चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक योगी सरकार ने 25 मार्च 2022 से 23 मार्च 2023 के दौरान किसानों को 36,847 करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान किया है. यूपी सरकार का दावा है कि 6 साल में किसानों को गन्ना मूल्य के रूप में 2,03,271 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. इतना ही नहीं, पेराई सत्र 2022-23 में प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा अब तक 1878.19 लाख कुंतल गन्ने की पेराई करते हुए 83.68 लाख टन चीनी उत्पादन किया गया है.
विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में गन्ना का रकबा साल दर साल बढ़ रहा है. पिछले एक साल में गन्ना के क्षेत्रफल में 92,052 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है. इसके साथ ही गन्ना की उपज का रकबा अब 28.53 लाख हेक्टेयर हो गया है. अगर उपज की बात की जाए तो यूपी में औसत गन्ना उत्पादकता वर्ष 2016-17 में 72.38 टन प्रति हेक्टेयर थी. अब वर्ष 2020-21 में यह बढ़ कर 82.31 टन प्रति हेक्टेयर हो गयी है. इससे लगभग 9.93 टन प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त गन्ने का उत्पादन हुआ है.
विभाग का दावा है कि गन्ना की उत्पादकता में इजाफा होने से प्रदेश के गन्ना किसानों की आय में औसतन 349 रुपये प्रति कुंतल की दर से 34,656 रुपये प्रति हेक्टेयर की वृद्धि हुई. प्रदेश में अब तक 284 खांडसारी लाइसेंस के सापेक्ष वर्तमान में 152 खांडसारी इकाइयां संचालित हैं. इनसे 140.82 लाख कुंतल गन्ने की पेराई की जा चुकी है.
गन्ना किसानों की आय में इजाफा करने के लिए ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है. इसके लिए गन्ना विभाग ने विशेष योजना शुरू कर ग्रामीण महिलाओं को सिंगल बड व बड चिप विधि से गन्ने की पौध तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षित महिलाएं पौध की बिक्री कर आय अर्जित कर रही है.
गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने, उत्पादन लागत में कमी लाने एवं गुणवत्तापूर्ण गन्ना उत्पादन के दृष्टिगत नई तकनीकों से किसानों को लैस किया जा रहा है. इसके तहत गन्ना विभाग द्वारा शरदकालीन गन्ना बुवाई, सहफसली खेती, ट्रेंच विधि से बुवाई, ड्रिप सिंचाई संयंत्रों की स्थापना, पेड़ी प्रबन्धन व ट्रैश मल्चिंग विधि से किसानों को अवगत कराया जा रहा है. इन पांच विधियों को सम्मिलित कर गन्ना किसानों के लिए 'पंचामृत योजना' लागू की गयी है. जिससे किसानों की उत्पादकता एवं आय में वृद्धि हुई तथा लागत में कमी आई है.
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जानकारों का मानना है कि ट्रेंच विधि से गन्ना बुआई करने से गन्ने का जमाव व व्यात अधिक बनती है. इससे उपज बढ़ जाती है. इसके अलावा गन्ने की 02 लाइनों के बीच के गैप में अंतः फसली खेती कर किसान अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. ट्रेंच विधि से प्रदेश में इस साल 4,27,402 हेक्टेयर बुवाई की गयी है.
यूपी में गन्ने की उपज बढ़ाने के लिए सहफसली खेती के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसमें गन्ने के साथ आलू एवं लहसुन की सहफसली खेती करने से आलू एवं लहसुन की उपज के साथ ही गन्ने की पैदावार भी लगभग 10 प्रतिशत बढ़ जाती है. विभाग के अनुसार इस साल 4,02,233 हेक्टेयर में गन्ने की सहफसली खेती हुई. इसके अतिरिक्त सब्जी, दलहन, तिलहन एवं अनाज या फूलों की मौसमी फसलें उगा कर अतिरिक्त आमदनी ली जाती है.
इसके अलावा दिन-प्रतिदिन जल स्तर में हो रही कमी में सुधार हेतु भू-जल संचयन, उत्पादन एवं गन्ना उत्पादकता में वृद्धि के दृष्टिगत ड्रिप सिंचाई पद्धति के माध्यम से पौधों को सीधे जल उपलब्ध कराकर गुणवत्तायुक्त उत्पादन के साथ-साथ जल व उर्जा की बचत भी होती है. इसके अन्तर्गत वर्ष 2022-23 में 6,509 हेक्टेयर में ड्रिप सिंचाई पद्धति की स्थापना हो चुकी है.
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