तेलंगाना के पूर्व मंत्री और सूर्यापेट से भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायक जी.जगदीश रेड्डी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार किसानों की परेशानियों पर मूकदर्शक बनी हुई है. जबकि प्रदेश में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया है. किसान फसलों की सिंचाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जगदीश रेड्डी ने कहा कि सिंचाई की कमी के कारण, खेतों में खड़ी फसलें सूख रही हैं, लेकिन सरकार को किसानों की बिल्कुल चिंता नहीं है. ऐसे में किसानों को भारी नुकसान भी हो रहा है.
जगदीश रेड्डी ने कहा कि नहरों में पानी की कमी, बोरवेलों के सूखने और कटाई के चरण से पहले फसलों के सूखने के कारण अविभाजित नलगोंडा जिले के किसान गहरे संकट में हैं. नलगोंडा के पूर्व विधायक के. भूपाल रेड्डी के साथ, उन्होंने सोमवार को नलगोंडा मंडल के अन्नपर्थी गांव में धान, नींबू और मिर्च के सूखे खेतों का दौरा किया और किसानों से उनकी समस्याओं के बारे में पूछताछ की. इस दौरान जगदीश रेड्डी ने मांग की कि राज्य सरकार कर्नाटक सरकार से बात करे, जहां कांग्रेस भी सत्ता में है और नागार्जुनसागर के नीचे खड़ी फसलों को बचाने के लिए अलमाटी और नारायणपुर बांधों से 10 टीएमसी फीट की रिहाई सुनिश्चित करे.
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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मुसी परियोजना के तहत पानी देने की संभावनाएं नहीं तलाश रही है. बीआरएस नेता ने कहा कि इस मौसम में लगभग हर गांव में मुरझाई हुई फसलें दिखाई दे रही हैं, जिससे कृषक समुदाय को भारी नुकसान हुआ है. बीआरएस नेता ने आरोप लगाया कि न तो मुख्यमंत्री ए.रेवंत रेड्डी और न ही उनके किसी कैबिनेट सहयोगी किसानों की दुर्दशा के बारे में जानने की कोशिश की है.
जगदीश रेड्डी ने मांग करते हुए कहा कि नेताओं के दलबदल को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी ऊर्जा समर्पित करने के बजाय, कांग्रेस सरकार को फसल के नुकसान का सर्वेक्षण करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. साथ ही धान उत्पादक किसानों को प्रति एकड़ 50,000 रुपये और मिर्च किसानों को प्रति एकड़ 80,000 रुपये का मुआवजा देना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि बीआरएस सरकार ने 2014 से हर साल दो फसलों के लिए सिंचाई का पानी सुनिश्चित किया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने कृषि क्षेत्र को संकट में डाल दिया.
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वहीं, बीते दिनों नलगोंडा जिला किसान संघ के अध्यक्ष बंदा श्रीशैलम ने कहा था कि नलगोंडा जिले में 280,000 एकड़ में से इस सीजन में 180,000 एकड़ में धान की खेती की गई थी. उन्होंने कहा कि लगातार सूखे के कारण धान की 50 फीसदी फसल सूख गई है. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने सरकार से क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वेक्षण कराने और प्रति एकड़ 25,000 रुपये मुआवजा देने की मांग की है.
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