एक ही खेत में लगाएं ज्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया और ग्वार...पशुओं के लिए कभी कम नहीं पड़ेगा चारा

एक ही खेत में लगाएं ज्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया और ग्वार...पशुओं के लिए कभी कम नहीं पड़ेगा चारा

अगर पशुपालक अधिक मात्रा में चारे की खेती करना चाहते हैं तो वे ज्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया और ग्वार को एक ही खेत में उगा सकते हैं. इसके लिए किसान अपने खेतों में 2:1 के अनुपात में इन चारे की बुवाई करें. इसकी खेती जुलाई के प्रथम पखवाड़ा में करनी चाहिए.

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एक ही खेत में लगाएं ज्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया और ग्वार...पशुओं के लिए कभी कम नहीं पड़ेगा चाराहरा चारा

पशुपालन करने वाले किसानों के लिए साल भर चारे का प्रबंध करना सबसे बड़ी चुनौती होती है क्योंकि जानवरों के अच्छे पोषण के लिए हरा चारा खिलाना बेहद जरूरी होता है. लेकिन अब पशुपालकों की इस समस्या का भी समाधान मिल गया है. किसान अब एक ही खेत में ज्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया और ग्वार की खेती करके चारे की कमी से निजात पा सकते हैं. इन सभी फसलों के चारे पशुओं के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं किसान इन पांचों चारे की खेती एक साथ कैसे कर सकते हैं.

एक ही खेत में करें चारे की खेती

अगर पशुपालक अधिक मात्रा में चारे की खेती करना चाहते हैं तो वे ज्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया और ग्वार को एक ही खेत में उगा सकते हैं. इसके लिए किसान अपने खेतों में 2:1 के अनुपात में इन चारे की बुवाई करें. इन पांचों चारों को एक साथ बोने से अधिक पौष्टिक और अच्छा हरा चारा मिलता है. वहीं, बात करें चारे वाली ज्वार की एक कटाई के लिए उन्नत किस्म की तो इसमें पूसा चरी-6 और पूसा चरी-9 दो कटाई वाली किस्में हैं.

इस विधि से करें चारे की खेती

जुलाई का प्रथम पखवाड़ा इन चारे को बोने का उत्तम समय होता है. इस फसल को जल्दी या देर से बोने पर भी चारे की अच्छी पैदावार हो जाती है. वहीं, इनकी खेती लिए लगभग 20-25 किलो हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है. इसे बोने का सही तरीका सीड ड्रिल होता है. इसमें बीज को 20-25 सेमी पर पंक्तियों में बोना चाहिए. इस विधि से खेती करने पर किसानों को अधिक मात्रा में चारा मिलता है.

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खेत तैयार करने में डालें ये खाद

चारे की बुवाई से पहले खेत में 50 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फास्फोरस और 30 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए. बुवाई के एक महीने बाद 30 किलो नाइट्रोजन को खड़ी फसल में पंक्तियों के बीच में छिटकना चाहिए. कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में 20-30 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से बोने के 30-35 दिनों बाद बारिश होने पर देना चाहिए. यदि लंबे समय तक वर्षा न हो तो यूरिया के 2 प्रतिशत घोल का छिड़काव बोने के 30-35 दिनों बाद किया जा सकता है.

हरे चारे के जानिए फायदे

1.हरे चारे में कई अलग-अलग पोषक तत्व जैसे, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
2. प्रोटीन पशुओं में होने वाली अलग-अलग प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा करती है.
3. हरे चारे में प्रचुर मात्रा में केरोटीन पाया जाता है, जो विटामिन ए का रूप है जो पशुओं में अंधेपन की बीमारी से मुक्ति दिलाता है.
4. पशुओं को हरा चारा खिलाने से पशुओं के रक्त संचार में वृद्धि होती है.
5. हरा चारा स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पाचनशील होता है जिससे पशुओं में पाचनशीलता बढ़ जाती है.
6 हरा चारा खिलाने से पशुओं की त्वचा मुलायम और चिकनी हो जाती है.
7. हरा चारा खिलाने से दूध देने वाले पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ जाती है.
8. हरा चारा खिलाने से पशु समय से गर्मी में आने लगते हैं और गर्भधारण करने की क्षमता बढ़ जाती है.

 
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