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Onion Price: आवक में गिरावट के बावजूद नहीं बढ़ रहा दाम, निर्यातबंदी से किसानों को भारी नुकसान

Onion Price: आवक में गिरावट के बावजूद नहीं बढ़ रहा दाम, निर्यातबंदी से किसानों को भारी नुकसान

आवक घटने के बावजूद किसान अपनी लागत के लिए भी तरस रहे हैं. खरीफ सीजन के मुकाबले रबी सीजन में बाजारों में प्याज की आवक काफी कम है, लेकिन दाम भी नहीं बढ़ रहा है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है किनसीजन के असर और निर्यातबन्दी के कारण ऐसा हो रहा है. ट्रेडर किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं.

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प्याज़ का मंडी भाव प्याज़ का मंडी भाव

प्याज की निर्यातबन्दी ने बाजार के नियम बदल दिए हैं. आमतौर पर देखा जाता है कि जब आवक कम होती है तब दाम ज्यादा होता है और जब ज्यादा होती है तब कम. हालांकि वर्तमान में प्याज की मंडियों में ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है. आवक घटने के बावजूद किसान अपनी लागत के लिए भी तरस रहे हैं. खरीफ सीजन के मुकाबले रबी सीजन में बाजारों में प्याज की आवक काफी कम है, लेकिन दाम भी नहीं बढ़ रहा है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है किनसीजन के असर और निर्यातबन्दी के कारण ऐसा हो रहा है. ट्रेडर किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं.

महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि 15 अप्रैल 2024 को राज्य में सबसे ज्यादा प्याज की आवक सोलापुर मंडी में हुई है. यहां 23971 क्विंटल प्याज बिकने के लिए आया और न्यूनतम दाम सिर्फ 200 रुपये क्विंटल रहा. जबकि इसी मंडी में 25 जनवरी को र‍िकॉर्ड 1 लाख 44 हजार 801 क्व‍िंटल प्याज की आवक हुई थी. तब भी किसानों को लागत मूल्य नहीं मिल पाया था और न्यूनतम दाम मात्र 100 रुपये क्विंटल रहा था. सोलापुर मंडी में इससे पहले 23 जनवरी को 98,576 क्व‍िंटल प्याज की आवक हुई थी. तब इतनी आवक हो रही थी क‍ि वहां प्याज रखने की जगह नहीं बची थी. अब ऐसी स्थिति नहीं है, फिर भी किसानों को सही कीमत नहीं मिल रही.  

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आवक क्यों कम है?

निर्यातबन्दी के कारण खरीफ सीजन के दौरान मंडियों में प्याज की रिकॉर्ड आवक हो रही थी, लेकिन रबी सीजन में ऐसा नहीं है, जबकि निर्यातबन्दी जारी है. ऐसा क्यों है. दरअसल, खरीफ सीजन में आवक इसलिए ज्यादा हो रही थी क्योंकि उस सीजन के प्याज को स्टोर नहीं क‍िया जा सकता. क्योंक‍ि उसमें सड़न तेजी से लगती है. जबकि रबी सीजन का प्याज स्टोर किया जाता है. इसलिए किसान अच्छे दाम की उम्मीद में उसे स्टोर कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि सरकार लोकसभा चुनाव के बाद निर्यातबन्दी खत्म कर देगी.

दूसरी ओर अभी मंडी में कम आवक के बावजूद दाम इसलिए कम मिल रहा है क्योंकि ट्रेडर्स को पता है कि इस समय अगर कोई रबी सीजन का प्याज बेचने आ रहा है तो जरूर उसे तत्काल पैसे की जरूरत होगी, या फिर उस किसान के पास स्टोर नहीं होगा. इसलिए ट्रेडर किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं और निर्यातबन्दी के कारण उन्हें सही दाम नहीं दे रहे हैं.

किस मंडी में कितना है दाम

  • सोलापुर मंडी में 15 अप्रैल को 23971, क्विंटल प्याज की आवक हुई. न्यूनतम दाम 200, अधिकतम 2000 और औसत दाम 1100 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
  • जुन्नर (नरायणगांव) में मात्र 26 क्विंटल प्याज की आवक हुई. इसके बावजूद न्यूनतम दाम सिर्फ 300, अधिकतम 1500 और औसत 1000 रुपये क्विंटल रहा.
  • बारामती में 692 क्विंटल प्याज की आवक हुई. इसके बावजूद न्यूनतम दाम सिर्फ 300 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकतम दाम भी बहुत कम सिर्फ 1300 और औसत दाम 1000 रुपये क्विंटल रहा.
  • अकोला मंडी में 15 अप्रैल को 600 क्विंटल प्याज की आवक हुई. इसके बावजूद न्यूनतम दाम सिर्फ 400, अधिकतम 1600 और औसत दाम 1300 रुपये क्विंटल रहा.

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