को ऊपजाऊ बनाने की प्रक्र‍िया में नमक हटाने और मेड बनाने के बाद तीसरा सबसे अहम कार्य है कि बंजर खेत को छोटी क्यारियों में बांट द‍िया जाए, जिसे सब प्लॉटिग कहते हैं. इसके बाद ऊसर खेत प्रभावित खेत को समतल करने का कार्य किया जाता है. अगर खेत समतल नहीं होगा तो खेत में लगा जिप्सम एक स्थान पर जमा हो जाएगा,क्योंकि जिप्सम को पूरे खेत में समान रूप से बिखेरना जरूरी होता है.खेत की ढलान पर जल निकास के लिए नाली बना लेना चाहिए. ऊसर सुधार में फ्लशिंग कार्य किया जाता है. फ्लशिग प्रक्रिया में खेत में 15 सेमी की ऊंचाई तक पानी से भर देते हैं. 48 घंटे के बाद खेत का पानी निकल जाता है, जिससे हानिकारक लवण भी पानी में घुल कर निकल जाते हैं. फ्लश करने के बाद अगला कदम जिप्सम को मिलाना होता है..पोषक तत्वों की कमी औऱ अधिकता के अनुसार जिप्सम की मात्रा निर्धारित की जाती है.

जिप्सम को अच्छी तरह मिलाएं 

बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की प्रक्र‍िया में जिप्सम को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाने के बाद जून के दूसरे पखवाड़े में खेत में एक बार फिर से 10-12 सेमी ऊंचा पानी भर दें. 10 से 12 दिन बाद बचा हुआ पानी निकाल दें. इस प्रक्रिया को 'लीचिंग' कहा जाता है.लीचिंग के बाद आपका खेत धान की खेती के लिए तैयार हो जाएगा, इसके बाद आप खेत को हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नाडेप या केंचुआ खाद दे सकते हैं. इससे खेत की उपजाऊपन क्षमता बढ़ती है.अगर खेत में हरी खाद के रूप में  ढैंचा लगाकर खेत में पलट कर जोत दिया जाता है, इससे खेत का उपजाऊपन बढ़ जाता है. इसके बाद खेत की तैयार धान की रोपाई कर सकते हैं, लेक‍िन इस बात का ध्यान रहे क‍ि ऊसर सहनशील प्रजातियों का चयन करना चाहिए.

हेलो-मिक्स जैव फार्मूलेशन से बंजर जमीन सुधार में मदद

सीएसआईआर लखनऊ के वैज्ञानिकों ने ऊसर भूमि सुधार के लिए जैव-फार्मूलेशन तैयार किया है, जिसका नाम हेलो-मिक्स है. इस जैव-फार्मूलेशन में एक निश्चित संख्या में बैक्टीरिया होते हैं, जो पर्यावरण से नाइट्रोजन को अवशोषित करते हैं और इसे पौधों तक पहुंचाते हैं. वहीं दूसरी ओर यह जीवाणु फास्फोरस को जमीन में घुलनशील बना देते हैं, जिससे पौधे की वृद्धि में मदद मिलती है. इस जैव-फार्मूलेशन के जीवाणु भी मिट्टी में अघुलनशील खनिज तत्वों को घुलनशील तत्वों में परिवर्तित कर पौधों तक पहुंचाते हैं. सीएसआईआर लखनऊ के अनुसार इसके प्रयोग से धान, गेहूं, सब्जी फसलों एवं चारा फसलों में 15 से 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 10 से 15 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 2 से 4 किलोग्राम जिंक प्रति हेक्टेयर की बचत होती है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार हेलो-मिक्स बायो फॉर्मूलेशन के उपयोग से धान की फसल में 11 प्रतिशत और गेहूं की फसल में 14 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि देखी गई है.

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