केंद्र सरकार की ओर से कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में देशभर में बेमौसम बारिश और खराब मौसम के कारण खेती को हुए नुकसान की जानकारी दी. उन्हाेंने राज्यों की ओर से जारी किए गए डेटा के माध्यम से फसल प्रभावित होने की जानकारी पेश करते हुए बताया कि 2024-25 के दौरान देशभर में कुल 14.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसल प्रभावित हुई. रामनाथ ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति (एनपीडीएम) के अनुसार जमीनी स्तर पर राहत सहायता देने सहित आपदा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है. राज्य सरकारें प्राकृतिक आपदाओं में भारत सरकार की स्वीकृत वस्तुओं और मानदंडों के अनुसार, उनके पास पहले से मौजूद राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से राहत के उपाय करती हैं.
मंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता राहत के रूप में है न कि मुआवजे के लिए. किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल के नुकसान के बारे में डेटा केंद्रीय रूप से नहीं रखा जाता है. राज्यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2024-25 के दौरान जल-मौसम संबंधी आपदाओं के कारण फसल के प्रभावित क्षेत्र की जानकारी इस प्रकार है.
क्रमांक | राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | प्रभावित फसली क्षेत्र (लाख हैक्टेयर में) |
1 | असम | 1.38 |
2 | कर्नाटक | 2.86 |
3 | मणिपुर | 0.01 |
4 | मेघालय | 0.01 |
5 | मिजोरम | 0.21 |
6 | नगालैंड | 0.03 |
7 | ओडिशा | 0.22 |
8 | तमिलनाडु | 4.00 |
9 | उत्तर प्रदेश | 3.95 |
10 | उत्तराखंड | 0.05 |
11 | पश्चिम बंगाल | 1.38 |
12 | जम्मू और कश्मीर | 0.02 |
13 | पुडुचेरी | 0.01 |
14 | कुल | 14.24 |
नोट: उक्त आंकड़े वर्ष 2024-25 के दौरान 27.01.2025 तक अनंतिम हैं.
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरक बनाती है और अपेक्षित रसद और वित्तीय सहायता देती है. 'गंभीर प्रकृति' की आपदा के मामले में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त वित्तीय मदद की जाती है, जिसमें अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) के दौरे के आधार पर मूल्यांकन के बाद फैसला लिया जाता है.
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