एक बड़ी राहत के रूप में, सरकार देश भर के अन्न भंडारों में संग्रहित चार गुना से अधिक खाद्यान्न को बचाने में कामयाब रही है. एक आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि 2018 से 2023 के दौरान मुख्य रूप से बारिश के कारण खाद्यान्न की बर्बादी चार गुना से अधिक कम हो गई है. केरल के आरटीआई कार्यकर्ता के. गोविंदन नामपुथिरी ने भंडारण सुविधाओं में नष्ट होने वाले खाद्यान्न के विवरण के बारे में जानकारी मांगी थी.भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने पाया कि वर्ष 2018-19 के दौरान कुल नष्ट खाद्यान्न 5213 मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2022-23 के दौरान घटकर 1628 मीट्रिक टन रह गया है.
मॉनसून के बाद के महीनों में बारिश के लंबे दौर के बावजूद, एफसीआई भारी मात्रा में खाद्यान्न बचाने में कामयाब रहा है. खराब अनाज में करीब चार गुना गिरावट का मतलब है कि एजेंसियां बेहतर भंडारण सुविधा के लिए काम कर रही हैं. गोविंदन ने कहा कि एफसीआई गोदामों में गैर-जारी करने योग्य खाद्यान्न स्टॉक में भारी गिरावट आई है.
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आरटीआई से पता चला कि बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, पंजाब और गुजरात गैर-जारी करने योग्य खाद्यान्नों में शीर्ष पर हैं. यानी इनमें नुकसान ज्यादा है. बताया गया है कि वर्ष 2019-20 के दौरान 1930 मीट्रिक टन खाद्यान्न नष्ट हो गया जबकि वर्ष 2020-21 के दौरान 1850 मीट्रिक टन और वर्ष 2021-22 के दौरान 1693 मीट्रिक टन खाद्यान्न खराब हुआ. यह खाद्यान्न की बर्बादी में भारी गिरावट को दर्शाता है.
खाद्यान्न की बर्बादी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने तत्कालीन खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान के कार्यकाल के दौरान फीफो (पहले आओ-पहले बाहर) नीति अपनाई थी. फीफो नीति ने देश भर में एफसीआई भंडारों में संग्रहित खाद्यान्नों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में मदद की. यही नहीं वर्तमान में खुले में अनाज नहीं रखा जा रहा. यही नहीं अच्छे भंडारण के लिए स्टील के साइलोज बनाए जा रहे हैं.
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