कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पहली बार रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को तैयार हैं. उत्तर प्रदेश का रायबरेली हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है. ऐसे में कांग्रेस अपने इस क्षेत्र में बसे नेहरू-गांधी परिवार के 100 साल के संबंध को अभियान का आधार बना रही है. पार्टी मतदाताओं को बता रही है कि वह उनके साथ रहेगी. यह बात यहां पर गौर करने वाली है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कुछ दिनों पहले आरोप लगाया था पार्टी हर बार सत्ता में आने के बाद सीट से गायब हो जाती है. वहीं भाई राहुल को यहां पर विजयी बनाने के लिए बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी पुरजोर कोशिशों में लगी हुई हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने पार्टी के सूत्रों के हवाले से बताया है कि पार्टी दो स्तरीय रणनीति लॉन्च करेगी. पहली 'सेवा के सौ साल' और दूसरी होगी 'रायबरेली के राहुल'. राहुल के यहां पर प्रचार शुरू करने से पहले प्रचार सामग्री और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से इसे लॉन्च किया जाएगा. प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी मौजूदगी से रणनीति के लिए माहौल तैयार कर रही हैं. प्रियंका अपनी मां सोनिया की सीट पर चार बार चुनाव प्रचार कर चुकी हैं.
प्रियंका पिछले दो दिनों में रायबरेली के बछरावां और रायबरेली सदर विधानसभा क्षेत्रों में 25 से अधिक नुक्कड़ बैठकों को संबोधित कर चुकी हैं. वह बार-बार सात जनवरी, 1921 के मुंशीगंज नरसंहार का जिक्र करती हैं. इसके जरिए वह यह बताने की कोशिशें कर रही हैं कि नेहरू-गांधी परिवार की चार पीढ़ियां कैसे इस निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ खड़े रहे हैं.
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कांग्रेस के नेता कहते हैं कि रायबरेली के साथ नेहरू-गांधी संबंध एक सदी पुराना है. यह वह रिश्ता है जो मोती लाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू के दिनों से शुरू हुआ था. ये वो लोग हैं जो सन् 1921 में पुलिस की तरफ से हुए नरसंहार के दौरान किसानों के साथ खड़े थे. यह असहयोग आंदोलन के युग के दौरान था. उस समय प्रदर्शनकारी किसानों को गोली मार दी गई थी और बाद में जवाहर लाल नेहरु को भी किसानों को समर्थन देते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था. प्रियंका ने यह घटना इन चुनावों के लिए रायबरेली में पार्टी कार्यकर्ताओं की पहली बैठक के दौरान बताई.
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बुधवार को बछरावां में उन्होंने कहा, 'हम आप की पुकार सुन के आए हैं. मोतीलाल ने देखा, जवाहरलाल ने देखा. आप हमको खींच के लाए हैं. चार पुश्तों से, चार पीढ़ियों के बाद भी हम आपसे जुड़े हुए हैं.' इस बात को मजबूत करने के लिए, प्रियंका ने गुरुवार को मुंशीगंज के शहीद स्मारक से अपना अभियान शुरू किया. यह स्मारक नरसंहार के दौरान हुई हत्याओं का प्रतीक है. पार्टी इस घटना का प्रयोग यह बताने के लिए भी कर रही है कि कैसे पासी समुदाय का एक किसान नेता अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा हुआ था. अपनी उपस्थिति के दौरान, प्रियंका ने दादी इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि गलतियां हुईं और सबक भी सीखे गए. जो रायबरेली से हार गईं थीं लेकिन बाद में जीत गईं. सन् 1952 में भारत के पहले चुनाव के बाद से, कांग्रेस ने 72 में से 66 वर्षों तक रायबरेली लोकसभा सीट पर कब्जा किया है.
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