खेती बाड़ी के लिहाज से बुंदेलखंड इलाके में पानी की कमी होने के कारण किसानों के लिए Irrigation Crisis बना ही रहता है. ऐसे में इस इलाके के किसानों को कम पानी की जरूरत वाली Kharif Season की दलहनी और तिलहनी फसलें इस संकट से उबरने में मदद करती हैं. मगर, बीते कुछ सालों में Climate Change के कारण बारिश का असमान वितरण किसानों की मुसीबत को बढ़ा रहा है. इस साल बुंदेलखंड इलाके में जून से सितंबर तक माॅनसून की महज 500 मिमी बारिश ही हुई थी. यह बारिश के सामान्य स्तर 800 मिमी से बहुत कम थी. किसानों को जब हल्की बारिश की दरकार थी, तब पिछले सप्ताह 3 दिन तक मूसलाधार तरीके से हुई 170 मिमी बारिश ने किसानों की उम्मीदों को धो दिया है. बुंदेलखंड में झांसी सहित अन्य इलाकों में इस बारिश के कारण मूंग, तिल उड़द और मूंगफली जैसी दलहन एवं तिलहन की फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है.
सीएम योगी के निर्देश पर Agriculture Dept बारिश से नष्ट हुई फसलों का सर्वे कर रहा है. विभाग के अधिकारी हर गांव में जाकर Crop Damage का जायजा ले रहे हैं. पिछले एक सप्ताह में हुए सर्वे के आधार पर पता चला है कि अकेले झांसी जिले में खरीफ सीजन की दलहन एवं तिलहन फसलों का लगभग तीन चौथाई हिस्सा नष्ट हो गया है.
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राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में बुंदेलखंड में झांसी, जालौन, महोबा और ललितपुर के किसानों को ज्यादा नुकसान होने की जानकारी दी गई है. ऐसे में किसानों के घावों पर मरहम लगाने के लिए आगामी 27 सितंबर को सीएम योगी आदित्यनाथ के झांसी दौरे को अंतिम रूप दिया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक राजस्व विभाग को हर खेत को हुए नुकसान का सर्वे कर 27 सितंबर के पहले रिपोर्ट शासन को भेजने का निर्देश दिया गया है. जिससे इलाके के किसानों को सीएम योगी के हाथों मुआवजा दिलाकर किसानों को राहत दी जा सके.
शासन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा कराया है, उन्हें फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत बीमा कंपनी द्वारा फसल क्षति का मुआवजा दिया जाएगा. जिन किसानों ने Crop Insurance नहीं कराया है, उन्हें राजस्व विभाग की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर सरकार की तरफ से मुआवजा देने की मंजूरी शासन से मिल गई है.
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इस बीच एक बार फिर बटाईदार किसान, नियमों के फेर में फंस कर मुआवजा पाने से वंचित कर दिए गए हैं. गौरतलब है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे Landless Farmers हैं, जो भूमिधर किसानों से ठेका या किराए पर जमीन लेकर खेती करते हैं. राजस्व विभाग के नियमों का तकाजा कुछ ऐसा है कि उन्हीं किसानों को Natural Disaster से फसल नष्ट होने पर मुआवजा मिलता है, जिनके नाम जमीन होती है.
किराए पर जमीन लेकर खेती करने वाले बटाईदार किसानों को फसल नष्ट होने पर मुआवजे की राशि नहीं मिलती है. यह राशि भूमिधर किसान के बैंक खाते में जमा होती है. इस प्रकार किराए की जमीन पर फसल की लागत लगाने के बावजूद बटाईदार किसान को मुआवजा नहीं मिलने से उन्हें प्राकृतिक आपदा की दोहरी मार झेलनी पड़ती है.
बटाईदार किसानों के लिए हाल ही में फसल बीमा योजना के तहत फसल का बीमा कराने का कानूनी विकल्प मिल गया है. हालांकि भूमिहीन किसान प्रायः: फसल बीमा का प्रीमियम दे पाने की स्थिति में नहीं होते हैं, इसलिए वे किराए की जमीन पर उगाई जाने वाली अपनी फसल का बीमा नहीं कराते हैं.
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कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अकेले झांसी जिले में ही 2.64 लाख भूमिधर किसान पंजीकृत हैं. वहीं, विभाग के रिकॉर्ड में 5000 भूमिहीन किसान भी दर्ज हैं, जो बटाई पर खेती करते हैं, मगर इन किसानों को भी फसल नष्ट होने पर मुआवजा नहीं मिल पाता है.
कृषि विभाग के उपनिदेशक बसंत कुमार ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में अनुबंध पर खेती करने वाले किसानों के पास प्राकृतिक आपदा से फसल नष्ट होने पर क्षतिपूर्ति पाने के लिए फसल बीमा योजना ही एकमात्र कारगर उपाय है. ऐसे में बटाईदार किसानों को हर हाल में अपनी फसल का बीमा कराना चाहिए.
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