गेहूं की सरकारी खरीद 20 दिन पहले बंद हो चुकी है. ऐसे में अब इसका दाम और बढ़ना शुरू हो गया है. राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की एक मंडी में गेहूं का दाम 3,031 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. जानकार बता रहे हैं कि अभी दाम और बढ़ सकते हैं. दक्षिण और पश्चिम भारत में पहले से ही इससे अधिक दाम चल रहा है. केंद्र सरकार की ऑनलाइन मंडी ई-नाम के अनुसार राज्य की अधिकांश मंडियों में एमएसपी से अधिक कीमत पर किसान गेहूं बेच रहे हैं. हालांकि केंद्र सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMMS) लाकर दाम घटाने की कोशिश कर रही है, जिसका किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. क्योंकि इससे किसानों को नुकसान होगा.
बहरहाल, ई-नाम के अनुसार बारां जिले में गेहूं का दाम 2,700 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. झालावाड़ जिले की भवानी मंडी में भी 2700 रुपये तक का रेट चल रहा है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक है. इस साल सरकार ने गेहूं की एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल घोषित की हुई है. जहां तक राजस्थान की बात है तो यहां पर राज्य सरकार ने इस एमएसपी पर 125 रुपये क्विंटल का बोनस दिया है. यानी यहां के सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचने पर किसानों को 2400 रुपये क्विंटल का दाम मिला है.
इसे भी पढ़ें: पंजाब में भू-जल संकट से निपटने के लिए केंद्र ने दिया मंत्र, करना होगा क्रॉप डायवर्सिफिकेशन वरना...!
केंद्र सरकार की मंशा यह है कि गेहूं के दाम काबू में रहें. इसलिए दो साल से एक्सपोर्ट बैन है. साथ ही 2325 रुपये क्विंटल के दाम पर वो 1 अगस्त से रोलर फ्लोर मिलर्स को अपने स्टॉक से गेहूं बेचने जा रही है, जिससे कि दाम इसी के आसपास रहे. हालांकि, इस स्कीम को घोषित करने के बाद भी अब तक बाजार में गेहूं के दाम में नरमी देखने को नहीं मिली है. अब भी बाजार में दाम 2400 रुपये क्विंटल से अधिक ही दाम चल रहा है.
केंद्र सरकार ने दावा किया है कि इस साल गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 1129.25 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के गेहूं उत्पादन से 23.71 लाख टन ज्यादा है. रिकॉर्ड उत्पादन के दावों के बावजूद सरकार अपने लक्ष्य जितना गेहूं नहीं खरीद पाई है. इससे बाजार दबाव में है और दाम बढ़ रहे हैं. सरकार ने इस साल 372.9 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था लेकिन पूरी खरीद सिर्फ 266 लाख टन पर ही सिमट गई.
इसे भी पढ़ें: भारत में क्यों बढ़ रहा दालों का संकट, कैसे आत्मनिर्भर भारत के नारे के बीच 'आयात निर्भर' बना देश
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today