Potato Farming: ठंड बढ़ते ही आलू को बर्बाद कर सकता है पछेती झुलसा रोग, इन दवाओं से करें बचाव

Potato Farming: ठंड बढ़ते ही आलू को बर्बाद कर सकता है पछेती झुलसा रोग, इन दवाओं से करें बचाव

मौसम में बदलाव, कोहरा, तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते किसानों को खेत में लगे आलू की फसल में झुलसा रोग के साथ लाही जैसे रोग लगने लगते हैं. रोग लगने से आलू की फसल खराब होने पर किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है. जान‍िए इन रोगों से आलू फसल का कैसे कर सकते हैं बचाव. 

Advertisement
Potato Farming: ठंड बढ़ते ही आलू को बर्बाद कर सकता है पछेती झुलसा रोग, इन दवाओं से करें बचावजानिए झुलसा रोग से कैसे बचाया जा सकता है आलू की फसल

आलू भारत की एक प्रमुख नगदी फसल है. यह सब्ज‍ियों का राजा है इसल‍िए इसकी खपत साल भर होती है. देश के कई राज्यों में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. लेक‍िन, इसकी फसल अच्छी होगी तभी पैदावार अच्छी होगी. इसकी फसल के ल‍िए ठंड बहुत ही खतरनाक मानी जाती है. ठंड और शीतलहर से आलू की फसल को नुकसान पहुंच सकता है. आलू की फसल में अधिक ठंड पड़ने से आलू में अगेती और पछेती झुलसा रोग की दिक्कत देखी जाती है. अगर इस रोग का अच्छे से देख भाल नहीं किया गया तो खड़ी की खड़ी फसल को यह रोग खत्म कर देता है. 

इस समय मौसम में बदलाव, कोहरा, तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते किसानों को खेत में लगे आलू की फसल में झुलसा रोग के साथ लाही जैसे रोग लगने लगते हैं. रोग लगने से आलू की फसल खराब होने पर किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है. आइए जानते हैं इन रोगों से आलू फसल की सुरक्षा कैसे कर सकते हैं. किसानों को आलू की फसल में लगने वाले रोग और इससे बचने का तरीका जरूर जान लेना चाहिए.  

ये भी पढ़ें: Onion Prices: खरीफ फसल की आवक में देरी, महाराष्ट्र में बढ़ी प्याज की थोक कीमत 

पछेती झुलसा रोग से बचाव 

आलू में पछेती झुलसा रोग फाइटोपथोरा नामक कवक के द्वारा होता है. इस रोग की वजह से पौधों की पत्तियां सिरे से झुलसने लगती हैं और पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनने लगते हैं. इस रोग के प्रभाव होने पर फसलों की पैदावार में कमी आती है और कंदों या फलो के आकार भी छोटा रह जाता है. जिन क्षेत्रों में यह बीमारी आलू में लग चुकी है उनमें साइमोक्सेनिल, मेंकोजेब या फिनेमिडोन मैंकोजेब दवा को 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें, इसमें स्टिकर अवश्य डालें. 

आलू का क‍ितना होता है उत्पादन 

हमारे देश में आलू एक मुख्य फसल है. विश्व में भारत इसका दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. वर्ष 2020-21 में लगभग 22.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में 5.3 करोड़ टन आलू का उत्पादन हुआ है. आलू के पौधों को ऊतकों के निर्माण में जल की आवश्यकता होती है. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के अनुसार पौधे में वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया से पानी ऊपर के भागों की ओर जाता है.  इसके साथ खनिज लवण भी कोशिका के स्तर तक पहुंचते हैं. इन सब का जैव रसायन क्रियाओं में उपयोग होता है. सिंचाई के जल का कुछ अंश इस प्रक्रिया में उपयोग में आता है. शेष जल वाष्पीकरण या भूमि की नीचे की परतों में गहराई तक चला जाता है या बहकर नष्ट हो जाता है. इसे बचाना संभव नहीं होता.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी ने 86 लाख क‍िसानों को द‍िया द‍िवाली का तोहफा, खाते में पहुंचे 1720 करोड़ रुपये 

 

POST A COMMENT