मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में बिजली कटौती और पानी की समस्या से निजात पाने के लिए एक किसान ने अद्भुत जज्बा और जुनून दिखाया है, किसान ने कुंदा नदी पर एक विशाल बांध बनाया है. किसान ने बिजली पैदा करने के लिए विशाल टरबाइन खड़ी कर दी है. इसके लिए किसान ने 12 साल पहले अभियान शुरू कर दिया था.
केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार कि ओर से अब तक इसके लिए कोई मदद नहीं मिली है. किसान ने बताया कि आर्थिक मदद नहीं मिलने से 1 मेगावॉट बिजली पैदा करने का किसान का सपना अधूरा रह गया है. वहीं किसान ने इस पॉवर प्लांट को खड़ा करने में करीब 7 करोड़ रुपये खर्च कर दिया है.
58 वर्षीय किसान मोहनलाल जांगड़े ने वर्ष 2011 में बिजली और पानी की समस्या से निजात पाने के लिए एक पहाड़ जैसा निर्णय लिया. उन्होंने करीब 600 फ़ीट लंबाई वाली विशाल कुंदा नदी पर पॉवर प्लांट खड़ा करने का निर्णय लिया और नदी पर बांध बनाने की शुरुआत कर दी.
किसान मोहनलाल जांगड़ा ने बताया वर्ष 2009 में पिता का निधन हुआ और उनके दश कर्म करने के लिए कुंदा नदी के किनारे गया था. इस दौरान गर्मी के मौसम में नदी में पर्याप्त पानी नहीं था और किसान सिंचाई के लिए संघर्ष कर रहे थे. तब मुश्किल से 6 घंटे भी बिजली नहीं मिलती थी.
पर्याप्त बिजली नहीं मिलने और पानी की समस्या बनी रही. पानी और बिजली की समस्या से निजात पाने के लिए मेरे मन में कुंदा नदी पर डेम और बिजली उत्पादन के लिए टरबाइन बनाने का विचार आया और इस तरह 2011 में मैंने पावर प्लांट बनाने का अभियान शुरू कर दिया.
किसान ने अथक प्रयास कर तीन ग्राम पंचायत की सीमा पर बांध का निर्माण किया. यहां कुंदा नदी पर 600 फीट से अधिक लंबा और करीब 5 फीट चौड़ा बांध तैयार किया है. करीब 15 फीट ऊंचा सीमेंट का आर्च बांध बनाया गया है. इसकी गहराई करीब 15 फ़ीट बताई जा रही है.
प्रोजेक्ट की डीपीआर मंजूरी और लेटर के साथ ही कलेक्टर द्वारा डेम साइट पर 3100 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई है. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर के साथ पॉवर पर्चेस एग्रीमेंट भी हुआ है, लेकिन किसान को अब तक सब्सिडी की राशि नहीं मिली है. दरअसल केंद्र की योजना में 90 फीसदी सब्सिडी निर्धारित था.
किसान मोहनलाल ने बताया इंदौर के जीएसआईटीएस पावर प्लांट के लिए जानकारी ली. वहां से पता चला कि केंद्र शासन की योजना में सब्सिडी मिलता है. योजना की पूरी जानकारी के लिए अक्षय ऊर्जा विभाग जो अब न्यू एंड रिनिवल एनर्जी विभाग के नाम से जाना जाता है.
मोहनलाल का कहना है 14 मीटर 200 दया का टरबाइन है. एक बार प्लेनेटरी गियरबॉक्स चलाने पर टरबाइन 252 बार घूमता है. एक बार में करीब 100 किलोवाट टी बिजली तैयार की जा सकती है और केंद्र शासन मदद करता है तो इसी टरबाइन से एक मेगावाट बिजली जनरेट हो सकती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today