प्याज एक्सपोर्ट बैन को 31 मार्च से आगे बढ़ाने के फैसले के खिलाफ किसानों में गुस्सा है, क्योंकि इसकी वजह से बाजार में दाम काफी गिर गए हैं. देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक सूबे महाराष्ट्र के किसान अब लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी और मौन धारण करके बैठे विपक्ष को सबक सिखाने का एलान कर रहे हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने बताया है कि आखिर किन परिस्थितियों में एक्सपोर्ट बैन को आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया. उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बताया कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कीमतों और वैश्विक उपलब्धता संबंधी चिंताओं के बीच घरेलू उपलब्धता के कारण प्याज निर्यात प्रतिबंध को बढ़ाने का हालिया निर्णय जरूरी हो गया है.
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वैश्विक आपूर्ति परिदृश्य और अल नीनो के दौरान सूखे के कारण सरकार को वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान प्याज निर्यात को रेगुलेट करने के लिए नीतिगत उपाय करने की जरूरत पड़ी थी. इन उपायों में 19 अगस्त 2023 को प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाना, 29 अक्टूबर 2023 से 800 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाना और घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 8 दिसंबर, 2023 से निर्यात पर प्रतिबंध लगाना शामिल है.
इसे भी पढ़ें: MSP: सी-2 लागत के आधार पर एमएसपी क्यों मांग रहे हैं किसान, कितना होगा फायदा?
सरकार ने कहा है कि प्याज एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध भले ही लगा हुआ है लेकिन, उन पड़ोसी देशों को निर्यात की अनुमति दे दी गई है जो अपनी घरेलू खपत जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर हैं. इसके तहत सरकार ने भूटान को 550 मीट्रिक टन, बहरीन को 3,000 मीट्रिक टन, मॉरीशस को 1,200 मीट्रिक टन, बांग्लादेश को 50,000 मीट्रिक टन और संयुक्त अरब अमीरात को 14,400 मीट्रिक टन प्याज निर्यात की अनुमति दी है. हालांकि यह एक्सपोर्ट नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (NCEL) करेगी.
रबी सीजन 2024 की फसल बाजार में आनी शुरू हो गई है. ऐसे में सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और नेफेड को किसानों से 5 लाख टन प्याज की सीधी खरीद की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं. खरीद करने के लिए दोनों एजेंसियों को पहले प्याज उत्पादक किसानों का रजिस्ट्रेशन करना होगा. ताकि किसानों को भुगतान डीबीटी के जरिए उनके बैंक खातों में भेजा जा सके.
केंद्र सरकार ने माना है कि रबी सीजन का प्याज देश के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश में वार्षिक उत्पादन का 72 से 75 प्रतिशत तक का योगदान देता है. इसके जरिए ही साल भर तक देश में प्याज की उपलब्धता बनी रहती है. क्योंकि इसमें खरीफ प्याज की तुलना में बेहतर भंडारण क्षमता होती है. इसे नवंबर-दिसंबर तक आपूर्ति के लिए स्टोर किया जा सकता है.
इसे भी पढ़ें: Farmers Protest: पंजाब के किसानों को पहले से ही मिल रही एमएसपी की अघोषित 'गारंटी'
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today