
पाम तेल के दाम में लगातार गिरावट जारी है. देसी और विदेशी दोनों बाजारों में मांग गिरने से रेट में भारी कमी देखी जा रही है. इस साल अभी तक पाम के दाम में 20 फीसद तक की गिरावट आ चुकी है. माना जा रहा है कि आने वाले समय में और भी इसके भाव गिरेंगे. व्यापारी और विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के साथ भारत के बाजारों से भी पाम तेल की मांग बहुत कम आ रही है. यही वजह है कि मांग गिरते ही पाम के भाव में तेजी से गिरावट देखी जा रही है.
इस साल जनवरी से मार्च तक चीन ने भारत से 10 लाख टन पाम तेल का आयात किया. यह आयात पिछले साल के 0.3 मिलियन टन से भले ज्यादा हो, लेकिन 2019 के 1.3 मिलियन टन से कम है. लाहौर में मंजूर ट्रेडिंग के डायरेक्टर-सेल्स अब्दुल हमीद कहते हैं, पाम तेल के बाजार में अभी बहुत दबाव है. इसके कई कारण हैं. एक तो इस बार पाम का उत्पादन बहुत अधिक हुआ है और अमेरिका-ब्राजील में सप्लाई भी भरपूर है. भारत और चीन में पाम तेल से भी सस्ता सूरजमुखी का तेल बिक रहा है. इस वजह से पूरे खाद्य तेलों में गिरावट का रुख देखा जा रहा है.
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इस बारे में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता कहते हैं, सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का दाम नीचे चल रहा है. ऐसे में कोई पाम तेल भला क्यों खरीदेगा? एक्सपोर्ट की सप्लाई खत्म करने के लिए सूरजमुखी का तेल धड़ल्ले से बिक रहा है और पाम तेल गिरावट में है. दुनिया में जितने भी पाम तेल के उत्पादक देश हैं, वहां सप्लाई अधिक होने से इसके भाव में भारी गिरावट है.
पाम तेल की हालत ये हो गई है कि अभी इसका रेट सबसे निचले स्तर पर चला गया है. कहा जा रहा है कि जब तक बाजार में कोई बहुत बड़ी डिमांड नहीं आती, तब तक पाम तेल के दाम में तेजी दिखना संभव नहीं है. एशियाई देशों में बढ़ती गर्मी के चलते भी पाम तेल के दाम गिरे जा रहे हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी बढ़ने से लोगों की खाद्य तेलों की जरूरत कम हुई है और वे मौसमी फलों जैसे आम पर अधिक ध्यान दे रहे हैं. इससे पाम तेल की मांग घट गई है. मांग घटने से रेट में गिरावट है.
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पाम तेल के दाम में गिरावट की एक वजह भारत में खाद्य तेलों का भारी स्टॉक जमा होना भी है. भारत में अभी 30 लाख टन खाद्य तेलों का स्टॉक है. दुनिया में तिलहन उत्पादन की बात करें तो इस बार यह 600 मिलियन टन रहा है जो पिछले साल से 16 परसेंट अधिक है. भारत में अभी बड़े पैमाने पर कच्चे सोयाबीन का स्टॉक पड़ा हुआ है जिससे आगे भी तेलों के भाव में नरमी रहने का संकेत है.
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