केंद्र सरकार से दलहन और तिलहन की खरीद की मंजूरी मिलने के बाद किसानों के बीच खुशी का माहौल है. कहा जा रहा है कि कर्नाटक में 'मूल्य समर्थन योजना' के तहत मूंग और सूरजमुखी की खरीद की जाएगी. इसके लिए मंडियों में सारी तैयारियां कर ली गई हैं. किसानों को उम्मीद है कि इस बार उन्हें उपज की बेहतर कीमत मिलेगी. क्योंकि कर्नाटक में पिछले कुछ हफ्तों से, मूंग की कीमतें एमएसपी स्तर से नीचे चल रही हैं. ऐसे में मूल्य समर्थन योजना के तहत मूंग और सूरजमुखी की खरीद किए जाने की खबर किसानों के लिए बहुत बड़ी राहत है.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि मंत्रालय ने 22 अगस्त को खरीफ 2024-25 सीजन के लिए कर्नाटक से अधिकतम 22,215 टन मूंग की खरीद के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) को लागू करने की मंजूरी दे दी थी. साथ ही केंद्र ने खरीफ 2024-25 सीजन के लिए 8,682 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया था. वहीं, केंद्र ने 7,280 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर 13,210 टन सूरजमुखी की खरीद को भी मंजूरी दी है.
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पिछले कुछ हफ्तों से, कर्नाटक में मूंग की कीमतें एमएसपी स्तर से नीचे चल रही हैं, क्योंकि मंडियों में नई फसल आ गई है. इससे उत्पादकों के बीच चिंता बढ़ गई है. करीब एक सप्ताह पहले, कर्नाटक की मंडियों में मूंगा का मॉडल मूल्य 5,900-6,600 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में था, जो एमएसपी स्तर से काफी कम है. वहीं, खरीद शुरू करने की घोषणा के बाद, मूंग की कीमतों में मामूली सुधार हुआ है. सोमवार को गडग एपीएमसी मार्केट यार्ड में मूंग का मॉडल प्राइस 7,132 रुपये प्रति क्विंटल था. जबकि 23 अगस्त को मॉडल प्राइस 6,293 रुपये और 20 अगस्त को 6,617 रुपये प्रति क्टिंल दर्ज किया गया था. हालांकि, गडग में मूंग की औसत आवक 1,000 से 1,500 टन के बीच रही.
दरअसल, मूंग की फसल 2 महीने में तैयार हो जाती है. यह खरीफ में सबसे जल्दी तैयार होने वाली फसल है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 16 अगस्त तक देशभर में इस खरीफ सीजन में 30.26 लाख हेक्टेयर के मुकाबले करीब 33.24 लाख हेक्टेयर (एलएच) में मूंग की बुआई की गई है.
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खरीफ फसल सीजन में कर्नाटक और महाराष्ट्र के बाद राजस्थान मूंग का प्रमुख उत्पादक है. राजस्थान में इस खरीफ सीजन में 16 अगस्त तक मूंग की बुआई 22.05 लाख हेक्टेयर रही, जो एक साल पहले 20.53 लाख हेक्टेयर थी. वहीं, कर्नाटक में मूंग की बुआई 1.73 लाख हेक्टेयर से दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर 4.35 लाख हेक्टेयर हो गई है. हालांकि, पिछले साल कर्नाटक के मूंग उत्पादक क्षेत्रों में सूखे की स्थिति रही, जिससे बुआई प्रभावित हुई. महाराष्ट्र में भी इस साल बुआई 1.73 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.3 लाख हेक्टेयर हो गई.
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