प्याज की निर्यात बंदी के लगभग चार महीने पूरे हो गए हैं. अब किसानों का धैर्य जवाब देने लगा है. किसान लागत से कम दाम पर प्याज बेच रहे हैं और उधर देश के तमाम शहरों में उपभोक्ताओं को इसकी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है. बाजार में प्याज का दाम 40 रुपये तक पहुंच गया है, जबकि किसानों को कहीं दो तो कहीं पांच रुपये किलो का भाव मिल रहा है. पांच अप्रैल को पुणे की मोशी मंडी में सिर्फ 403 क्विंटल प्याज की आवक हुई. इतनी कम आवक के बावजूद यहां पर प्याज का न्यूनतम दाम 500 और अधिकतम सिर्फ 1200 रुपये प्रति क्विंटल रहा, यानी 12 रुपये किलो. जो लागत से काफी कम है. औसत दाम 850 रुपये प्रति क्विंटल रहा. किसानों का कहना है कि प्याज की लागत 15 से 20 रुपये प्रति किलो के बीच आ रही है.
सोलापुर में 25,860 क्विंटल प्याज की आवक हुई. यहां पर इतनी अधिक आवक की वजह से न्यूनतम दाम सिर्फ 150 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकतम दाम 1900 और औसत 1200 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकांश मंडियों में रेट बहुत नीचे गिर गया है और कम अधिक आवक का ज्यादा मतलब नहीं रह गया है. उदाहरण के तौर पर धाराशिव मंडी का भाव देख सकते हैं. यहां पर सिर्फ 27 क्विंटल प्याज बिकने के लिए आया उसके बावजूद प्याज का अधिकतम दाम सिर्फ 1300 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जबकि न्यूनतम दाम 1100 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
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महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है. यहां पर देश का लगभग 43 फीसदी प्याज पैदा होता है. यहां के अधिकांश किसान परिवार इसकी खेती करते हैं. लेकिन पिछले लगभग दो साल से उन्हें अच्छा दाम नहीं मिल रहा है. किसानों का आरोप है कि जब भी सही दाम मिलने लगता है सरकार बाजार में अपनी किसी न किसी पॉलिसी से हस्तक्षेप करके उसे गिरा देती है. अगस्त 2023 के बाद से लगातार सरकार की पॉलिसी की वजह से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. सरकार सिर्फ उपभोक्ताओं का ध्यान दे रही है. ऐसा लगता है कि उसे प्याज उत्पादक किसानों से कोई मतलब ही नहीं है.
कांदा उत्पादक संगठन महाराष्ट्र के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि सरकार किसानों के लिए प्याज को एमएसपी के दायरे में ले आए और व्यापारियों के लिए उसकी एमआरपी फिक्स करे. किसानों के लिए एक ऐसा लाभकारी मूल्य तय हो जिसके नीचे कोई भी खरीद न करे और व्यापारियों के लिए उनका लाभ तय करके एक ऐसा दाम तय हो जिससे अधिक दाम पर वो न बेच सकें.
तब किसानों की जिंदगी भी खुशहाल होगी और उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत भी नहीं चुकानी होगी. लेकिन सरकार है कि व्यापारियों के मुनाफे पर कोई रोक नहीं लगाती. वो 10 रुपये किलो का प्याज 50 रुपये किलो में उपभोक्ताओं को बेचते हैं. जबकि किसान अपनी लागत पर जरा मुनाफा पाने लगे तो सरकार उसे कम करवा देती है. ऐसी पॉलिसी से किसान बर्बाद हो रहे हैं. लोग खेती कम कर रहे हैं.
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