सीएम योगी ने शनिवार को यूपी की 25 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के नवनिर्मित भवनों के लोकार्पण समारोह में कहा कि यूपी में डबल इंजन की सरकार किसान कल्याण की योजनाओं को ईमानदारी से लागू कर रही है. इस कारण प्रदेश के किसानों की आय बढ़ी है. उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में जो किसान प्राकृतिक तरीके से बहुफसली पद्धति पर आधारित खेती कर रहे हैं, अब उनके लिए खेती, घाटे का सौदा नहीं रही है. उन्होंने कहा कि गन्ना भुगतान से लेकर किसान कल्याण की अन्य योजनाओं का लाभ डीबीटी के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खाते में जा रहा है. इसी का नतीजा है कि यूपी में 2017 से 2023 के बीच 2,134,00 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान भी डीबीटी से किसानों को किया गया.
योगी ने कहा कि वर्ष 2007 से 2017 के बीच, यूपी में गन्ना मूल्य का भुगतान लगभग 1 लाख करोड़ रुपये हुआ था. वहीं वर्ष 2017 से लेकर 2023 के बीच 2 लाख 13 हजार 400 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे गन्ना किसानों के खातों में भेजा गया है. इतना ही नहीं खांडसारी में जो 500 टन अतिरिक्त गन्ना पेराई हुई है, उसका भी किसानों को नकद भुगतान किया गया है. इसके साथ ही एथेनॉल का अलग से भुगतान किया जा रहा है.
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सीएम ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा कहा जाता था. चौधरी चरण सिंह ने 1980 के दशक में छपरौली की चीनी मिल के पुनरुद्धार की बात की थी, लेकिन इस बीच सरकारें आती-जाती रहीं, उनकी इस बात पर किसी सरकार ने नहीं सोचा. भाजपा सरकार बनने पर अब जाकर छपरौली में नई चीनी मिल की स्थापना का कार्य किया है.
योगी ने यूपी में भाजपा सरकार बनने से पहले गन्ना किसानों की परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा कि 6 साल पहले प्रदेश के गन्ना किसानों को महज एक 'पर्ची' के लिए परेशान होना पड़ता था. उपज की ताैल और भुगतान से जुड़ी इस पर्ची पर ही किसानों की किस्मत टिकी होती थी. किसान की पर्ची की चोरी भी खूब होती थी. इसके साथ ही गन्ने की घटतौली भी आम बात थी. ऐसे में किसान आंदोलन करने को मजबूर होते थे. साथ ही चीनी मिल के असमय बंद होने से किसानों को परेशान होना पड़ता था.
योगी ने कहा कि चीनी मिल मालिकों ने 2017 में किसानों को समय से बकाया भुगतान करने के लिए इथेनॉल बनाने की अनुमति मांगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति पर आज प्रदेश में चीनी मिलें चीनी के साथ इथेनॉल भी बनाने का काम कर रहीं हैं. इसका परिणाम है कि पूरे देश में गन्ना, चीनी और इथेनॉल के उत्पादन में यूपी नंबर वन हो गया है. यूपी में खांडसारी यूनिट भी सबसे ज्यादा हैं. उन्होंने कहा कि यह स्थिति गन्ना क्षेत्र के रिफॉर्म का नतीजा है.
उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने के साथ उनके विकास का प्रतीक बनी हैं. गन्ना विभाग ने टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके किसानों को पर्ची प्रणाली से मुक्ति दिलाई है. साथ ही यूपी में पिछले 6 वर्षों में डबल इंजन की सरकार ने लगभग 23 लाख हेक्टेयर जमीन को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई है. इसी का नतीजा है कि 45 से 60 लाख गन्ना किसान आज चीनी मिलों को गन्ना उपलब्ध करा रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि प्रदेश में गन्ना की खेती का दायरा पहले से काफी बढ़ा है.
सीएम योगी ने सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को उनकी उपज का समय से मूल्य भुगतान होने और सही समय पर किसानों को जरूरी संसाधन मुहैया कराए जाने का नतीजा है कि यूपी आज गन्ना की सर्वाधिक उपज वाला राज्य बन गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान एक हेक्टेयर में 2640 कुंतल गन्ने की पैदावार भी करने का कीर्तिमान बना रहे हैं.
योगी ने 2640 कुंतल प्रति हेक्टेयर गन्ने की रिकॉर्ड पैदावार करने वाले किसान सहित 135 उन्नत किसानों को इस अवसर सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि पहले इतनी उपज को असंभव माना जाता था. मगर हमारे अन्नदाता किसानों ने अपने सामर्थ्य और परिश्रम से यह साबित करके दिखाया है.
योगी ने कहा कि खेती में मातृशक्ति के योगदान को भी पहले की सरकारों ने नजरंदाज किया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 3171 सहकारी महिला स्वयंसेवी समूह हैं. इनमें 59 हजार से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं. वे आज 60 लाख गन्ना किसानों के साथ मिलकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में योगदान दे रही हैं.
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सीएम योगी ने कहा कि पहले की सरकारें गन्ना किसानों पर गोलियां चलवाती थी, वहीं आज हमारी सरकार नई चीनी मिलों की स्थापना कर रही है, जो पूरी क्षमता से काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि पूरे देश में यूपी ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां कोरोना में लॉकडाउन के दौरान चीनी मिलें चलती रहीं. उस दौरान गन्ना किसानों को कहीं भी अपनी उपज को जलाना नहीं पड़ा.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सैनिटाइजर की किल्लत हुई तो चीनी मिलों ने कमान संभाली और प्रदेश के हर हॉस्पिटल, नगर निकाय, ग्राम पंचायत को फ्री में सैनिटाइजर उपलब्ध कराया. यही नहीं देश के 27 राज्यों में भी यूपी से सैनिटाइजर भेजा गया. योगी ने कहा कि सहकारी महिला स्वयंसेवी समूह, चीनी मिल मालिकों और गन्ना किसानों का यूपी की प्रगति में बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक यूपी की जीडीपी में गन्ना किसानों का लगभग 9 फीसदी योगदान है. उन्होंने भरोसा जताया कि गन्ना किसानों का योगदान यूपी की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाने में अहम भूमिका निभाएगा.
इस दौरान सीएम योगी ने प्राकृतिक खेती को भविष्य की खेती बताते हुए किसानों से इसे अपनाने की अपील भी की. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से धरती माता की सेहत और गन्ना किसानों के हित, दोनों सुरक्षित होंगे. साथ ही गौमाता की रक्षा भी होगी. किसानों को प्राकृतिक खेती को धीरे-धीरे आगे बढ़ाना होगा.
योगी ने दलील दी कि एकल फसल पद्धति से सिर्फ गेहूं और धान की पारंपरिक फसलें उपजाने मात्र से किसान की आय नहीं बढेगी. याेगी ने सहफसली पद्धति पर आधारित एकीकृत खेती के मॉडल को अपनाने की अपील करते हुए कहा है कि जो किसान इस पद्धति से खेती कर रहे हैं, उनके लिए खेती अब घाटे का सौदा नहीं रही है.
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