खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का महत्व बढ़ रहा है. क्योंकि इससे कई सारी बीमारियों का जानना और उसका समाधान खोजना आसान हो गया है. एआई के माध्यम से अब ड्रोन सिर्फ ऐसी जगहों पर स्प्रे कर रहा है जहां जिस खाद और कीटनाशक की जरूरत है. इसी कड़ी में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) के वैज्ञानिकों ने वायरलेस सेंसर नेटवर्क (डब्ल्यूएसएन) का लेटेस्ट वर्जन तैयार किया है जो अपने अत्याधुनिक सेंसर के जरिए फसल को महसूस करके उसके डेटा को एनालाइज करेगा और उससे संबंधित अलर्ट मैसेज किसान को भेज देगा. इसका प्रोजेक्ट तेलंगाना में चल रहा है. इससे किसान का काम आसान हो जाएगा और वह उस अलर्ट के हिसाब से आगे का प्लान कर पाएगा.
अब एआई के माध्यम से खेत में बीज बोने से लेकर फसल पकने तक निगरानी रखने का काम होगा. फसल को कब-कितने पानी की जरूरत है, कीटनाशक कब छिड़कें, धूप पौधों पर कैसा असर डाल रही है, यह सभी सूक्ष्म से सूक्ष्म डेटा सेंसर रिकॉर्ड करेंगे, जिससे किसान अपनी खेती को आगे बढ़ा पाएगा. उससे जुड़ी समस्याओं का समाधान कर पाएगा. इस मॉडल में लगी सिम इंटरनेट के जरिए किसान के फोन से जुड़ी रहेगी, जो हर एनालिसिस की सूचना एसएमएस के जरिए किसान को देगी.
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बताया गया है कि इस मॉडल का परीक्षण तेलंगाना के महबूब नगर जिले में 350 एकड़ में किया जा रहा है. यह।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अच्छा इस्तेमाल है. यह प्रयोग तो अनोखा है ही कुछ मोबाइल ऐप ऐसे बनाए गए हैं कि उससे किसान अब यह पता कर रहे हैं कि उनके खेत किस तत्व की कितनी कमी है. जानकारों का कहना है कि आने वाले वक्त में एआई का इस्तेमाल खेती में काफी बढ़ जाएगा.
सी-डैक के अनुसार यह एक सेंसिंग मॉडल है, जो वायरलेस सेंसर नोड्स के जरिए पर्यावरण की निगरानी करता है. उससे जुड़ी सूचनाएं किसान तक भेजता है. यह पहले के मॉडल से अपडेट हो चुका है. इस मॉडल को आप आसानी से खेत में इंस्टॉल कर सकते हैं. इसके तीन हिस्से हैं. नोड्स सेंसर, राउटर और गेट वे. हाई फ्रीक्वेंसी वाले पांच नोड्स (सेंसर) रियल टाइम में तापमान, आर्द्रता, पत्ती का गीलापन, मिट्टी की नमी जैसी सूक्ष्म जानकारी रिकॉर्ड करते हैं. इसके डेटा को एनालाइज करके राउटर को भेजते हैं और वहां से सीधे यह सूचना किसानों तक पहुंच जाती है.
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