Vegetable Farming: पीली और लाल शिमला मिर्च सेहत के लिए काफी हेल्दी होती है. पीले रंग की शिमला मिर्च खाना इसलिए भी फायदेमंद है,क्योंकि रंग-बिरंगे फूड्स का आप जितना सेवन करेंगे, सेहत को उतने ही लाभ प्राप्त होंगे. इसी क्रम में लखनऊ (Lucknow) में एक ऐसे शख्स ने अपने तीन मंजिला मकान को सब्जी घर बना दिया है. विनोद कुमार पांडेय बीते 20 सालों से सीजनल सब्जियों की पैदावार अपने घर पर कर रहे हैं. इस बार चर्चा में इसलिए हैं कि उन्होंने गमलों में पीली और लाल शिमला मिर्च उगाई हैं. जिसकी पैदावार बंपर हो रही है.
इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में जागरूक किसान विनोद ने बताया कि हरी शिमला मिर्च के मुकाबले लाल और पीली शिमला मिर्च काफी महंगी बिकती है. उन्होंने बताया कि 24 फरवरी 2024 को 15 से 20 गमलों में लाल और पीली शिमला मिर्च की सीडिंग की थी. मई महीना आते आते फल आना शुरू हो गया है. अभी एक गमले से 500 ग्राम के करीब निकल रही है. विनोद कुमार पांडेय बताते हैं कि एक किलो लाल और पीली शिमला मिर्च की कीमत 100 रुपये हैं.
लखनऊ के गोमतीनगर इलाके के रहने वाले विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि उनका मकसद ऑर्गेनिक सब्जियों को बढ़ावा देना है. यही वजह है कि पिछले 30 साल से उन्होंने बाजार से कभी सब्जियां नहीं खरीदी हैं. उन्होंने बताया कि सब्जियां उगाना उनका कोई बिजनेस नहीं है बल्कि शौक है, इसीलिए वह अपने घर आने वाले हर शख्स को सब्जियां दे देते हैं. बाजार में जब कोई सब्जी नहीं मिलती है या महंगी होने की वजह से लोग परेशान हो रहे होते हैं तो इनकी चौखट पर ही पहुंचते हैं और विनोद भी पर्याप्त मात्रा में लोगों को सब्जियां देते हैं. सभी सब्जियां ऑर्गेनिक हैं. किचन वेस्ट से बनाई जाती हैं इसीलिए इसमें किसी प्रकार का केमिकल नहीं होता है. विनोद कुमार पांडेय खुद भी अपने घर की सब्जियां ही खाते हैं.
बता दें कि मौजूदा समय में विनोद कुमार पांडेय 500 गमलों के जरिए अलग-अलग सीजनल सब्जियों की पैदावार अपने घर पर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि करीब 150 पौधे सब्जियों के आज हमारे पास है. जहां से हम अपने खाने भर के लिए ताजा हरी सब्जियों को तोड़ लेते है. पांडेय बताते हैं कि उनको मार्केट से सिर्फ आलू और प्याज लेने की जरूरत पड़ती है. बाकी कोई भी हरी सब्जी वह नहीं खरीदते हैं. साथ ही बताया कि उन्होंने रोजाना 3-4 किलो देसी टमाटर की पैदावार हो जाती है. अगर पूरे सीजन की बात करे तो 250 किलो देसी टमाटर हुए थे.
उन्होंने बताया कि गमले में पानी का निकासी महत्वपूर्ण रोल निभाती है. अगर पानी की निकासी अच्छी है, तो सब्जियों या कोई भी फूल पौधा अच्छे से विकसित होता है. इसका ध्यान रखकर ही उन्होंने अलग-अलग की किस्म की कई सब्जियां उगाईं. उन्होंने बताया कि बाजार में मिलावटी सब्जियां बिक रही है. इन दिनों सब्जियों को फ्रेश रखने के लिए सब्जी विक्रेता केमिकल के जरिए कलर करके इस्तेमाल कर रहे हैं.
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