देश में जल्द की मॉनसून की शुरुआत होने वाली है. इसके साथ ही खरीफ फसलों की खेती की भी शुरुआत हो जाएगी. धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. वहीं धान की खेती करने वाले ज्यादातर किसान इस उम्मीद में खेती करते हैं कि उन्हें अन्य फसलों के मुकाबले इससे बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा मिलेगा. वहीं मई का अंतिम सप्ताह आते-आते कई राज्यों के किसान धान की बिजाई यानी नर्सरी लगना भी शुरू कर देते हैं.
धान की फसल को तैयार करने के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने धान की कई ऐसी किस्में तैयार की हैं, जो कम पानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देती हैं. कई राज्यों के किसान बारिश को ध्यान में रखते हुए धान की खेती करते हैं. उन किसानों के लिए धान की ये 3 किस्में किसी वरदान से कम नहीं है. आइए जानते हैं कौन सी हैं वो किस्में और क्या है उनकी खासियत.
बासमती पूसा 834: बासमती पूसा 834 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म 125 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. धान की इस किस्म की पत्ती पर झुलसा रोग ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाता है. बासमती की इस किस्म को कम उपजाऊ मिट्टी या फिर कम पानी वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है. वहीं पूसा 834 बासमती किस्म 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है.
पूसा सुगंध-5: इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित किया गया है. सुगंधित और उच्च क्वालिटी वाली यह हाइब्रिड किस्म है. जो 120 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म के दाने पतले, सुगंधित और लंबे होते हैं. वहीं यह कम पानी में तैयार होने वाली किस्म है. महीन धान की इस किस्म को अमेरिका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों में निर्यात किया जाता है. इस किस्म से किसान 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपज ले सकते हैं.
स्वर्ण शुष्क: धान की ये किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाली है. इस किस्म में रोग और कीट ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाते, इस धान में रोगों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है. यह कम ऊंचाई वाली धान की किस्म है जो अच्छी पैदावार देती है. यह किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में भी 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है. यह धान 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
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