महाराष्ट्र में सिर्फ प्याज और अंगूर की खेती करने वाले किसान ही परेशान नहीं हो रहे हैं बल्कि अब सोयाबीन उत्पादक किसानों के सामने भी समस्या आ खड़ी हुई है. राज्य की अधिकांश मंडियों में किसानों को सोयाबीन का उचित दाम नहीं मिल रहा है. जबकि सोयाबीन की गिनती दलहन-तिलहन दोनों फसलों में होती है. किसानों को एमएसपी नहीं मिल पा रही है. राज्य के यवतमाल जिले में सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट के चलते किसानों के आंखों से आंसू निकाल रहे हैं. एक महीने पहले बाजार में सोयाबीन 6200 रुपये प्रति क्विंटल बिका था. इसके बाद किसानों ने अपनी सोयाबीन की उपज मंडी में बेचना शुरू किया. किसानों का कहना है कि लेकिन अब भाव बहुत कम मिल रहा है.
फिलहाल व्यापारी किसानों से सोयाबीन 4100 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद रहे हैं, जिससे किसान काफी हैरान हैं. क्योंकि 4600 रुपये तो इसकी एमएसपी है. महाराष्ट्र में सोयाबीन प्रमुख फसल है. इसे नकदी फसल माना जाता है इसीलिए इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इस साल यवतमाल जिले में खरीफ सीजन में करीब 3 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन लगाई गई है. राज्य इसका दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है.
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जिले के किसानों का कहना है कि पहले बारिश,अतिवृष्टि के कारण सोयाबीन की फसल को भारी नुकसान हुआ, इस संकट से जो भी उपज बची उसे संभाल कर रखा था. लेकिन अब बेचने पर इतना कम भाव मिल रहा है जिससे किसान लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं.
सीजन की शुरुआत में सोयाबीन की कीमत 6200 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल थी. इससे उम्मीद थी कि आगे और भी अच्छा दाम मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस समय मंडी में सोयाबीन 4000 से 4200 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है. इससे किसानों को पहले के मुकाबले प्रति क्विंटल कम से कम दो हजार रुपये का नुकसान हो रहा है.
किसानों का कहना है कि बाजार में बिक्री के लिए लाए गए सोयाबीन को घर वापस ले जाने पर भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है. इसलिए किसानों द्वारा बिक्री के लिए लाया गया सोयाबीन घर ले जाए बिना ही जो दाम मिल सकता है उसी पर बेचना पड़ रहा है. परिणामस्वरूप, सोयाबीन उत्पादन की लागत वसूल होने की संभावना कम है. वहीं दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि बढ़ती आवक के कारण कीमतों मे गिरावट आई है.
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