गन्ना किसानों के लिए पंचामृत योजना बनी संजीवनी, जानें इसके फायदे

गन्ना किसानों के लिए पंचामृत योजना बनी संजीवनी, जानें इसके फायदे

उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पंचामृत योजना की घोषणा की है.  इस योजना के माध्यम से किसानों आय को दोगुना करने का प्रयास है. इस योजना के माध्यम से गन्ने की बुवाई के लिए ट्रेंच प्रबंध, कचरा मल्चिंग, पेडि प्रबंध, ड्रिप सिंचाई और सहफासली खेती को शामिल किया गया है.

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गन्ना किसानों के लिए पंचामृत योजना बनी संजीवनी, जानें इसके फायदेगन्ना किसान

उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पंचामृत योजना की घोषणा की है.  इस योजना के माध्यम से किसानों आय को दोगुना करने का प्रयास है. इस योजना के माध्यम से गन्ने की बुवाई के लिए ट्रेंच प्रबंध, कचरा मल्चिंग, पेडि प्रबंध, ड्रिप सिंचाई और सहफासली खेती को शामिल किया गया है. पंचामृत योजना गन्ने के उत्पादन लागत को कम करने के साथ-साथ 5 तरीकों के द्वारा उत्पादन और भूमि की उर्वरा बढ़ाने में गन्ना किसानों की मदद करती है. इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश में कुल 2028 किसानों को चयनित किया गया है. इस योजना में ड्रिप इरिगेशन से पानी की खपत 50 से 60 फ़ीसदी कम हो जाएगी जिससे पौधों की बहुत अच्छी होगी. वही पत्तियां मल्चिंग के काम आने से जलाने और प्रदूषण की समस्या का भी निस्तारण होगा. यही पत्तियां चढ़कर खेत में खाद का काम करेंगी जिससे उत्पादकता में भी वृद्धि होगी.

क्या है पंचामृत योजना

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार गन्ने की उपज बढ़ाने के लिए और फसल लागत कम करने के लिए पंचामृत योजना की शुरुआत कर चुकी है. किसानों के लिए पांच विधियों से खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. गन्ना किसानों के लिए यह योजना संजीवनी के रूप में काम कर रही है. गन्ने की खेती में नई तकनीक के प्रयोग कर उपज बढ़ाने के लिए गन्ना विकास विभाग ने इस योजना के माध्यम से ट्रेंच विधि, पेडी प्रबंधन, ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग और सहफसली को शामिल किया गया है. इसीलिए इसे पंचामृत नाम दिया गया है. इस योजना के माध्यम से गन्ने के साथ-साथ आलू गोभी, धनिया, मटर ,लहसुन ,टमाटर और गेहूं की फसल की खेती भी कर सकते हैं जिससे किसानों की आय में बड़ा इजाफा होगा.

पंचामृत योजना से गन्ना किसानों की बढ़ने लगी आय

गन्ना विकास विभाग के द्वारा पंचामृत योजना के माध्यम से राज्य में वर्ष 2022-23 के लिए 2028 किसानों का चयन किया गया है. इस योजना के अंतर्गत न्यूनतम भूखंड का क्षेत्रफल .5 हेक्टेयर रखा गया है. मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास परिषदों में प्रत्येक में कम से कम 15 भूखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के 10 भूखंडों का चयन किया जाएगा. पंचामृत योजना के तहत काम करने वाले किसानों की आय में इजाफा देखा गया है. इस योजना के माध्यम से जहां किसान गन्ने के साथ-साथ सहफसली खेती करके अपनी आय में अतिरिक्त इजाफा कर रहे हैं. वही ट्रेंच विधि के माध्यम से फसल की लागत में कमी भी आई है. किसान इस योजना को तेजी से अपना रहे हैं.

किसानों ने खूब सराहा पंचामृत योजना को


गन्ना विकास विभाग के द्वारा संचालित हो रही पंचामृत योजना को किसानों के द्वारा खूब सराहा जा रहा है. बुलंदशहर के इंजीनियरिंग कर चुके किसान दीप कांत शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा पंचामृत योजना एवं प्राकृतिक खेती करते हुए जैविक गन्ने की चटनी और गन्ने की आइसक्रीम का उत्पादन किया जा रहा है. इसके माध्यम से उन्हें अतिरिक्त लाभ भी मिल रहा है. अनूपशहर की महिला के साथ खुशी ने भी गन्ना विभाग की पंचामृत योजना की सराहना की. उन्होंने बताया की किसानों की आय को दुगनी करने के लिए यह योजना बढ़िया है. वही महिला किसान भावना ने बताया कि 5 एकड़ जमीन में गन्ने की सहफसली खेती करके ₹600000 प्रति वर्ष कमा रही हैं.

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