उत्तर प्रदेश में 1 नवंबर से ही गन्ना पेराई सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक चीनी मिलों की रफ्तार तेज नहीं हो पाई है. पेराई सत्र को शुरू हुए 1 महीना से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन चीनी मिलों की सुस्त रफ्तार के चलते प्रदेश के किसानों के खेतों में गन्ना अभी भी खड़ा है.जिसके चलते गेहूं की बुवाई नहीं हो पा रही है.यह हाल किसी एक जिले का नहीं बल्कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के गन्ना का उत्पादन करने वाले सभी जिलों का है. उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद में कुल 3 चीनी मिले हैं, जो अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रही है.जिले के गन्ना अधिकारियों का कहना है कि किसान के खेत खाली ना होने का सबसे बड़ा कारण अधिक रकबे पर गन्ने की फसल का होना है. जबकि किसान चीनी मिलों की सुस्त रफ्तार के चलते गन्ने की सप्लाई नहीं हो पा रही है.
पश्चिम उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद में चीनी मिलों की सुस्त रफ्तार के चलते किसान का गन्ना अभी खेतों में ही खड़ा है जिसके कारण जिले में गेहूं की बुवाई इस वर्ष पिछड़ गई है.चालू पेराई सत्र में गन्ने का रकबा इस बार 88000 हेक्टेयर हो चुका है.वहीं दूसरी तरफ गन्ने की खरीद में तेजी नहीं आई है.वहीं कई चीनी मिलों ने कम रिकवरी वाले गन्ने के प्रजातियों को रिजेक्ट कर दिया है.किसानों द्वारा अपनाई गई नई प्रजाति मिलों के लिए फायदेमंद साबित हुई है.इससे चीनी मिलों को फायदा हुआ है.वहीं दूसरी तरफ किसानों के सामने बड़ी समस्या भी हो गई है .गन्ना पर्ची न मिलने से गेहूं की बुवाई प्रभावित हो रही है .वही प्रशासन भी किसानों की इस समस्या को दूर करने में जुटा हुआ है जिससे कि गेहूं की बुवाई का काम समय से पूरा हो सके.
मुरादाबाद जनपद में किसानों को गन्ने की पर्ची मिलने में देरी हो रही है जिसके कारण किसान की गेहूं की बुवाई का काम प्रभावित हुआ है. किसान पर्ची को लेकर 1 सप्ताह से मिलकर चक्कर लगा रहे हैं .पर्ची न मिलने से किसान चीनी मिलों को गन्ने की सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं.इस वजह से खेत में गन्ने की फसल अभी खड़ी है.दिसंबर का महीना में पिछले साल गेहूं की बुवाई हो चुकी थी लेकिन इस बार काफी देर हो रही है.
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