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Rose Farming: गुलाब की खेती में क्या होता है चश्मा चढ़ाना, आइए जानते हैं

Rose Farming: गुलाब की खेती में क्या होता है चश्मा चढ़ाना, आइए जानते हैं

भी प्रकार के फूलों में गुलाब सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. शादी के सीजन में इसकी डिमांड काफी बढ़ जाती है. जिससे किसानों का रुझान गुलाब की खेती की ओर काफी बढ़ता जा रहा है. गुलाब के फूल का उपयोग खूबसूरती के अलावा औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है.

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गुलाब में क्या है चश्मा चढ़ाने की विधि गुलाब में क्या है चश्मा चढ़ाने की विधि

आज के समय में फूलों का इस्तेमाल किसी भी समारोह में सबसे ज्यादा देखा जाता है, चाहे मंदिर हो या घर. फूलों का प्रयोग अधिकतर घर में होने वाले छोटे-बड़े कार्यक्रमों, घर को सजाने और अन्य प्रकार के कार्यों में किया जाता है. ऐसे में बाजार में तरह-तरह के फूलों की मांग बढ़ती जा रही है. सभी प्रकार के फूलों में गुलाब सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. शादी के सीजन में इसकी डिमांड काफी बढ़ जाती है. जिससे किसानों का रुझान गुलाब की खेती की ओर काफी बढ़ता जा रहा है. गुलाब के फूल का उपयोग खूबसूरती के अलावा औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है. गुलाब के फूलों का उपयोग कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है.

ऐसे में अगर आप भी गुलाब की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपको इस विधि के बारे में जरूर जान लेना चाहिए. दरअसल हम बात कर रहे हैं गुलाब की खेती में चश्मा चढ़ाने की विधि के बारे में. क्या है ये विधि आइए जानते हैं.

क्या है चश्मा चढ़ाना विधि?

हमारे देश में रोजा इंडिका किस्म ओड्राटा और रोजा मल्टीफ्लोरा का उपयोग चश्मा या ग्राफ्टिंग विधि में रूटस्टॉक के रूप में सबसे अधिक किया जाता है. यूरोप में, रोज़ा कैनिना, रोज़ा मल्टीफ़्लोरा, रोज़ा मानेटी और रोज़ा रेगोसा का उपयोग आमतौर पर रूटस्टॉक के लिए किया जाता है. रूटस्टॉक के लिए उपयोग किए जाने वाले गुलाब के पौधों में मिट्टी से पोषक तत्व और पानी लेने की क्षमता होनी चाहिए और जड़ भाग की अच्छी वृद्धि होनी चाहिए.

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गुलाब की खेती में क्या होता है चश्मा चढ़ाना

चश्मा चढ़ाने के लिए सबसे पहले 1 साल पुराने पौधे की एक पेंसिल जितनी मोटाई की शाखा का रूटस्टॉक के लिए चयन करना चाहिए. रूटस्टॉक के चयन के बाद ग्राफ्टिंग के लिए 4 महीने की कली जिसकी सुप्तावस्था (hibernation) समाप्त हो गई हो, उसका चयन करना चाहिए. मैदानी इलाकों में चश्मा चढ़ाने का सही समय दिसंबर से फरवरी तक का होता है. पहाड़ी इलाकों में चश्मा चढ़ाने का सही समय सितंबर-अक्टूबर और फरवरी से मार्च के महीने का होता है. चश्मा चढ़ाने की कई विधियां हैं लेकिन गुलाब में 'टी' चश्मा विधि सबसे सफल पाई गई है. मूलवृंत पर नीचे से लगभग 8-10 सेमी. 2.5-3.0 सेमी छोड़कर ताने को अंग्रेजी के 'टी' की तरह काटा जाता है. ग्लासों को रूटस्टॉक पर चढ़ाने के बाद ग्लासों को रूटस्टॉक से अच्छी तरह पकड़ लें और उन्हें पॉलीटेप या प्लास्टिक फिल्म से बांध दें ताकि दोनों अच्छे से जुड़ जाएं. ग्राफ्टिंग के लगभग 20 से 25 दिन बाद, कलियां निकलने के बाद रूटस्टॉक का ऊपरी भाग ग्राफ्टिंग बिंदु से 4-5 सेमी ऊपर छोड़कर बाकी बचे भाग को काट देना चाहिए. समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए. इस प्रकार चश्मा चढ़ाने की विधि विधि से लगभग 4 माह में पौधे रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं. 

गुलाब की हाइब्रिड किस्में

वैसे तो गुलाब की किस्मों की संख्या 20 हजार से ज्यादा है, जिन्हें विशेषज्ञों ने अलग-अलग वर्गों में बांटा है, लेकिन तकनीकी तौर पर गुलाब के 5 मुख्य वर्ग हैं, जिन्हें रंग, आकार, खुशबू और उपयोग के अनुसार बांटा गया है. जो हाईब्रिड टीज, फ्लोरीबंडा, पोलिएन्था वर्ग, लता वर्ग और मिनिएचर वर्ग हैं.