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यूपी में चना, मसूर और सरसों की इस साल भी होगी एमएसपी पर खरीद 

यूपी में चना, मसूर और सरसों की इस साल भी होगी एमएसपी पर खरीद 

यूपी में 01 अप्रैल से गेहूं सहित रबी की अन्य फसलों की सरकारी खरीद शुरू हो रही है. राज्य की योगी सरकार ने पिछले साल की तरह इस साल भी चना, मसूर और सरसों की उपज को एमएसपी पर किसानों से खरीदने का फैसला किया है. सरकार ने इसके लिए एमएसपी और कुल खरीद के लक्ष्य का भी निर्धारण कर लिया हैै.

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मंडी में फसल पहुंचने से पहले किसान कर रहे हैं गेहूं की कटाई, फोटो : किसान तक  मंडी में फसल पहुंचने से पहले किसान कर रहे हैं गेहूं की कटाई, फोटो : किसान तक

यूपी में मंडी परिषद ने रबी की फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर शनिवार से शुरू हो रही सरकारी खरीद की तैयारियां मुकम्मल कर ली है. रबी की मुख्य फसल के रूप में इस साल गेहूं की सरकारी खरीद के लिए एमएसपी 2125 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया गया है.

मंडी परिषद ने यूपी में रबी की फसलों की सरकारी खरीद के लिए 6 हजार क्रय केन्द्र स्थापित किए हैं. इनसे 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.  इस बीच योगी सरकार ने इस साल चने का एमएसपी 5335 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया है.

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस साल सरकार का लक्ष्य किसानों से 2.12 लाख मीट्रिक टन चना खरीदने का है. इसी प्रकार रबी की अन्य प्रमुख उपज में मसूर और सरसों की भी एमएसपी पर खरीद होगी. 

सरसों और मसूर का एमएसपी

योगी सरकार इस साल भी सरसों, राई और मसूर भी किसानों से एमएसपी पर खरीदेगी. सरकार ने इस वर्ष किसानों से एमएसपी पर 9.34 लाख मीट्रिक टन सरसों एवं राई खरीदने का लक्ष्य तय किया है. इसके अलावा एमएसपी पर मसूर की सरकारी खरीद का लक्ष्य 1.49 लाख मीट्रिक टन निर्धारित है. सरकार ने सरसों और राई का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपये प्रति कुंतल एवं मसूर का प्रति कुंतल समर्थन मूल्य 6000 रुपये घोषित कर दिया है.  

इन जिलाें के किसानों को होगा लाभ

गेहूं के साथ चना, सरसों और मसूर की भी एमएसपी पर खरीद होने से उन सभी जिलों के किसानों को भरपूर लाभ होगा, जहां इन फसलों की पैदावार प्रमुखता से होती है. चना की अगर बात की जाए तो एमएसपी पर इसकी खरीद से यूपी में विंध्य एवं बुंदेलखंड क्षेत्र के सोनभद्र, चित्रकूट, हमीरपुर और महोबा जिले के लाखों किसानों के लिए चने की खेती चैन का सबब बनेगी. एमएसपी पर चना की खरीद होने से इसके बाजार भाव को लेकर किसानों को चिंता नहीं करनी होगी.

सरकार का दावा है कि एमएसपी पर खरीद होने से चने इन जिलों में किसान चने की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगे. इसी तरह सरसों की खरीद से इटावा एवं आसपास के सरसों उत्पादक किसानों को लाभ होगा। जबकि, एमएसपी पर मसूर की खरीद से बलिया एवं आसपास के अन्य उत्पादक जिलों के किसान लाभान्वित होंगे.

दलहन एवं तिलहन में आत्मनिर्भर बनेगा यूपी

जानकारों के मुताबिक चना, सरसों और मसूर की एमएसपी पर खरीद होने से सरकार को दोहरा लाभ होना तय है. कृष‍ि विशेषज्ञ गिरीश पांडे ने बताया कि एमएसपी पर इन फसलों की खरीद होने से किसानों को बेहतर बाजार भाव मिलेगा. साथ ही सरकार से एमएसपी की गारंटी मिलने से इनकी खेती का रकबा और उत्पादन भी बढ़ेगा.

