Oilseed Farming: 2021-22 के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल देश में तिलहन का कुल उत्पादन 37.15 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो साल 2020-21 के 35.95 करोड़ टन उत्पादन से 1.20 करोड़ टन ज्यादा है. इसके अलावा, वर्ष 2021-22 के दौरान तिलहन का उत्पादन औसत तिलहन उत्पादन की तुलना में 4.46 मिलियन टन अधिक है. यह आंकड़ा इस बात को दर्शाता है कि तिलहनी फसलों का रकबा भी अब बढ़ता जा रहा है. इसमें हो रहे मुनाफे को देखते हुए सरकार और किसान दोनों लगातार इसको बढ़ावा देती नजर आ रही है.
यही वजह है की तिलहनी फसल को कैश क्रॉप के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी तिलहनी फसलों के बारे में बताएंगे जिनमें तेलों का भंडार पाया जाता है. तो आइये जानते हैं खबर विस्तार से:
तिल के बीज में 44.1 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है. तिल के बीज बहुत छोटे होते हैं. इसके तेल का इस्तेमाल एक नहीं बल्कि कई चीजों में किया जाता है. पूजा से लेकर खाना बनाने, त्वचा और बालों की देखभाल में इस तेल का उपयोग किया जाता है. तिल में किसी भी अन्य बीज की तुलना में अधिक तेल होता है. अच्छी गुणवत्ता वाले तिल के लिए उन्नत बीज और उपजाऊ के साथ नम मिट्टी का होना आवश्यक है. इसकी अच्छी उपज किसानों के लिए मददगार साबित हो सकती है.
कपास के बीज लगभग 15 से 20 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है. कपास जिसे भारत में उजला सोना भी कहा जाता है. कपास के बीजों को बिनौला कहते हैं. कपास के बीज में तेल की मात्रा पाई जाती है. इससे निकलने वाला तेल खाना बनाने में इस्तेमाल होता है. कई देशों में सलाद में मिक्स कर की इस तेल का इस्तेमाल होता है. बिनौला भी अपने आप में एक प्रमुख नकदी फसल है, जिसका उत्पादन पूरे विश्व में होता है. बिनौला तेल या बिनौला पशु चारा भारत से कई देशों में निर्यात किया जाता है.
मीठे बादाम में तेल की मात्रा 45% से 55% और कड़वे बादाम में 35% से 44% तक हो सकता है. वैसे तो बादाम एक ड्राई फ्रूट है लेकिन इससे तेल भी निकाला जाता है. बादाम के तेल में कई औषधीय गुण होते हैं. यही वजह है कि बाजार में बादाम के तेल की काफी मांग है. बादाम के तेल का इस्तेमाल लोग खाने के साथ-साथ शरीर पर लगाने के लिए भी करते हैं. कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स से लेकर फूड प्रोडक्ट्स में भी बादाम के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है. बाजार में बादाम का तेल 1500 रुपए प्रति लीटर तक बिक रहा है.
सोयबीन के बीज में 22 प्रतिशत तेल पाई जाती है. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले तेल में सोयाबीन के तेल का नाम भी शामिल है. आज के समय में ज्यादातर खाद्य तेल सोयाबीन से ही बनते हैं. देश-विदेश में सोयाबीन की अच्छी मांग है. यह फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे सोया दूध, सोया पनीर और सोया तेल बनाया जाता है. इससे बना हर उत्पाद बाजार में ऊंचे दामों पर बिकता है.
अरंडी के बीज में तेल की मात्रा 45 प्रतिशत होती है. अरंडी की खेती भी भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके बीजों से निकाले गए तेल का उपयोग बालों की देखभाल, त्वचा की देखभाल और सौंदर्य पोर्टफोलियो में किया जाता है. बाकी तमाम अटकलों के बीच तेल को लेकर काफी अस्पष्टता है. अरंडी के तेल की बाजार में अच्छी मांग है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today