यूपी सरकार ने गन्ना के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से 'गन्ना निवेश कोष' बनाने का फैसला किया है. राज्य के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना उत्पादकता में इजाफे के लिए किसानों के कृषि निवेश का महत्व, समय के साथ लगातार बढ़ रहा है. इस निवेश के माध्यम से ही किसान उन्नत बीज, खाद एवं यंत्र आदि खरीद सकेंगे और इनका इस्तेमाल करके गन्ना उत्पादकता में वृद्धि को मुमकिन बना सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस मकसद की पूर्ति के लिए कृषि निवेश हेतु ऋण वितरण को गति प्रदान करने की जरूरत है. इस जरूरत को गन्ना निवेश काेष की मदद से पूरा किया जा सकेगा.
डाॅ भूसरेड्डी ने कहा कि ‘गन्ना निवेश कोष’ नामक रिवॉल्विंग फंंड स्थापित करने के लिए गन्ना आयुक्त एवं निबंधक ने निर्देश जारी कर दिए गए हैं. गन्ना किसानों की सहकारी समितियां कम से कम 5 लाख रुपये और अधिक से अधिक 1 करोड़ रुपये तक की धनराशि के रिवॉल्विंग फंंड का बना सकेंगी.
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उन्होंने कहा कि इस फंड के मार्फत कृषि निवेश के वितरण की राह आसान होगी और इसमें छोटे एवं सीमान्त किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी. इससे न केवल गन्ना उत्पादकता में वृद्धि होगी बल्कि गन्ना समितियाें को भी लाभ होगा. उन्होंने दावा किया कि इस फंड के बनने से पूर्वांचल क्षेत्र के किसानों और गन्ना समितियों को सीधा फायदा मिलेगा.
डाॅ भूसरेड्डी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में नाबार्ड के माध्यम से गन्ना किसानों को खेती में जरूरी खर्चों के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे. इसके अनुपालन में गन्ना विकास विभाग ने यह फंड गठित करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में इस पहल का लाभ पूर्वांचल के जिलाें में छोटे और सीमांत गन्ना किसानों को मिलेगा.
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फंड उन जिलों में गठित करने का फैसला किया गया है, जिनके गन्ना समिति क्षेत्रों में पिछले कई सालों से जिला सहकारी बैंक निष्क्रिय पड़े हैं. इस कारण से गन्ना किसानों को कृषि निवेश के लिए आर्थिक सहायता नहीं मिल पाती है. डॉ भूसरेड्डी ने कहा कि यह स्थिति पूर्वांचल इलाके में प्रमुखता से देखी गई है, इसलिए इस इलाके के गन्ना किसानों को रिवॉल्विंग फंड बनने से तत्काल प्रभाव से लाभ होने लगेगा.
डॉ भूसरेड्डी ने बताया कि सहकारी समितियों द्वारा पंजीकृत सीमान्त एवं छोटे गन्ना किसानों के हित में 5 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक की सीमा के ‘कृषि निवेश कोष’ नामक रिवॉल्विंग फंंड की स्थापना की जाएगी. उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों के बकाया की समस्या के समाधान के बाद अब सरकार ने गन्ना की उपज बढ़ाने के उपायों पर तेजी से काम शुरू किया है.
उन्होंने इसका मकसद स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रदेश की सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के मुख्य उद्देश्यों में गन्ने की नवीनतम उन्नतशील प्रजातियों का बीज, खाद तथा उर्वरक, कीटनाशक दवायें, कृषि यंत्र, सिंचाई के साधन तथा कृषि सम्बन्धी अन्य उपकरणों का प्रबन्ध करना शामिल है. इसके लिए सहकारी समितियां अपने किसान सदस्यों को ऋण के रूप में आर्थिक सहायता मुहैया कराती है. इसके लिए पूंजी का प्रबन्ध करना भी गन्ना समितियों का ही दायित्व है. उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों की निष्क्रियता के कारण किसानों को हो रही परेशानी को दूर करने के लिए सरकार ने रिवाल्विंग फंड के गठन की व्यवस्था की है.
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उन्होंने बताया कि गन्ना उत्पादकता में इजाफे की संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने गन्ना विकास योजनाओं का लाभ सहकारी समितियों में पंजीकृत सीमान्त एवं छोटे किसान सदस्यों को उपलब्ध कराने की पहल की है. खासकर पिछले कई सालों से जिन जिलाें में सहकारी समितियां निष्क्रिय हैं, उनमें विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है. उन्होंने भरोसा जताया कि गन्ना सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को कृषि निवेश की सुविधा मिलने पर गन्ना की उत्पादकता में निश्चित रूप से वृद्धि होगी. इससे गन्ना समितियाें को भी गन्ना की आपूर्ति बढ़ने का सीधा लाभ मिलेगा.
डॉ भूसरेड्डी ने कहा कि ‘गन्ना निवेश कोष’ के परिणामों की सालाना समीक्षा की जाएगी. समीक्षा की जिम्मेदारी क्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्त एवं उप निबन्धक को सौंपी गई है. ये अधिकारी, सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियाें के स्तर पर इस कोष की समीक्षा करेंगे. इस कोष के माध्यम से किसानों को बीज एवं भूमि उपचार, पेडी प्रबंधन के लिए कीटनाशक रसायन का वितरण, जैव उर्वरक यानि बायोफर्टिलाइज़र का वितरण तथा सूक्ष्म पोषक तत्व के रूप में माइक्रोन्यूट्रीयन्टस के वितरण के साथ ही समिति के नियमित गन्ना आपूर्तिकर्ता किसानों को नकद रूप में उर्वरक तथा अन्य कृषि निवेश भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है.
इस कोष के माध्यम से नाबार्ड की तर्ज पर किसानों को कृषि निवेश ऋण दिया जाएगा. इसे किसानों काे 10.70 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से वापस लौटाना होगा. कृषि निवेश के रूप में ऋण लेने वाले किसानों को ब्याज दर में 3.70 प्रतिशत की छूट दी जायेगी. किसानों को 01 अप्रैल से 30 सितंबर तक की अवधि के लिये दिए गए ऋण की अदायगी 31 मार्च तक किए जाने की समय सीमा तय की गई है. इसी प्रकार 01 अक्टूबर से 31 मार्च की अवधि के लिए दिए गए ऋण का भुगतान 30 जून तक करने की व्यवस्था की गई है.
समय से ऋण की अदायगी करने वाले किसानों को 03 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज अनुदान मिलेगा. इस प्रकार ऋण लेने वाले किसान को 04 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर पर ही ऋण की अदायगी करनी होगी. उन्होंने स्पष्ट किया ऋण की अदायगी करने में नाकाम रहे किसानों को ब्याज अनुदान में कोई छूट नहीं मिलेगी. इस योजना में छोटे एवं सीमान्त गन्ना किसानों को प्राथमिकता दी की जायेगी.
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