Success Story: बीमार मां के लिए सिंगापुर छोड़ लखीमपुर आई बेटी, शुरू की खेती, आज खड़ा किया 20 करोड़ का बिजनेस

Success Story: बीमार मां के लिए सिंगापुर छोड़ लखीमपुर आई बेटी, शुरू की खेती, आज खड़ा किया 20 करोड़ का बिजनेस

स्वाति ने आगे बताया कि साल 2020 से हम लोग स्टीविया के प्रोडक्ट्स को कई देशों में एक्सपोर्ट कर रहे है. जैसे यूएस, यूरोप, मिडिल इस्ट समेत कई देशों में प्रोडक्ट भेजा जा रहा है.

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Success Story: बीमार मां के लिए सिंगापुर छोड़ लखीमपुर आई बेटी, शुरू की खेती, आज खड़ा किया 20 करोड़ का बिजनेस स्वाति ने बताया कि आज हम देश-विदेश के कई बड़े ब्रांड के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

Success Story: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के गांव कोटरा की रहने वाली स्वाति पांडेय इस समय भारी मात्रा में स्टीविया (Stevia) की खेती कर रही हैं. दरअसल, नीमगांव इलाके के कोटरा गांव की रहने वाली स्वाति ने पहले धनबाद आईआईटी से इंजीनियरिंग की. इसके बाद वह पीजी करने लंदन चली गईं. इम्पीरियल कॉलेज के दौरान ही उन्हें एक शानदार नौकरी मिल गई और वह सिंगापुर आ गईं. स्वाति ने देखा कि सिंगापुर में नेचुरल स्वीटनर की डिमांड काफी ज्यादा है. जो शुगर से पीड़ित मरीजों के लिए रामबाण दवा साबित होती है. क्योंकि स्वाति की मां बीते 20-25 साल से शुगर की बीमारी से पीड़ित है. बस फिर क्या था यहीं से उनके दिमाग में स्टेविया का आईडिया आया. आज स्वाति छोटे-छोटे 500 किसानों के साथ 250 एकड़ में स्टीविया की खेती कर रही है.

स्वाति ने किसान तक से बातचीत में बताया कि सिंगपुर से इंडिया आने के बाद सबसे पहले लखीमपुर खीरी में स्टीविया की नर्सरी बनाई. इसके बाद लीज पर जमीन लेकर खेती शुरू की. तीन साल सिर्फ इस बात की रिसर्च में बिताया कि कौन-से वैरायटी का स्टेविया लगाया जाए.

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खेती शुरू हुई और एक दिन कंपनी खुल गई. आज स्थिति यह है कि करीब 250 एकड़ में स्टीविया की खेती की जा रही है. किसानों और व्यापारियों को फायदा मिल रहा है. 

देश-विदेश में जाता हैं स्टीविया का प्रोडक्ट्स

स्वाति ने आगे बताया कि साल 2020 से हम लोग स्टीविया के प्रोडक्ट्स को कई देशों में एक्सपोर्ट कर रहे है. जैसे यूएस, यूरोप, मिडिल इस्ट समेत कई देशों में प्रोडक्ट भेजा जा रहा है. वहीं भारत में स्टीविया के प्रोडक्ट की बहुत बड़ी डिमांड है.

 

केवल भारत में ही स्टेविया से बने 100 से अधिक प्रोडक्ट्स मौजूद हैं.
केवल भारत में ही स्टेविया से बने 100 से अधिक प्रोडक्ट्स मौजूद हैं.

उन्होंने बताया कि कई सारे बाजार में प्रोडक्ट मौजूद है, जिसमें स्टीविया का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं कई बड़े ब्रांड है जैसे नेस्ले, कोको कोला, स्प्राइट और थम्स अप में स्टीविया का प्रयोग किया जा रहा है.

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स्वाति ने कहा कि आज हम लोग देश-विदेश के बड़े ब्रांड के साथ मिलकर काम कर रहे है. यही वजह है कि लखीमपुर खीरी के किसान इस समय भारी मात्रा में स्टेविया उगा रहे हैं. 

अबतक 20 करोड़ रुपये का किया इन्वेस्टमेंट

स्वाति कहती हैं कि स्टीविया का बाजार तेजी के साथ बढ़ रहा है. सालाना इनकम के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी हम लोगों को ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा है, क्योंकि अभी दो साल पहले प्रोडक्ट्स बाजार में आया है. फिलहाल हमने 20 करोड़ रुपये की लागत इस कारोबार को शुरू करने में लगाया है.

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केवल भारत में ही स्टेविया से बने 100 से अधिक प्रोडक्ट्स मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कंपनी को बहुत बड़ा मुनाफा होगा, जिससे किसानों की आमदनी डबल होगी.

जानें स्टीविया के फायदे

बता दें कि स्टीविया एक औषधीय पौधा है, जिसे मधुरगुणा के नाम से भी जाना जाता है. यह औषधि चीनी की तरह मीठी होती है और घर के आंगन या गार्डन में उगाई जा सकती है. यह जड़ी-बूटी डायबिटीज रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होती है क्योंकि इसमें कैलोरी नहीं के बराबर होती है और ना ही इससे कोई हानि पहुंचती है.


 

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