कद्दू या कुम्हड़े को कौन नहीं जानता. इसे हर भारतीय रसोई में एक महत्वपूर्ण और स्वादिष्ट सब्जी के तौर पर पकाया और खाया जाता है. कद्दू एक ऐसी सब्जी है जिसे फल और सब्जी दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है. एक रिपोर्ट से पता चला है कि ये दुनिया भर में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाली सब्जी है. इसके जायके के कारण इससे व्यंजनों से लेकर कई मिठाइयां भी बनाई जाती हैं. भारतीय किसानों के बीच भी कद्दू बहुत फेमस है, क्योंकि यह फसल बहुत जल्दी तैयार हो जाती है और इसे कच्चा और पका दोनों तरीके से प्रयोग किया जाता है.
कद्दू की बुवाई के लिए सितंबर और अक्टूबर महीने का पहला पखवाड़ा सबसे बेहतर माना जाता है. आइए जानते हैं भारत की पांच मशहूर कद्दू की किस्मों के बारे में जिनकी खेती बेहतर पैदावार देती है और किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
अगर आप किसान हैं और इस सितंबर महीने में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो अभी भी दो दिन बचे हुए हैं. आप कद्दू की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में काशी हरित, पूसा विश्वास, काशी उज्ज्वल, अरका सूर्यमुखी और काशी धवन किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
यह कद्दू की एक अच्छी किस्म है. इसका रंग हरा और आकार चपटा और गोलाकार होता है. बुवाई के 50 से 60 दिनों की भीतर ही यह किस्म पककर तैयार हो जाती है. इसके फल के बारे में बात करें, तो यह 3.5 किलो से पांच किलो तक के बीच होता है. इसके एक ही पौधे से चार से पांच फल मिल जाते हैं. वहीं प्रति हेक्टेयर इसकी फसल में 400 क्विंटल तक का उत्पादन हो जाता है.
कद्दू की यह किस्म उत्तर भारत के राज्यों में ज़्यादा उगाई जाती है. ये किस्म प्रति हेक्टेयर 400 क्विंटल तक उत्पादन देती है. इसके फल का रंग हरा होता है, जिस पर सफ़ेद रंग के हल्के धब्बे होते हैं. पूसा विश्वास की फसल 120 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है.
कद्दू की यह किस्म उत्तर और दक्षिण भारत के किसानों के बीच काफी प्रसिद्ध है. इसकी उत्पादक क्षमता काफी अच्छी है, क्योंकि इसके हर एक पेड़ से चार से पांच फल प्राप्त हो जाते हैं, लेकिन इसे पकने में दूसरी किस्मों से थोड़ा ज़्यादा समय लगता है. यह लगभग 180 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
कद्दू की बेहद खूबसूरत और नामचीन किस्मों में अरका सूर्यमुखी का नाम दर्ज है. ऊपरी हिस्से में इसका आकार गोल होता है, लेकिन निचला हिस्सा थोड़ा टेढ़ा-मेढ़ा सा होता है. इसका रंग हर किसी को मोह लेता है. कद्दू की यह किस्म संतरे रंग की होती है. इस कद्दू का सामान्य वजन 01 किलो तक होता है. रंग और हल्के वजन के चलते इसकी मांग बहुत अधिक होती है.
पहाड़ी इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए काशी धवन कद्दू किसी वरदान से कम नहीं है. बुवाई के मात्र 90 दिनों में तैयार होने वाली ये किस्म 600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है.
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