उन्होंने कहा कि इससे दलहन और तिलहन के मामले में यूपी को आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए योगी सरकार का प्रयास है कि अगले 4 साल में मांग के बराबर ही चना, सरसों और मसूर का उत्पादन भी हो. उन्होंने बताया कि इसके लिए सरकार विशेषज्ञों की मदद से उत्पादन के साथ उत्पादकता को बढ़ाने के उपाय लागू करने के साथ एमएसपी पर इनकी खरीद की गारंटी दी गई है.

 
उपज बढ़ाने के अन्य उपाय

सरकार की ओर से बताया गया है कि रबी के सीजन की शुरुआत से पहले ही यूपी में चना, मसूर और सरसों के उत्पादन वाले जिलों में किसानों को 33 करोड़ रुपये के दलहनी फसलों के बीज की मिनीकिट निःशुल्क उपलब्ध कराए गए. इसमें चना (प्रति किट 16 किग्रा) एवं मसूर  (प्रति किट 8 किग्रा) के 2.5 लाख मिनीकिट किसानों को वितरित किए गए थे.

इसके अलावा प्रदेश के कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) की उपयोगिता के अनुसार 28 हजार कुंतल दलहनी फसलों की अन्य फसलों के बीज भी किसानों को निःशुल्क दिए गये थे.

वर्तमान स्थिति

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा दौर में दलहन का यूपी में उत्पादन मांग के सापेक्ष आधे से भी कम है. फिलहाल प्रदेश में दलहन का उत्पादन मांग के सापेक्ष 40 से 45 फीसद ही है. पांडे ने कहा कि प्रदेश सरकार अगले पांच सालों में इसे बढ़ाकर मांग के अनुरूप करने के लिए प्रयासरत है. उन्होंने दावा किया कि सरकार के इस निर्णय से दो लाभ होंगे. पहला, गत वर्ष अगस्त में सूखा एवं अक्टूबर में अप्रत्याशित बाढ़ से प्रभावित किसानों को इन फसलों के उन्नत प्रजाति के बीज की खरीद से राहत मिली, और दूसरा लाभ, सरकार की मंशा के अनुरूप दलहन का उत्पादन एवं रकबा भी बढ़ेगा.

तिलहन की भी है कम उपज

दलहन की ही तर्ज पर सरकार तिलहन के मामले में भी यूपी को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है. मौजूदा स्थिति यह है कि यूपी में खाद्य तेलों की खपत के लिहाज से तिलहन का मात्र 30 से 35 फीसद ही उत्पादन होता है. सरकार इसका उत्पादन भी मांग के अनुरूप करना चाहती है.


तिलहन का भी बट रहा बीज

तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए रबी के सीजन में किसानों के लिए 2905 कुंतल से बढ़ाकर 18250 कुंतल प्रमाणित एवं आधारीय नवीन प्रजातियों के बीज की व्यवस्था की थी. बार्डर लाइन सोईग, अन्तःफसली और जायद तिलहनी फसलों से उत्पादन और क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए किसानों में सघन जागरूकता अभियान चलाया गया था.

असमतल भूमि पर सूक्ष्म सिंचाई के साधनों का विकास कर तिलहनी फसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन में वृद्धि पर भी सरकार का खासा जोर है. साथ ही लघु और सीमांत किसानों को बेहतर प्रजातियों के मिनीकिट भी दिये गये. योगी सरकार का लक्ष्य है कि अगले चार साल में तिलहन फसलों का क्षेत्रफल 24.77 लाख हेक्टेयर, उत्पादकता 12.85 कुंतल प्रति हेक्टेयर और उत्पादन 31.30 लाख मीट्रिक टन हो सके.

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