भीषण गर्मी में मर सकती है प्याज की नर्सरी, इस आसान उपाय से करें पौध की तैयारी

भीषण गर्मी में मर सकती है प्याज की नर्सरी, इस आसान उपाय से करें पौध की तैयारी

खरीफ सीजन आने वाला है. क‍िसान इसके ल‍िए नर्सरी तैयार कर रहे हैं. किसान अगर सही तरीके से प्याज की नर्सरी लगाते हैं तो अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं. लेक‍िन गर्मी में उनकी अच्छी देखरेख जरूरी है ताक‍ि पौधे खराब न हों. जानिए ऐसे आसान उपाय के बारे में जिसे आप पौध तैयार कर सकते हैं.

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भीषण गर्मी में मर सकती है प्याज की नर्सरी, इस आसान उपाय से करें पौध की तैयारीप्याज़ की खेती

सब्जियों और मसाले दोनों रूप में प्याज एक महत्वपूर्ण फसल है. प्याज की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है, जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, ओड‍िशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और बिहार आदि शामिल हैं. भारत में प्याज का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र राज्य में किया जाता है. ज्यादातर राज्यों में इसकी खेती खरीफ सीजन और रबी दो सीजन में की जाती है, जबक‍ि महाराष्ट्र में इसकी खेती साल में तीन बार की जाती है. अब खरीफ सीजन आने वाला है. क‍िसान इसके ल‍िए नर्सरी तैयार कर रहे हैं. किसान अगर सही तरीके से प्याज की नर्सरी लगाते हैं तो अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं. लेक‍िन गर्मी में उनकी अच्छी देखरेख जरूरी है ताक‍ि पौधे खराब न हों. जानिए ऐसे आसान उपाय के बारे में जिसे आप पौध तैयार कर सकते हैं.
 
खरीफ सीजन के प्याज की रोपाई के ल‍िए नर्सरी डालने के काम के ल‍िए मई-जून का समय सर्वोत्तम रहता है, जबकि पछेती फसल के लिए बीजों की बुवाई अगस्त सितंबर तक कर सकते हैं. गर्मियों में तेज गर्म हवा और लू चलने के साथ पानी की कमी के कारण खरीफ के मौसम में स्वस्थ पौध तैयार करना बहुत ही कठिन कार्य होता है. इसल‍िए इस मौसम में नर्सरी में काफी पौधे मर जाते हैं. इसल‍िए हो सके तो नर्सरी किसी छायादार जगह अथवा छायाघर के नीचे तैयार करें. 

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पानी का रखें खास ध्यान 

साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की इस समय बार‍िश का दौर शुरू होने वाला होता है, जिससे समतल क्यारियों में ज्यादा पानी की वजह से बीज बह जाने का खतरा बना रहता है. खेतों में जल जमाव के कारण विनाशकारी काला धब्बा, एन्थ्रोक्नोज रोग का प्रकोप अधिक होता है. पौधों को अधिक पानी से बचाने के लिए हमेशा जमीन से उठी हुई क्यारी (10 से 15 सेंटीमीटर ऊंची) ही तैयार करनी चाहिए. 

क्यारियों की चौड़ाई 60-70 सेंटीमीटर व लंबाई सुविधा के अनुसार रख सकते हैं. दो क्यारियों के बीच में 45-60 सेंटीमीटर खाली जगह रखें, जिससे खरपतवार निकालने व अतिरिक्त पानी की निकासी में सुविधा हो. एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौध रोपाई के लिए 250 से 300 वर्ग मीटर क्षेत्र में पौधशाला की आवश्यकता होती है. जिसमें कि 80 से 100 क्यारियों में रोपाई हो जाती है.  

खेत की तैयारी

मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की एक गहरी जुताई करके 2-3 जुताई देशी हल से कर लें. जिससे मिट्टी बारीक एवं भुरभुरी हो जाए. खेत तैयार करते समय अंतिम जुताई के समय गोबर की खाद को भी अच्छी तरह मिला देना चाहिए. खरीफ के मौसम में पौध की बुवाई के ल‍िए उठी हुई क्यारियां अच्छी रहती हैं, जिससे पानी भरने की स्थिति में भी पौध खराब नहीं होती एवं फसल स्वस्थ रहती है.

पौध की रोपाई

पौध लगभग 6-7 सप्ताह में रोपाई योग्य हो जाती है. खरीफ फसल के लिए रोपाई का उपयुक्त समय जुलाई के अंतिम सप्ताह से लेकर अगस्त तक कर सकते हैं. रोपाई करते समय कतारों से बीच की दूरी 15 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखते हैं  रोपाई के समय पौधे के शीर्ष का एक तिहाई भाग काट देना चाहिए जिससे उनकी अच्छी स्थापना हो सके.

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