पंजाब में सरकार द्वारा अनुशंसित धान की पीआर-126 किस्म के नकली बीज के बिक्री की खबर सामने आई है. ऐसे में राज्य सरकार सतर्क हो गई है. कृषि विभाग ने पहले ही मुख्य कृषि अधिकारियों (सीएओ) को इस संबंध में सक्रिय कदम उठाने का आदेश दिया है. कहा जा रहा है कि विभाग की तरफ से सीएओ को निजी बीज डीलरों, वितरकों और उत्पादकों के परिसरों पर छापेमारी करने के लिए कहा गया है, ताकि नकली बीजों की बिक्री को रोका जा सके.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग ने चेतावनी दी है कि यदि उसका कोई भी अधिकारी निजी बीज संचालकों के साथ मिला हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों को आनुवंशिक शुद्धता की जांच के लिए संदिग्ध बीजों के नमूने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय को भेजने के लिए कहा गया है.
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कृषि विभाग के निदेशक, जसवंत सिंह ने कहा कि राज्य में सीधी बुआई वाले चावल (डीएसआर) और रोपाई के लिए पौध दोनों की बुआई प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले पीआर-126 बीज मिले यह सुनिश्चित करने के लिए, हमने अधिकारियों से बीज वितरकों, डीलरों और उत्पादकों पर छापा मारने को कहा है. उन्होंने कहा कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के पास पर्याप्त बीज उपलब्ध है, जिसे कृषि विज्ञान केंद्रों सहित सरकारी बिक्री केंद्रों से आसानी से खरीदा जा सकता है.
छापेमारी करने के आदेश पिछले हफ्ते एक बैठक के बाद आए जो पीएयू के कुलपति, ऑल-इंडिया राइस मिलर्स एसोसिएशन के सदस्यों और पीएयू, लुधियाना के चावल वैज्ञानिकों की एक टीम के बीच हुई थी. बैठक में, ऑल इंडिया राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम लाल सैनी ने नकली बीजों की व्यापक बिक्री के बारे में आशंका व्यक्त की थी और कृषि और किसान कल्याण विभाग से इस तरह की प्रथा को रोकने के लिए कड़े उपाय लागू करने का आग्रह किया था.
इस साल, मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार भूजल बचाने के लिए किसानों से कम अवधि वाली धान की किस्म (पीआर-126) अपनाने की अपील कर रही है. राज्य सरकार ने इस महीने आधिकारिक तौर पर लंबी अवधि की धान की किस्म (पूसा-44) की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. पानी की अधिक खपत करने वाली पूसा-44 किस्म अपनी अधिक उपज के कारण किसानों के बीच पसंदीदा थी.
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पीएयू के कुलपति एसएस गोसल ने कहा कि हमें नकली पीआर-126 बीजों की बिक्री के संबंध में कुछ शिकायतें मिली हैं. कृषि विभाग ने संदिग्ध बीजों के कुछ नमूने एकत्र किए हैं, जिनका परीक्षण पीएयू में किया जाएगा. कृषि विभाग के निदेशक, जसवंत सिंह का कहना है कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के पास पर्याप्त बीज उपलब्ध है जिसे कृषि विज्ञान केंद्रों सहित सरकारी बिक्री केंद्रों से आसानी से खरीदा जा सकता है.
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