देश में किसान अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वे कम समय में बढ़िया मुनाफा देने वाली फसलों की भी खेती करने लगे हैं. इस दौरान किसान अब सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे है. लाल मूली भी कुछ इसी तरह की फसल है. लाल मूली का उपयोग सब्जी और सलाद के रूप में किया जाता है.लाल मूली की खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है. सफेद मूली की तुलना में लाल मूली में अधिक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. मूली भारत की बहुत ही प्रचलित सब्जी है. किसान लाल मुली की खेती से भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सफेद मूली से ज्यादा भाव में बिकती है लाल मूली. इसकी खेती ठंड के मौसम में दिसंबर से लेकर फरवरी की जा सकती है.
मूली को पीलिया के लिए एक प्राकृतिक औषधि माना जाता है. इसका एक मजबूत डिटॉक्सिफाइंग प्रभाव है, जो रक्त से जहरीले तत्वों को निकालता है. यह ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाकर पीलिया से पीड़ित लोगों में लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने को रोकने में मदद करता है. कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है.
इसके चलते बाजार में इसकी मांग अधिक रहती हैं. कम किसानों द्वारा इसकी खेती करने के कारण लाल मूली आज भी बाजार में कम ही उपलब्ध होती है. अगर किसान इसकी खेती करते हैं तो उन्हें सामान्य मूली से ज्यादा मुनाफा मिल सकता है. ऐसे में किसानों के लिए लाल मूली की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं.
लाल मूली की खेती के लिए जरूरत होती है बलुई दोमट मिट्टी की, जिसमें पानी ना रुकता हो. इसकी बुआई से पहले खेत को 2-3 बार जोत कर मिट्टी को अच्छे से भुरभुरा कर लेना चाहिए. अगर आप मेड़ बनाकर मूली की खेती करते हैं तो उससे आपको और भी अच्छा उत्पादन मिल सकता है. मूली की बुआई से पहले खेत में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद जरूर डालें, ताकि पौधों को पोषण की कमी ना हो. आप चाहे तो गोबर की खाद के बदले वर्मी कंपोस्ट भी इस्तेमाल कर सकते हैं. पर्याप्त मात्रा में ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करने से फसल की पैदावार अच्छी होती है.
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किसान सीधी बुआई करके या नर्सरी तैयार कर इसकी खेती भी करते हैं. इसकी व्यावसायिक खेती के लिए नर्सरी में उन्नत किस्म के बीजों से पौधे तैयार किए जाते हैं. इसके पौधों की रोपाई के लिए पंक्ति विधि का प्रयोग किया जाता है. बुवाई के बाद लगभग 20 से 40 दिन लगते हैं. इसकी खेती से आप प्रति एकड़ 54 क्विंटल तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं.
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो मेड़ों पर लाल मूली की बुवाई करने के लिये करीब 8 से 10 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है. इसकी बुवाई के लिये कतार विधि का प्रयोग करना चाहिये, ताकि फसल में निराई-गुड़ाई, निगरानी और बाकी कृषि कार्य आसानी से कियो जा सकें. लाल मूली के बीजों की बुवाई से पहले बीज उपचार करें. इसके बाद लाइन से लाइन के बीच 30 सेंमी. और पौध से पौध के बीच 10 सेंटीमीटर की दूरी रखकर बीजों को 2 इंच गहराई में लगा दें. लाल मूली की फसल से अच्छी पैदावार के लिये मिट्टी की जांच के आधार पर प्रति हेक्टेयर की दर से 80 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 60 किलो पोटाश भी डाल सकते हैं.
यदि किसान अपनी फसल को सही तरीके से बोए तो कम समय में बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है. कम किसानों द्वारा इसकी खेती करने के कारण लाल मूली आज भी बाजार में कम ही उपलब्ध होती है. अगर किसान इसकी खेती करते हैं तो उन्हें सामान्य मूली से ज्यादा मुनाफा मिल सकता है. सामान्य तौर पर बाजार में सफेद मूली अधिकतम 50 रुपये प्रति किलो में मिलती है. वहीं एक किलो लाल मूली की कीमत 500 से 800 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाती है. ऐसे में किसान कम लागत लगाकर इस फसल से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
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