महाराष्ट्र के सांगली में हल्दी खरीद का मुहूर्त हो गया है. पहले दिन हुए सौदे में हल्दी ने रिकॉर्ड कीमत हासिल की. इसे 17 हजार रुपयेकी रिकॉर्ड कीमत हासिल की. इस साल किसानों को अच्छा भाव मिलने की उम्मीद है. इस वर्ष सूखे के कारण हल्दी की पैदावार कम है, इसलिए इसके भाव में अच्छी तेजी बने रहने का अनुमान है. इससे किसान और व्यापारी दोनों खुश हैं. दिवाली के बाद यह किसानों के लिए अच्छी खबर है. हल्दी की खेती करने वाले किसानों की कमाई के लिए यह अच्छा मौका है. महाराष्ट्र हल्दी का प्रमुख उत्पादक है. काफी समय के बाद राज्य के किसानों को हल्दी का अच्छा दाम मिल रहा है.
महाराष्ट्र के सांगली में हल्दी की बिक्री आज से शुरू हो गई है और आवक कम होने के कारण हल्दी को अच्छी कीमत मिली है. इस साल मुहूर्त में ही राजापुरी हल्दी को 17 हजार एक का भाव मिला है. उसके बाद सौंदा में आए हल्दी के अन्य कट्टे को 10 हजार से 17 हजार तक का अच्छा रेट मिला है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष मनोहर सारड़ा ने कहा कि पिछले साल, हल्दी की कीमत गिर गई थी. क्योंकि कई किसानों ने बड़े पैमाने पर हल्दी की फसल का उत्पादन किया था. इससे कई किसान प्रभावित हुए. इसलिए इस साल कुछ ही किसानों ने हल्दी की फसल ली. इसके अलावा इस साल हल्दी की फसल भी कम है क्योंकि बारिश ने मुंह मोड़ लिया है. इस वर्ष आवक कम होने से हल्दी को अच्छी कीमत मिलेगी.
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हल्दी को मसाला वर्ग में एक प्रमुख नकदी फसल के रूप में जाना जाता है. महाराष्ट्र में सांगली, सतारा, हिंगोली, नांदेड़, परभणी प्रमुख हल्दी उत्पादक जिले हैं.यह सांगली जिले की प्रमुख फसलों में से एक है. एपिडा के अनुसार तेलंगाना और महाराष्ट्र भारत के 8,89,000 टन हल्दी उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक योगदान देते हैं. तेलंगाना में 2,94,560 टन हल्दी का उत्पादन होता है जबकि महाराष्ट्र में 1,90,090 टन उत्पादन होता है. हल्दी की फसल गर्म और आर्द्र जलवायु के अनुकूल होती है. मध्यम वर्षा और अच्छी साफ रोशनी में फसल अच्छी तरह से विकसित होती है.
मुंबई मंडी में हल्दी का न्यूनतम दाम 15000 रुपये क्विंटल, अधिकतम दाम 20000 और मॉडल प्राइस 17500 रुपये क्विंटल है. इसी तरह जिंतुर में न्यूनतम और अधिकतम दाम 11000 रुपये प्रति क्विंटल है. हालांकि नांदेड में 9000 से लेकर 12050 रुपये क्विंटल तक का भाव चल रहा है. किसानों को उम्मीद है कि इस साल उन्हें 10 से 15 हजार रुपये क्विंटल के बीच भाव मिलेगा. जबकि पिछले साल 8000 रुपये के भाव पर भी काफी किसानों को फसल बेचनी पड़ी थी.
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